पन्ना कलेक्टर पंचायत चुनावों में भाजपा के एजेंट बनकर काम कर रहे थे: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

पन्ना ज़िले की गुन्नौर जनपद पंचायत में उपाध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को 25 में से 13 वोट मिलने पर जीत का प्रमाण पत्र दे दिया गया था, जिसके विरोध में भाजपा उम्मीदवार कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा के पास पहुंच गए. कलेक्टर ने एक वोट को रद्द घोषित करके दोनों उम्मीदवारों के बीच ड्रॉ निकलवाया, जिसमें भाजपा उम्मीदवार के नाम की पर्ची निकलने पर उन्हें विजेता घोषित कर दिया गया था.

Panna district collector Sanjay Kumar Mishra. Photo: Facebook/collectorpanna.

पन्ना ज़िले की गुन्नौर जनपद पंचायत में उपाध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को 25 में से 13 वोट मिलने पर जीत का प्रमाण पत्र दे दिया गया था, जिसके विरोध में भाजपा उम्मीदवार कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा के पास पहुंच गए. कलेक्टर ने एक वोट को रद्द घोषित करके दोनों उम्मीदवारों के बीच ड्रॉ निकलवाया, जिसमें भाजपा उम्मीदवार के नाम की पर्ची निकलने पर उन्हें विजेता घोषित कर दिया गया था.

पन्ना जिला कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा. (फोटो साभार: फेसबुक)

भोपाल: मध्य प्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनावों में हार को लेकर पन्ना जिले के एक उम्मीदवार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, उनकी चुनावी याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार (3 अगस्त) को न्यायालय ने जिला कलेक्टर को फटकार लगाते हुए उन्हें ‘सत्तारूढ़ दल का राजनीतिक एजेंट’ बताया है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पन्ना जिला कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा को पंचायत चुनाव के दौरान अपना कर्तव्य निभाने में विफल रहने के लिए फटकार लगाते हुए कहा कि मिश्रा ने ‘सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक एजेंट’ के रूप में काम किया.

अदालत ने आगे कहा कि नौकरशाह ने स्वतंत्र रूप से काम नहीं किया और चुनाव आयोग को उन्हें जिला रिटर्निंग अधिकारी के पद से हटा देना चाहिए था.

अदालती कार्यवाही का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी साझा किया गया, जिसमें न्यायाधीश जस्टिस विवेक अग्रवाल को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘उनका (कलेक्टर को) नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के प्रति कोई सम्मान नहीं है और उन्हें कलेक्टर के पद से हटा दिया जाना चाहिए.’

यह टिप्पणी उस समय आई जब अदालत परमानंद शर्मा द्वारा दायर एक चुनावी याचिका पर सुनवाई कर रही थी. शर्मा ने पन्ना जनपद पंचायत चुनाव में उपाध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक विवादास्पद फैसले के चलते हार गए थे.

शर्मा के वकील काजी फकरुद्दीन ने कहा, ‘अप्रत्यक्ष चुनावों में परमानंद शर्मा को 25 में से 13 वोट मिले, जबकि उनके विरोधी राम शिरोमणि के खाते में 12 वोट गए. 27 जुलाई को शर्मा को विजेता होने का प्रमाण पत्र दिया गया था.’

इसे चुनौती देते हुए शिरोमणि ने मिश्रा से मुलाकात की.

फकरुद्दीन ने आगे कहा, ‘कलेक्टर ने पहले तो शर्मा के चुनाव को शून्य घोषित कर दिया और कम वोट पाने वाले शिरोमणि को विजेता घोषित करने के लिए ड्रॉ निकाला. अपनी याचिका के माध्यम से शर्मा ने विजेता घोषित करने के उनके तरीके को अमान्य सिद्ध करने का प्रयत्न किया है.’

दैनिक भास्कर की एक खबर के मुताबिक, पन्ना की गुन्नौर जनपद पंचायत में उपाध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस नेता परमानंद शर्मा को जीत का प्रमाण पत्र मिलने के बाद हारे हुए भाजपा उम्मीदवार राम शिरोमणि मिश्रा ने एक वोट के बैलेट पर स्याही बीच में लगी होने के चलते कलेक्टर के पास अपील की थी.

कलेक्टर ने वोट निरस्त करके दोनों प्रत्याशियों के बराबर वोट (12-12) मान लिए और अगले दिन पर्ची उठवाकर चुनाव कराया, जिसमें राम शिरोमणि के नाम की पर्ची निकली और वे उपाध्यक्ष बन गए.

बहरहाल, अखबार के मुताबिक, मामले में कलेक्टर मिश्रा का कहना है कि उन्हें अदालती टिप्पणी की जानकारी नहीं है और चुनाव नियम और पारदर्शिता के साथ कराए गए हैं.

बता दें कि जून-जुलाई में हुए चुनावों को लेकर विपक्षी कांग्रेस प्रशासन पर सत्तारूढ़ भाजपा के इशारों पर काम करने का आरोप लगाती रही थी. भाजपा के नेता और सतना की मैहर सीट से चार बार के विधायक नारायण त्रिपाठी ने भी अपने विधानसभा क्षेत्र का दौरा करते हुए कई अधिकारियों को एक विशेष पार्टी का प्रचार करते पाया था.

इस बीच, कांग्रेस नेता और पूर्व मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने ट्वीट करके उनकी पार्टी द्वारा चुनाव के दौरान किए गए प्रशासनिक धांधली संबंधी आरोपों के पुष्ट होने की बात कही है.

जज की टिप्पणी का वायरल वीडियो साझा करते हुए उन्होंने ट्वीट में लिखा है, ‘कांग्रेस पार्टी लगातार यही बात कर रही थी कि कलेक्टर भाजपा सरकार की कठपुतली बनकर कार्य कर रहे हैं.’