झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के सभी विभागों में अधिकारियों के प्रमोशन पर रोक लगाई

झारखंड हाईकोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया, जिसमें दावा किया गया है कि पुलिस विभाग के हाल के एक फैसले से सामान्य श्रेणी के कर्मचारियों के प्रमोशन पाने की संभावनाएं बाधित होंगी.

झारखंड हाईकोर्ट. (फाइल फोटो: पीटीआई)

झारखंड हाईकोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया, जिसमें दावा किया गया है कि पुलिस विभाग के हाल के एक फैसले से सामान्य श्रेणी के कर्मचारियों के प्रमोशन पाने की संभावनाएं बाधित होंगी.

झारखंड हाईकोर्ट. (फोटो: पीटीआई)

रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने फिलहाल राज्य सरकार के सभी विभागों के अधिकारियों की पदोन्नति (Promotion) पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है.

जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया. इस याचिका में दावा किया गया है कि पुलिस विभाग के हाल के एक फैसले से सामान्य श्रेणी के कर्मचारियों की प्रोन्नति पाने की संभावनाएं बाधित होंगी.

मामले की सुनवाई की अगली तारीख 18 अगस्त है. अदालत ने तब तक राज्य में सभी विभागों में प्रोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अदालत ने पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा और राज्य सरकार को इस मामले में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया.

याचिकाकर्ता श्रीकांत दुबे ने प्रस्तुत किया कि डीजीपी ने 23 जून को सहायक उप-निरीक्षकों (एएसआई) को उप-निरीक्षक (एसआई) के पद पर पदोन्नति देने का आदेश जारी किया था.

याचिकाकर्ता के अनुसार, डीजीपी के आदेश में कहा गया है कि आरक्षित वर्ग के एएसआई सामान्य श्रेणी में पदोन्नति की मांग कर सकते हैं.

याचिकाकर्ता ने कहा कि सामान्य वर्ग के लोगों को ऐसी कोई स्वतंत्रता नहीं दी जाती है. उन्होंने दावा किया कि इससे पुलिस बल में सामान्य और आरक्षित श्रेणियों के एएसआई के बीच विभाजन भी होगा.

याचिकाकर्ता ने कहा कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को एक फायदा मिलेगा, जबकि सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को पदोन्नति पाने में बाधाओं का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि उनके लिए (एसआई) पदों की संख्या कम हो जाएगी.

इससे पहले जनवरी 2020 में राज्य सरकार ने एससी/एसटी आरक्षण नियमों के अनुपालन पर कर्मचारियों की पदोन्नति पर खुद ही रोक लगा दी थी. इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी जिसने सरकार से इस साल जनवरी में प्रतिबंध हटाने को कहा था.

बीते तीन अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने 13 अनुसूचित क्षेत्रों के स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरी में 100 फीसदी आरक्षण देने के झारखंड सरकार के 2016 के फैसले को खारिज कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)