राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने पाकिस्तान में उत्पीड़न का शिकार हुए और 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए अल्पसंख्यकों के लिए एक परीक्षा देने के बाद उनके लिए मेडिकल क्षेत्र में स्थायी रजिस्ट्रेशन की अनुमति दे दी. इसके लिए आवेदक के पास चिकित्सा क्षेत्र में वैध योग्यता होनी चाहिए और उसने भारत आने से पहले पाकिस्तान में डॉक्टर के रूप में सेवाएं दी हों.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने पाकिस्तान में उत्पीड़न का शिकार हुए और 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए अल्पसंख्यकों के लिए देश में डॉक्टर के रूप में सेवाएं देने के द्वार खोल दिए हैं.
एनएमसी ने बीते शनिवार को एक परीक्षा देने के बाद उनके लिए स्थायी पंजीकरण की अनुमति दे दी. एनएमसी ने कहा कि देश में कहीं भी प्रैक्टिस करने के लिए सभी डॉक्टरों को अपने संबंधित राज्य आयोगों के यहां रजिस्टर होना होगा.
यह केवल उन लोगों के लिए लागू होगा, जो पाकिस्तान से भागकर 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत में नागरिकता प्राप्त कर चुके हैं.
एनएमसी ने ऐसे लोगों के आवेदन आमंत्रित किए हैं, जिन्होंने आधुनिक चिकित्सा या एलोपैथी के क्षेत्र में काम करने के वास्ते स्थायी पंजीकरण कराने के लिए भारतीय नागरिकता प्राप्त की है.
एनएमसी के स्नातक चिकित्सा शिक्षा बोर्ड (यूएमईबी) द्वारा शुक्रवार (पांच अगस्त) को जारी एक नोटिस के अनुसार, छांटे गए आवेदकों को आयोग या उससे अधिकृत एजेंसी द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी.
एनएमसी ने जून में विशेषज्ञों के एक समूह का गठन किया था, ताकि पाकिस्तान में उत्पीड़न का शिकार हुए उन अल्पसंख्यक चिकित्सा स्नातकों के लिए प्रस्तावित परीक्षा संबंधी दिशा-निर्देश तैयार किए जा सकें, जो पाकिस्तान से भारत आ गए थे और यहां चिकित्सा क्षेत्र में स्थायी पंजीकरण कराने के लिए भारत की नागरिकता ली थी.
स्नातक चिकित्सा शिक्षा बोर्ड की अधिसूचना के मुताबिक, आवेदक के पास चिकित्सा क्षेत्र में वैध योग्यता होनी चाहिए और उसने भारत आने से पहले पाकिस्तान में डॉक्टर के रूप में सेवाएं दी हों. आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि पांच सितंबर है.
अधिसूचना के अनुसार, आयोग द्वारा एजेंसियों/विभागों के परामर्श से आवेदनों की जांच की जाएगी और केवल शॉर्टलिस्ट किए गए लोगों को ही परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी. अधिसूचना में कहा गया है कि परीक्षा ‘आयोग या आयोग द्वारा अधिकृत किसी भी एजेंसी द्वारा’ आयोजित की जाएगी.
इस परीक्षा को पास करने वाले आवेदकों को मेडिकल प्रैक्टिस के लिए स्थायी रजिस्ट्रेशन दे दिया जाएगा.
बीते जून महीने में एनएमसी ने ऐसे मेडिकल स्नातकों को भारत में प्रैक्टिस करने के लिए सक्षम बनाने के लिए प्रस्तावित परीक्षण के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए विशेषज्ञों के एक समूह का गठन किया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल की शुरुआत में चिकित्सा शिक्षा नियामक ने भारतीय छात्रों को चिकित्सा या दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने के लिए पाकिस्तान की यात्रा करने के खिलाफ चेतावनी दी थी, जिसमें कहा गया था कि ऐसे छात्र स्क्रीनिंग टेस्ट के लिए पात्र नहीं होंगे, जिससे (टेस्ट) अन्य देशों के मेडिकल स्नातकों को भारत में रजिस्ट्रेशन पाने के लिए गुजरना पड़ता है.
अधिसूचना में उन प्रवासियों और उनके बच्चों के लिए अपवाद बताया गया है, जिन्होंने गृह मंत्रालय से सुरक्षा मंजूरी मिलने के बाद पहले ही पाकिस्तान में अपनी मेडिकल डिग्री हासिल कर ली है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने भारतीय विद्यार्थियों से 22 अप्रैल 2022 को एक एडवाइजरी जारी कर कहा था कि वे पाकिस्तान के किसी कॉलेज या शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश न लें, अन्यथा वे अपने देश में कोई नौकरी या उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए पात्र नहीं रहेंगे.
चीन के संस्थानों में भारतीय विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हासिल करने से बचने की चेतावनी देने के एक माह के भीतर यूजीसी और एआईसीटीई की ओर से संयुक्त रूप से यह परामर्श जारी किया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)