बिहार के छपरा ज़िले का मामला. कथित ज़हरीली शराब पीने वाले कुछ लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई है. पुलिस ने बताया कि पांच लोगों को कथित रूप से अवैध शराब बनाने और उसकी बिक्री में शामिल होने को लेकर गिरफ़्तार किया गया है, जबकि संबंधित थाने के एसएचओ और स्थानीय चौकीदार को निलंबित किया गया है. राज्य में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है.
छपरा: बिहार के सारण (छपरा) जिले में कथित जहरीली शराब पीने के कारण अब तक कम से कम 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 12 अन्य गंभीर रूप से बीमार हो गए.
अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि कथित जहरीली शराब पीने वाले कुछ लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई है.
जिलाधिकारी राजेश मीणा और पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार ने छपरा में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पांच लोगों को कथित रूप से अवैध शराब बनाने और उसकी बिक्री में शामिल होने को लेकर गिरफ्तार किया गया है, जबकि संबंधित थाने के एसएचओ और स्थानीय चौकीदार को निलंबित किया गया है.
उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘बृहस्पतिवार (चार जुलाई) को सूचना मिली थी कि शराब पीने के बाद दो लोगों की मौत हो गई और कई लोग बीमार हो गए. यह घटना मेकर थाना क्षेत्र के फुलवरिया पंचायत के गांवों से सामने आई थी.’
उन्होंने बताया, ‘पुलिस, आबकारी और चिकित्सा अधिकारियों की एक टीम को मौके पर भेजा गया और बीमार पड़ गए लोगों को यहां सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. जिनकी हालत बिगड़ गई उन्हें पटना के पीएमसीएच अस्पताल ले जाया गया.’
प्रभात खबर की रिपोर्ट के मुताबिक, जिले के मकेर थाना क्षेत्र के भाथा और सोनहों में छह और लोगों की मौत हो गई, जिससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है. वहीं, डेढ़ दर्जन बीमार लोगों में से चार-पांच की स्थिति गंभीर बताई जा रही है.
इस मामले में एसपी ने मकेर के थानाध्यक्ष नीरज मिश्रा और फुलवरिया के चौकीदार मुन्ना मांझी को जहरीले पेय पदार्थ की बिक्री रोकने के प्रति उदासीनता और लापरवाही बरतने को लेकर निलंबित कर दिया है. उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है. इसके अलावा पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 94 लोग हिरासत में लिए गए हैं.
जब मुख्यमंत्री के करीबी एवं मंत्रिमंडलीय सहयोगी अशोक चौधरी से कहा गया कि ऐसी घटनाओं के आलोक में मद्यनिषेध कानून की प्रभावकारिता पर प्रश्न उठाए जा रहे हैं तब उन्होंने कहा, ‘दहेज, बलात्कार एवं बिना लाइसेंस वाले हथियार भी रुके नहीं हैं, लेकिन क्या इससे उनके विरूद्ध बने कानूनों को निरस्त करने की मांग उठती है. ऐसे तत्व हैं, जो बिहार में मद्यनिषेध अभियान को सफल नहीं देना चाहते हैं.’
रिपोर्ट के अनुसार, सोनहों गांव के मृतकों में नंदकिशोर प्रसाद और जितेंद्र साह शामिल हैं. वहीं भाथा गांव के मृतकों में विश्वनाथ महतो, चंदेश्वर महतो, कामेश्वर महतो और लखन महतो आदि शामिल हैं. सभी की उम्र 30 से 50 वर्ष के बीच बतायी जा रही है.
घटना के बाद भाथा गांव के मृतक राजनाथ महतो के पुत्र अमरजीत कुमार ने मकेर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. उन्होंने भेल्दी थाने के किचपुर गांव के पांच शराब धंधेबाजों को अपने पिता और अन्य लोगों की मौत का जिम्मेदार बताया है.
जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव शुक्रवार को मृतकों के बाद परिजन से मिलने पटना के पीएमसीएच अस्पताल पहुंचे. उन्होंने मृतक के परिजनों के लिए सरकार से मुआवजे के साथ-साथ सरकारी नौकरी की भी मांग की. उन्होंने कहा कि कहा कि प्रदेश में प्रशासनिक तंत्र की विफलता के कारण लोगों की मौत हुई है.
पप्पू यादव ने मौतों के लिए शराब माफिया को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि शराब माफियाओं को सत्ता पक्ष और विपक्ष का संरक्षण प्राप्त है. साथ ही इसमें अधिकारियों की भी मिलीभगत है. इस वजह से प्रदेश में शराबबंदी सिर्फ दिखावा बनकर रह गया है. उन्होंने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है.
मालूम हो कि बीते मई महीने में पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार के औरंगाबाद जिले में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से पांच लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद पुलिस ने 67 लोगों को गिरफ्तार किया था.
गौरतलब है कि बिहार में अप्रैल 2016 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा शराब की बिक्री और खपत पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि, दूसरे राज्यों से तस्करी कर लाए गए शराब की जब्ती आए दिन होने के अलावा पिछले छह महीनों में कथित जहरीली शराब पीने से चार दर्जन से अधिक लोगों की हुई है.
बिहार में शराबबंदी पर अमल को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. राज्य में कथित तौर पर जहरीली शराब से लोगों की मौत की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं. इससे पहले राज्य के दो जिलों- भागलपुर और मधेपुरा में बीते मार्च महीने में होली के त्योहार के दौरान कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई थी.
बीते जनवरी महीने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृहजिले नालंदा में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से चार लोगों की मौत हो गई थी.
पिछले साल दीपावली के आसपास बिहार के चार जिलों (पश्चिम चंपारण, गोपालगांज, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर) में अवैध शराब ने 40 से अधिक लोगों की जान ले ली थी, जिसके बाद बिहार में मद्य निषेध कानून को लेकर सवाल उठने लगे थे.
पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है कि दिसंबर 2021 तक शराबबंदी कानून के तहत 3.5 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए और चार लाख से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया.
26 दिसंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने किसी कानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी के उदाहरण के रूप में बिहार के शराबबंदी कानून का हवाला दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)