अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के विरोध में अमेरिका के साथ कई सहयोग कार्यक्रमों पर रोक लगाने के बीच अफ़ग़ानिस्तान के लिए चीन के विशेष दूत यू. शाओयोंग इस युद्ध प्रभावित राष्ट्र में सुरक्षा हालातों और मानवीय सहायता पर भारतीय अधिकारियों से चर्चा करने के लिए पहली बार भारत आए.
बीजिंग/नई दिल्ली: अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के विरोध में बदले की कार्रवाई करते हुए शुक्रवार को चीन ने कहा कि वह कई क्षेत्रों में अमेरिका के साथ सहयोग रोक रहा है, जिनमें वरिष्ठ स्तर के सैन्य कमांडरों के बीच संवाद और जलवायु वार्ता शामिल हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, चीन के विदेश मंत्री ने साथ ही कहा कि वह आठ विशेष पैमानों में से क्रॉस-बॉर्डर अपराध और मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध प्रवासियों को स्वदेश वापस भेजने पर अमेरिका के साथ सहयोग को भी निलंबित कर रहा हैं.
पेलोसी द्वारा अपने एशियाई दौरे के अंतिम चरण में जापान छोड़ने के तुरंत बाद जारी एक बयान में चीन ने समुद्री सैन्य सुरक्षा तंत्र पर एक नियोजित द्विपक्षीय बैठक को भी रद्द कर दिया.
चीन ने अलग से घोषणा की कि वह पेलोसी और उनके करीबी परिजनों पर उनके द्वारा किए गए शातिर और उकसाने वाले कार्यों के जवाब में व्यक्तिगत प्रतिबंध लगाएगा.
इस हफ्ते पेलोसी द्वारा की गई स्व-शासित ताइवान की संक्षिप्त यात्रा ने चीन को नाराज कर दिया और द्वीप के चारों ओर समुद्री और हवाई क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चीन ने सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया. बता दें कि चीन ताइवान पर अपना दावा करता है.
रॉयटर्स को मामले की जानकारी देते हुए एक चीनी सूत्र ने बताया कि करीब 10 चीनी नौसेना जहाज और 20 सैन्य विमान शुक्रवार की सुबह ताइवान की स्ट्रेट मीडियन लाइन को पार गए.
इससे पहले ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि उसकी सेना ने विमानों और जहाजों को भेजा है और वहां की स्थिति पर नजर रखने के लिए भूमि आधारित मिसाइल प्रणाली तैनात की है. बीते चार अगस्त को को लाइव-फायर अभ्यास के दौरान चीन ने ताइवान के आसपास के पानी में कई मिसाइलें दागीं थीं.
चीन के विशेष दूत ने पहली बार अफगानिस्तान को लेकर भारत से चर्चा की
नई दिल्ली: अमेरिका के साथ कई सहयोग कार्यक्रमों पर रोक लगाने के बीच अफगानिस्तान के लिए चीन के विशेष दूत यू. शाओयोंग इस युद्ध प्रभावित राष्ट्र में सुरक्षा हालातों और मानवीय सहायता पर भारतीय अधिकारियों से चर्चा करने के लिए पहली बार भारत आए.
आधिकारिक सूत्रों ने द वायर को बताया कि चीन ने ही बैठक का अनुरोध किया था. यह किसी चीनी विशेष दूत द्वारा अफगानिस्तान के मसले पर पहली भारत यात्रा है.
मार्च में चीनी विदेश मंत्री की यात्रा के बाद यह इस साल किसी वरिष्ठ चीनी अधिकारी की दूसरी भारत यात्रा है.
भारत की ओर से यात्रा के बारे में कोई भी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई थी. यात्रा को लेकर एकमात्र सूचना बीते चार अगस्त की रात को चीनी राजनयिक द्वारा एक ट्वीट में दी गई थी.
यू. शाओयोंग ने ट्वीट किया था कि उन्होंने विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव से विचार साझा किए हैं. उन्होंने अपने ट्विटर एकाउंट पर पोस्ट किया, ‘दोनों अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए तालमेल में वृद्धि करने, संवाद बढ़ाने और सकारात्मक ऊर्जा देने पर सहमत हुए हैं.’
Good to visit India first time ever meeting w/ Mr. I. P. Singh, Joint Secre’y of Indian FM and exchanged views on Afghanistan. Both agreed to encourage engagement, enhance dialogue and give positive energy for Afghan peace and stability. pic.twitter.com/HqtpVfadrW
— Dr. Yue Xiaoyong岳晓勇(Yueh Hsiaoyung) (@stuartyueh) August 4, 2022
सूत्रों ने दावा किया कि बैठक इसलिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि चीन से पाकिस्तान के करीबी संबंध होने के बावजूद इस बैठक से पता चला कि भारत अफगानिस्तान में एक महत्वपूर्ण हितधारक है. आगे अधिकारियों ने बताया कि यह शायद काबुल में तैनाती के लिए एक तकनीकी टीम भेजने के नई दिल्ली के फैसले को भी स्वीकृति है.
सूत्रों ने बताया कि चर्चा अफगानिस्तान में सुरक्षा हालातों और मानवीय सहायता के इर्द-गिर्द घूमती रही. उन्होंने और अधिक जानकारी नहीं दी.
हालांकि यह चीनी विशेष दूत द्वारा नई दिल्ली की पहली यात्रा है, लेकिन भारत और चीन पहले भी अफगानिस्तान में एक संयुक्त परियोजना पर काम कर चुके हैं.
अप्रैल 2018 के अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ‘अफगानिस्तान में भारत और चीन के बीच सहयोग की संभावना’ पर चर्चा की थी.
बाद में उसी वर्ष दोनों एशियाई पड़ोसियों ने अफगानी राजनयिकों के लिए एक संयुक्त क्षमता विकास कार्यक्रम शुरू किया था. संयुक्त कार्यक्रम के कम से कम दो दौर थे, जिनमें चयनित अफगानी राजनयिकों ने दो सप्ताह के गहन पाठ्यक्रम में विभिन्न विषयों में प्रशिक्षित होने के लिए भारत और चीन की यात्रा की.
हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण सहयोग में ठहराव आ गया. इसके बाद 2020 में पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध चलते दोनों देशों के संबंध बिगड़ गए.
अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद दोनों देशों का रुख अलग-अलग देखा गया था. भारत ने तत्काल ही अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया था, जबकि चीन ने अपना दूतावास खुला रखा और पिछले कुछ वर्षों में तालिबानी नेतृत्व के साथ रही अपनी घनिष्ठता का प्रदर्शन किया.
हालांकि चीन ने तालिबान सरकार को आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है, लेकिन उसकी पहुंच अफगानिस्तान के नये अधिकारियों तक है. चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने दो साल में पहली बार नई दिल्ली पहुंचने से ठीक पहले काबुल की यात्रा भी की थी.
पिछले नवंबर में भारत ने अफगानिस्तान पर एक क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता का आयोजन किया था, लेकिन केवल चीन और पाकिस्तान ने निमंत्रण ठुकरा दिया था. चीन ने दावा किया था कि जो मुद्दे इस वार्ता के लिए तय किए गए हैं, उन्होंने उसके प्रतिनिधियों को इस फोरम में भाग लेने से रोक दिया.