खाद्य सुरक्षा पाने वाले 70 लाख लाभार्थी संदिग्ध, राज्यों से सत्यापन के लिए कहा: सरकार

केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने बताया है कि 2013 से 2021 के बीच राज्यों द्वारा 4.74 करोड़ राशन कार्ड रद्द किए गए हैं, जिनमें से 4.28 करोड़ को 2014 से 2021 के बीच रद्द किया गया है. उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 1.73 करोड़ कार्ड रद्द किए गए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने बताया है कि 2013 से 2021 के बीच राज्यों द्वारा 4.74 करोड़ राशन कार्ड रद्द किए गए हैं, जिनमें से 4.28 करोड़ को 2014 से 2021 के बीच रद्द किया गया है. उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 1.73 करोड़ कार्ड रद्द किए गए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 70 लाख लाभार्थियों को ‘संदिग्ध’ पाया है और उनके जमीनी सत्यापन के लिए राज्यों के साथ उनकी जानकारी साझा की है.

बीते पांच अगस्त को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान यह जानकारी खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने दी. पांडेय ने साथ ही बताया कि वर्ष 2013 से 2021 के बीच राज्यों द्वारा 4.74 करोड़ राशन कार्ड रद्द कर दिए गए हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पांडेय ने कहा, ‘हाल ही में ऐसी ही एक कवायद में करीब 70 लाख लाभार्थियों को संदिग्ध पाया गया है और अब उस डेटा को फिर से संबंधित राज्यों में जमीनी सत्यापन के लिए भेज दिया है.’

उन्होंने कहा कि यदि उन 70 लाख में से 50 या 60 फीसदी भी असली नहीं पाए जाते हैं तो वह जगह खाली हो सकती है. इस तरह, यह एक सतत अभ्यास है.

एक सवाल के जवाब में पांडेय ने कहा कि 4.74 करोड़ राशन कार्ड मतलब कि करीब 19 करोड़ लाभार्थी हटा दिए गए हैं और उनके स्थान पर नए लाभार्थियों को जोड़ा गया है.

पांडेय ने कहा, ‘(इस तरह से) जगह खाली करना एक सतत प्रक्रिया है. आज कोई व्यक्ति हकदार हो सकता है, लेकिन कल को उसकी आर्थिक स्थिति सुधरने पर वह हकदार नहीं होगा. उसे हटाया जा सकता है और अन्य व्यक्ति उसकी जगह लेगा.’

खाद्य मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, पिछले नौ सालों में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा रद्द किए गए 4.74 करोड़ राशन कार्ड में से 4.28 करोड़ को 2014 से 2021 के बीच रद्द किया गया है.

आंकड़े दिखाते हैं कि 2016 में 84.26 लाख राशन कार्ड रद्द किए गए थे. नौ वर्षों के उपलब्ध आंकड़ों में यह संख्या सर्वाधिक है.

आंकडे़ साथ ही यह भी दिखाते हैं कि कोविड महामारी के दो सालों (2020 और 2021) के दौरान 46 लाख राशन कार्ड या तो हटाए गए या रद्द किए गए हैं.

डेटा का राज्यवार विश्लेषण दिखाता है कि रद्द किए 4.74 करोड़ राशन कार्ड में सर्वाधिक संख्या 1.73 करोड़ उत्तर प्रदेश की है. इसके बाद पश्चिम बंगाल (68.62 लाख), महाराष्ट्र (42.66 लाख), कर्नाटक (30.09 लाख) और राजस्थान (22.66 लाख) का नंबर आता है.

2013 के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत देश भर में 81.35 करोड़ लोगों को कवर किया जा सकता है. खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, वर्तमान में एनएफएसए के तहत 79.74 करोड़ आबादी लाभ उठा रही है.

पांडेय ने बताया कि एनएफएसए के तहत अभी भी 1.58 करोड़ लोगों को लाभ पहुंचाया जा सकता है. इसके साथ ही उन्होंने 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राशन कार्ड जारी करने के लिए एक साझा पंजीकरण सुविधा की शुरुआत की.

इस पंजीकरण का उद्देश्य बेघर लोगों, निराश्रितों, प्रवासियों और अन्य पात्र लाभार्थियों को राशन कार्ड के लिए आवेदन करने में सक्षम बनाना है.

खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि ‘सामान्य पंजीकरण सुविधा’ (माई राशन-माई राइट) का उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पात्र लाभार्थियों की शीघ्र पहचान करना है. साथ ही, इस तरह के लोगों की राशन कार्ड जारी करने में मदद करना है, ताकि वे एनएफएसए के तहत पात्रता का लाभ उठा सकें.

सचिव ने बताया कि शुरुआत में वेब आधारित नई सुविधा 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पायलट आधार पर उपलब्ध होगी. इस महीने के अंत तक सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इसे शुरू कर दिया जाएगा.

पांडेय के अनुसार, इन 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में असम, गोवा, लक्षद्वीप, महाराष्ट्र, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, पंजाब और उत्तराखंड शामिल हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)