भाजपा सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल द्वारा प्रस्तुत किए गए ‘अनिवार्य मतदान विधेयक’ पर चर्चा के जवाब में क़ानून और न्याय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा कि अगर कुछ लोग वोट डालना नहीं चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. यह व्यावहारिक नहीं है कि अपने मताधिकार का प्रयोग न करने पर लोगों को दंडित किया जाए.
नई दिल्ली: कानून और न्याय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने शुक्रवार को कहा कि मतदान कर्तव्य नहीं, बल्कि अधिकार है और अनिवार्य मतदान का विचार लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, 2019 में भाजपा सांसद जनार्दन सिंह ‘सिग्रीवाल’ द्वारा प्रस्तुत किए गए ‘अनिवार्य मतदान विधेयक’ पर चर्चा का जवाब देते हुए हुए बघेल ने कहा कि अगर कुछ लोग वोट नहीं डालना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.
बघेल ने उल्लेख किया कि गुजरात विधानसभा ने मतदान को अनिवार्य बनाने वाला एक प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन इस पर हाईकोर्ट द्वारा रोक लगा दी गई.
उन्होंने कहा कि वे अनिवार्य मतदान को लेकर सदस्यों की भावनाओं से सहमत हैं, लेकिन यह व्यावहारिक नहीं है कि अपने मताधिकार का प्रयोग न करने पर लोगों को दंडित किया जाए.
बघेल ने कहा कि फिलिपींस, स्पेन, सिंगापुर, थाईलैंड, तुर्की, उरुग्वे, वेनेजुएला, बुल्गारिया और चिली समेत विश्व के कई देशों ने अनिवार्य मतदान के प्रयोग की कोशिश की, लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि इसने कुछ असमानताओं को जन्म दिया, जो हानिकारक थीं.
अपने भाषण के दौरान बघेल ने विपक्षी कांग्रेस पार्टी पर हमलावर होते हुए कहा कि वह मतदान केंद्रों पर आने के लिए लोगों को आकर्षित नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि 2009 की तुलना में 2014 में मतदान में 8.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, क्योंकि लोग नरेंद्र मोदी को अपने प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते थे.
उन्होंने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में अब तक का सर्वाधिक 66.11 प्रतिशत मतदान हुआ था.
सिग्रीवाल से विधेयक वापस लेने का आग्रह करते हुए बघेल ने कहा कि 2004 में बीएस रावत और 2009 में जेपी अग्रवाल ने ऐसा ही निजी सदस्य विधेयक पेश किया था, लेकिन बाद में उन्होंने वापस ले लिया.
इसके बाद सिग्रीवाल ने विधेयक वापस ले लिया. विधेयक में उन पात्र मतदाताओं की सूची उपलब्ध कराने का प्रावधान प्रस्तावित था, जिन्होंने मतदान नहीं किया.