पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने हाल में संपन्न हुई 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी को लेकर कहा कि ‘सरकार ने खुद अनुमान लगाया था कि 5जी पांच लाख करोड़ का बिकेगा, लेकिन अब इसकी नीलामी डेढ़ लाख करोड़ रुपये में हुई है. तो बाक़ी का पैसा कहां गया?’
नई दिल्ली: पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा- जिन्होंने हाल ही में संपन्न 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी में ‘बड़ा घोटाला‘ होने का आरोप लगाया था- ने नीलामी से मिली राशि (1.5 लाख करोड़ रुपये) और बिक्री से अनुमानित राजस्व (5 लाख करोड़ रुपये) के बीच के बड़े अंतर का जिक्र करते हुए पूछा, ‘पैसा कहां गया.’
26 जुलाई से शुरू हुई 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी सोमवार 1 अगस्त को संपन्न हुई है.
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, राजा ने गुरुवार, 4 अगस्त को पूछा, ‘पैसा कहां गया? गलती कहां हुई है? इस मौजूदा सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए.’
डीएमके नेता, जो यूपीए सरकार में दूरसंचार मंत्री थे, कथित 2जी घोटाले में आरोपी बनाए गए थे. उस समय राजा की तीखी आलोचना हुई, खासकर भाजपा, जो उस समय विपक्ष में थी, ने उन्हें लगातार निशाने पर लिया था. 2014 के आम चुनावों यह एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा जिसका फायदा भाजपा को मिला.
हालांकि, 2017 में दिल्ली की एक अदालत ने राजा को 34 अन्य लोगों के साथ बरी कर दिया था. कोर्ट का कहना था कि ‘सीबीआई किसी भी आरोपी के खिलाफ किसी भी आरोप, जो इसकी सोची-समझी चार्जशीट में लगाए गए थे, को साबित करने में बुरी तरह विफल रही.’
गुरुवार को चेन्नई में संवाददाताओं से बात करते हुए राजा ने कहा, ‘सरकार ने खुद अनुमान लगाया था कि 5जी पांच लाख करोड़ का बिकेगा, लेकिन अब इसकी नीलामी डेढ़ लाख करोड़ में हुई है.’
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार, वो नीलामी से पहले 22 टेलीकॉम सर्किल के बीच कुल 72 गीगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम के लिए रखे गए 4.3 करोड़ के रिज़र्व मूल्य की बात कर रहे थे. हालांकि, सरकार को इस मूल्य का 35 फीसदी ही मिला है.
द हिंदू के अनुसार, इससे पहले तीन अगस्त को राजा ने इस मामले में जांच की मांग की थी. उन्होंने कहा, ‘जब मैंने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को केवल 30 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की सिफारिश की, तो तत्कालीन कैग विनोद राय ने कहा कि सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. लेकिन अब 51 गीगाहर्ट्ज़ 5जी स्पेक्ट्रम कम कीमत में बेचा जा रहा है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘जब आप इंटरनेट पर कुछ सर्च करते हैं, तो आपको 2जी में 10 सेकेंड लगते हैं, 4जी में पांच और 5जी में आपको एक सेकेंड में रिजल्ट मिलेगा. कितना बढ़िया है 5जी. लेकिन जब आप इस क्षमता से संख्याओं की तुलना करते हैं, तब तो 5जी नीलामी में कम से कम 5 या 6 लाख करोड़ रुपये की बोलियां लगनी चाहिए थीं.’
द न्यूज़ मिनट के मुताबिक, राजा ने बुधवार को कहा, ‘हमें नहीं पता कि क्या गलत था- प्लानिंग या अनुमान, या क्या उन्हें ये संख्या उन्होंने हवा में ही निकाल ली थी, या फिर केंद्र सरकार ने इस घोटाले को अंजाम देने के लिए कुछ कॉरपोरेट कंपनियों के साथ मिलीभगत की है. अब इस सब की जांच होनी चाहिए.’
उल्लेखनीय है कि यूपीए सरकार में दूरसंचार मंत्री रहे ए. राजा को 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले का चेहरा माना जाता था, जो तत्कालीन नियंत्रक और महालेखा परीक्षक विनोद राय के इस दावे के बाद सामने आया था कि 2007-08 में 2जी आवंटन प्रक्रिया के कारण सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ था.
हालांकि, राय के इस अनुमानित नुकसान के आंकड़े पर सवाल उठा था और सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में अनुमानित नुकसान का आंकड़ा 20,000-30,000 करोड़ रुपये के दायरे में बताया था.
राजा के आरोपों के जवाब में वर्तमान टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राजा के दावों को ख़ारिज किया है. उन्होंने बुधवार को द हिंदू से कहा, ‘किसी पूर्व मंत्री के यह सब कहने पर मैं हैरान हूं. कई बैंड्स की बिक्री नहीं हुई है और जो नहीं बिका है वो सरकार के पास ही है. यह घोटाला कैसे हो गया?’
उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि कुल नीलामी में रखे गए स्पेक्ट्रम ने से 1,50,173 करोड़ रुपये की कीमत का स्पेक्ट्रम बिका है और बिना बिके स्पेक्ट्रम की कीमत 2,81,432 करोड़ रुपये है. उन्होंने यह भी बताया कि 600 मेगाहर्ट्ज और 2300 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम बैंड ऐसे सेगमेंट की कमजोर इकोसिस्टम के कारण बिल्कुल नहीं बिके.
5जी सेवा के लिए 71 प्रतिशत स्पेक्ट्रम की बिक्री हुई: सरकार
इस बीच, सरकार ने बुधवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय मोबाइल सेवा/5जी के लिए विभिन्न स्पेक्ट्रम बैंडों में नीलामी के लिए रखे गए कुल स्पेक्ट्रम का 71 प्रतिशत बेचा जा चुका है.
संचार राज्य मंत्री देवु सिंह चौहान ने लोकसभा में बताया कि नीलामी के लिए रखे गए कुल स्पेक्ट्रम का 71 प्रतिशत बेचा जा चुका है स्पेक्ट्रम के लिए बोली की कुल राशि 1,50,173 करोड़ रुपये है जिसके लिए करीब 40 राउंड में बोलीदाताओं ने अधिकार प्राप्त किए.
मंत्री ने बताया कि 20 वर्ष की वैधता अवधि के साथ कुल 72097.85 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी की गई है. दूरसंचार मंत्रालय के अनुसार, भारत में आगामी अक्टूबर महीने से 5जी लाया जाएगा.
रिलायंस जियो रहा सबसे बड़ा बोलीदाता
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, रिलायंस जियो ने 88,078 करोड़ रुपये की बोली के साथ 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में बिके कुल स्पेक्ट्रम में से करीब आधा हिस्सा हासिल किया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अडाणी समूह की कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज ने 212 करोड़ रुपये में 400 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम खरीदा है. यह कुल बिके स्पेक्ट्रम के एक प्रतिशत से भी कम है. समूह ने उस बैंड में स्पेक्ट्रम खरीदा है जिसका उपयोग सार्वजनिक टेलीफोन सेवा में नहीं किया जाता है.
इसके अलावा सुनील भारती मित्तल की भारती एयरटेल ने 43,084 करोड़ रुपये जबकि वोडाफोन आइडिया ने 18,799 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम खरीदा है.