भुगतान में देरी को लेकर मनरेगा मज़दूरों का दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के 15 राज्यों के सैकड़ों मज़दूर दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब वे समय पर मज़दूरी की मांग करते हैं तो उन्हें काम नहीं मिलता. साथ ही कार्यस्थल पर किसी मज़दूर के घायल हो जाने या उसकी मृत्यु हो जाने पर मुआवज़ा तक नहीं दिया जाता.

A photo of the protest by NREGA workers at Jantar Mantar, New Delhi, on August 2, 2022. Photo: NREGA Sangharsh Morcha

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के 15 राज्यों के सैकड़ों मज़दूर दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब वे समय पर मज़दूरी की मांग करते हैं तो उन्हें काम नहीं मिलता. साथ ही कार्यस्थल पर किसी मज़दूर के घायल हो जाने या उसकी मृत्यु हो जाने पर मुआवज़ा तक नहीं दिया जाता.

दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन के दौरान जुटे मनरेगा मजदूर. (फोटो: नरेगा संघर्ष मोर्चा)

नई दिल्ली: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के 15 राज्यों के 500 से अधिक मजदूर बुधवार (3 अगस्त) को राष्ट्रीय राजधानी के जंतर मंतर पर इकट्ठा हुए. इस दौरान उन्होंने मजदूरी के भुगतान में देरी और योजना के लागू होने से संबंधित अन्य चिंताओं के खिलाफ प्रदर्शन किया.

धरने के दूसरे दिन हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, झारखंड,छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के मजदूर मौजूद थे. नरेगा संघर्ष मोर्चा (एएसएम) मोर्चा के बैनर तले ये मजदूर प्रदर्शन कर रहे थे.

श्रमिकों ने मजदूरी भुगतान में लगातार देरी के कारण होने वाली कठिनाइयों के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने समय पर मजूदरी की मांग की तो उन्हें काम नहीं मिला. साथ ही, उन्होंने बताया कि जब कार्यस्थल पर कोई मजदूर घायल हो गया या उसकी मौत हो गई तो उन्हें मुआवजा तक नहीं दिया गया.

कई मजदूरों ने राष्ट्रीय मोबाइल निरीक्षण प्रणाली (एनएमएमएस) ऐप की शुरुआत के संबंध में चिंताएं उठाईं. इस ऐप का पिछले साल मई माह में शुभारंभ किया गया था, ताकि मनरेगा योजना का उचित निरीक्षण सुनिश्चित हो सके और कार्यस्थल पर मौजूद मजदूरों की रियल-टाइम उपस्थिति दर्ज हो सके.

खबरों के मुताबिक, ऐप में तकनीकी खामियों के चलते कई श्रमिकों को अपनी मजदूरी से हाथ धोना पड़ा है. ऐप का इस्तेमाल करने की बाध्यता ने कई लोगों में निराशा पैदा की है.

उदाहरण के लिए कुछ महिलाओं को स्मार्टफोन खरीदने के लिए ऋण तक लेना पड़ा. इसके अलावा उन्हें हर महीने इंटरनेट के डेटा पैकेज के लिए भी भुगतान करना पड़ता है.

प्रदर्शन के दौरान बिहार की मनरेगा मजदूर मांडवी ने सरकार से कहा कि वह ‘राम मंदिर की राजनीति’ समाप्त करे और देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करे.

कई मजदूरों ने बताया कि उन्हें महंगाई के चलते दो समय के भोजन का इंतजाम करने में भी कठिनाई होती है और कहा कि एलपीजी के एक सिलेंडर की कीमत 1,000 रुपये से अधिक हो गई है.

प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को सार्वभौमिक बनाने की भी मांग की और कहा कि पीडीएस में दालें, बाजरा और तेल को भी शामिल किया जाए.

उन्होंने यह भी मांग की कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को कोविड महामारी के जारी रहने तक बढ़ाया जाना चाहिए.

वर्तमान में 21,850 करोड़ रुपये से अधिक का वेतन अप्रैल 2020 से बकाया है, जिसमें से 6,800 करोड़ रुपये का वेतन अकेले इस साल का है.

पश्चिम बंगाल में दिसंबर 2021 से वेतन नहीं दिया गया है और वर्तमान बकाया 2,500 करोड़ रुपये से ऊपर है.

नरेगा संघर्ष मोर्चा द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही के 18 लाख वेतन चालानों के विश्लेषण से पता चला है कि भारत सरकार द्वारा अनिवार्य 7 दिनों की अवधि के भीतर केवल 29 फीसदी भुगतान जारी किए गए हैं.

बयान में आगे कहा गया है, ‘इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि अपर्याप्त धन आवंटन से मजदूरी के भुगतान में देरी होती है. 31 जुलाई तक बजट का 66.4 फीसदी खर्च हो चुका है और वित्त वर्ष में आठ महीने शेष हैं.’

बयान में आगे कहा गया है कि नरेगा में भ्रष्टाचार वास्तविक चिंता का विषय है और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए सोशल ऑडिट अनिवार्य किया गया है.

हालांकि, सोशल एकाउंटिबिलिटी फोरम फॉर एक्शन एंड रिसर्च (सफर) की रक्षिता स्वामी और पीपुल्स हेल्थ मूवमेंट (पीएचएम), तमिलनाडु की करुणा एम. ने कहा कि भारत सरकार ने खुद ही सोशल ऑडिट के लिए जारी फंड को रोक दिया है.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी. राजा और सीपीआईएमएल की कविता कृष्णन ने भी धरने में भाग लिया और सभी मांगों का समर्थन किया.

इससे पहले मजदूरों के कई प्रतिनिधिमंडल अपने-अपने राज्यों के सांसदों के पास अपनी शिकायतों और मांगों को साझा करने के लिए भी गए थे.

उन्होंने अपनी मांगें और ज्ञापन सांसद आर. कृष्णैया (वाईएसआरसीपी), उत्तम कुमार रेड्डी (आईएनसी), धीरज साहू (आईएनसी), दीया कुमारी (भाजपा) और जगन्नाथ सरकार (भाजपा) को सौंपे.

समाजवादी पार्टी (सपा) कार्यालय में भी दस्तावेजों को सौंपा गया.  इनमें से कुछ सांसदों ने मांगों का समर्थन किया और इन्हें संसद में भी उठाने का आश्वासन दिया.