लोकसभा में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने जीडीपी को नकारते हुए कहा कि जीडीपी का इस देश के लिए कोई मतलब नहीं. भविष्य में इसका कोई बहुत ज़्यादा उपयोग नहीं होगा. उन्होंने देश में किसान आत्महत्या से भी इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि किसान आत्महत्या नहीं कर रहे हैं. हमने किसानों को इतनी ताकत दी है कि आज वे सरकार के ख़िलाफ़ भी दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के बाद दुनियाभर में अर्थव्यवस्था की खराब हालत का जिक्र करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को दावा किया कि इस हालात में भी मोदी सरकार 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न दे रही है.
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मुफ्त योजनाओं (Freebies) को लेकर विपक्ष शासित राज्य सरकारों पर निशाना भी साधा और सरकारों पर बढ़ते कर्ज तथा मुद्रास्फीति बढ़ने के पीछे इसे एक वजह बताया.
लोकसभा में उन्होंने कहा, ‘हमारे देश के प्रधानमंत्री अगर 80 करोड़ गरीबों को फ्री का खाना दे रहे हैं, फ्री-फंड का खाना दे रहे हैं तो क्या हम बधाई के पात्र नहीं हैं, क्या हमको प्रधानमंत्री जी को बधाई नहीं देना चाहिए.’
उनके इस बयान पर युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने कहा, ‘बहुत बेशर्म देखे भाजपा में लेकिन इन्होंने तो बेशर्मी के सारे रिकॉर्ड तोड़कर बेशर्मी को ही शर्मसार कर दिया.’
"हमारे प्रधानमंत्री जी 80 करोड़ गरीबों को Free फंड का खाना दे रहे हैं, क्या PM को बधाई नहीं देना चाहिए?" : BJP सांसद निशिकांत दुबे
बहुत बेशर्म देखे भाजपा में, लेकिन इन्होंने तो बेशर्मी के सारे रिकॉर्ड तोड़कर बेशर्मी को ही शर्मसार कर दिया। pic.twitter.com/TJ6KgeRlQv
— Srinivas BV (@srinivasiyc) August 1, 2022
लोकसभा में नियम 193 के अधीन ‘मूल्यवृद्धि’ विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए दुबे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में जिन हालात में देश की बागडोर संभाली थी और आज कोविड के बाद दुनिया की जो स्थिति है, उसके बाद भी गरीबों को ‘दो वक्त की रोटी’ मिल रही है, जिसके लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया जाना चाहिए.
दुबे ने सोमवार को महंगाई के मुद्दे पर विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देना चाहिए क्योंकि भारत में गरीबों को ऐसे समय में दो वक्त का भोजन मुफ्त मिल रहा है, जब श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान और सिंगापुर में महंगाई बढ़ रही है और नौकरी छूट रही है.’
If we see Sri Lanka, Bangladesh, Bhutan, and Singapore, everywhere inflation is rising and jobs are getting lost. Amid such a situation if the poor are getting two-time meal free of cost then shouldn't we thank the PM..: BJP MP Nishikant Dubey pic.twitter.com/Yevy1KPCBL
— ANI (@ANI) August 1, 2022
दुबे ने कहा कि कोविड के बाद अनेक देशों की हालत खराब है, सभी जगह रोजगार छिन रहे हैं और मुद्रास्फीति बढ़ रही है, उस स्थिति में भी यह देश बदल रहा है, खुश है और यहां गांव, गरीब, आदिवासी किसान को सम्मान मिल रहा है.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी द्वारा महंगाई, मूल्य वृद्धि और जीएसटी को लेकर मोदी सरकार की आलोचना करने के बाद दुबे का यह बयान आया है.
तिवारी ने लोकसभा में कहा था, ‘देश पिछले 14 महीनों से दोहरे अंकों में मुद्रास्फीति दर्ज कर रहा है, यह 30 वर्षों में सबसे अधिक है. उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक आसमान छू रहा है. चावल, दही, पनीर और पेंसिल और शार्पनर जैसी दैनिक उपयोग की चीजों पर जीएसटी बढ़ा दिया गया है, यह सरकार बच्चों को भी नहीं छोड़ती है.’
मालूम हो कि खाद्य वस्तुओं और कच्चे तेल के महंगा होने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बीते मई महीने में बढ़कर 15.88 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई थी. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति इस साल अप्रैल में 15.08 प्रतिशत और पिछले साल मई में 13.11 प्रतिशत थी.
आंकड़ों से पता चलता है, बीते मार्च महीने के दौरान थोक मूल्य सूचकांक में 14.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जबकि फरवरी के लिए इसे 13.43 प्रतिशत से संशोधित कर 13.11 प्रतिशत किया गया था. पिछले साल अप्रैल में यह 10.74 फीसदी थी. वहीं खुदरा मुद्रास्फीति बीते अप्रैल माह में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई थी.
बहरहाल भाजपा सांसद निशिकांत दुबे यहीं नहीं रुके. उन्होंने दावा किया कि इस सरकार के आने से पहले सदन में किसानों की आत्महत्या के विषय पर कई बार बात होती थी, लेकिन पिछले आठ साल में किसानों की आत्महत्या का विषय सदन में एक भी बार नहीं उठा, क्योंकि इस सरकार ने किसानों को ताकत दी है और वे आत्महत्या करने को मजबूर नहीं हो रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘पिछले आठ साल में विपक्ष ने किसानों की आत्महत्या की एक भी चर्चा नहीं की है. अगर नहीं किया है तो इसका मतलब है कि किसान आत्महत्या नहीं कर रहे हैं. हमने किसानों को इतनी ताकत दी है कि आज किसान लड़ाई कर रहे हैं और किसान की क्या स्थिति है, वही मोदी जी की सरकार थी, वहीं पैसा था, इस तरह से हमने किसानों को मजबूत किया कि साल भर तक वह आंदोलन करता रहा, लेकिन किसी किसान ने आत्महत्या नहीं की.’
किसान आज आत्मनिर्भर है । उनके साथ हम खड़ें है , प्रधानमंत्री जी खड़ें है और इसी करण हम सभी के सहयोग से उत्तरप्रदेश में प्रचंड बहुमत से जीते, उत्तराखंड जीते,गोआ जीते लेकीन किसान के नाम पर राजनीति करने वाली कांग्रेस को हर जगह मुह की खानी पड़ी । pic.twitter.com/pAHJWoUmCe
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) August 1, 2022
उन्होंने आगे कहा, ‘हमने उसको इतनी ताकत दी कि वह सरकार के खिलाफ भी दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है. आपके यहां तो कांग्रेस शासन में वो भीख मांग रहा था. आप तो उसको रोटी तक नहीं दे पा रहे थे. आप कर्जा नहीं लौटवा पा रहे थे और यही कारण है कि किसान आत्महत्या कर रहे थे. क्या उसके लिए हम लोगों को धन्यवाद नहीं देना चाहिए.’
हालांकि निशिकांत दुबे का यह बयान राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा किसानों की आत्महत्या पर संकलित और उपलब्ध कराए गए आंकड़ों उल्टा है. द क्विंट ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि साल 2014 (जब पीएम मोदी सत्ता में आए) से 2020 (अंतिम उपलब्ध रिपोर्ट) के आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया है कि इस अवधि में 43,181 से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं.
इतना ही नहीं दुबे ने इस दौरान जीडीपी को भी नकार दिया. उन्होंने कहा, ‘सभी लोग जीडीपी की थ्योरी की बात करते हैं, वो गलत बात करते हैं. जीडीपी का इस देश के लिए कोई मतलब नहीं. भविष्य में जीडीपी का कोई बहुत ज्यादा उपयोग नहीं होगा. अमेरिका में जीडीपी 1934 में आया. इसके पहले कोई जीडीपी नहीं था.’
Remembering great address from BJP MP Nishikant Dubey which he did in 2019 over irrelevance of GDP data .. today he says PM Modi ji should be thanked for feeding 80 cr poor of India in "free fund"..pic.twitter.com/g7hXqtMJfe
— Niraj Bhatia (@bhatia_niraj23) August 1, 2022
दुबे ने विपक्ष पर और खासतौर पर कांग्रेस पर, ‘मोदीफोबिया’ से ग्रसित होने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी दल की न कोई वैचारिक प्रतिबद्धता है और न जनता के प्रति उनकी कोई जिम्मेदारी.
उन्होंने एक खबर के हवाले से दावा किया कि 2011 से लेकर 2014 तक भी बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत 1,000 से अधिक थी.
दुबे ने आरोप लगाया, ‘कांग्रेस ने केवल जनता को मूर्ख बनाने, वोटबैंक की राजनीति के लिए ऑइल (तेल) बांड जारी किए, जिसके एवज में 2020 के बाद से 3.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक भारत सरकार को लौटाना पड़ रहा है.’
उन्होंने दावा किया कि जिन्होंने तेल बांड लिया, सभी बड़े कॉरपोरेट घराने हैं. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस नेता बताएं कि किन अमीरों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया?’
दुबे ने कहा कि आज जब रूस-यूक्रेन युद्ध तथा अन्य कारणों से पूरी दुनिया में गेहूं का उत्पादन एक प्रतिशत कम हो गया है, धान का उत्पादन 0.5 प्रतिशत कम हो गया और चीनी का उत्पादन भी गिर गया है, तब भी भारत एक ऐसा देश है जो इन सभी चीजों का निर्यात कर रहा है.
उन्होंने कहा कि सब्जियों के दाम मार्च महीने से जुलाई में घट गए हैं, इसके लिए सरकार को बधाई दी जानी चाहिए.
दुबे ने पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल जैसे कई विपक्ष शासित राज्यों का जिक्र करते हुए कहा कि कर्ज लेकर मुफ्त की चीजें (फ्रीबीज) बांटने के कारण आज अर्थव्यवस्था की ऐसी हालत है. उन्होंने दावा किया कि भारतीय रिजर्व बैंक इन राज्यों को पैसा देने को तैयार नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘मुफ्त की योजनाओं के बाद देश की अर्थव्यवस्था कहां पहुंचेंगी. इससे मुद्रास्फीति बढ़ती है. वोट के लिए, सरकार के लिए क्या हो रहा है. अगली पीढ़ी के लिए क्या होगा.’
उन्होंने कहा कि भाजपा मुफ्त चीजों की बात नहीं करती क्योंकि ‘हम चुनाव जीतने के लिए नहीं सोचते. हम देश के लिए सोचते हैं.’ उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस विषय पर श्वेतपत्र जारी करने का अनुरोध किया कि किस तरह कर्ज लेकर मुफ्त की योजना चलाई जाती हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)