निषादों को आरक्षण देने की मांग को लेकर साल 2015 में उत्तर प्रदेश में गोरखपुर शहर के सहजनवा क्षेत्र में हुए उग्र आंदोलन में संजय निषाद समेत 37 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था. इस दौरान पुलिस के साथ हुई झड़प के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई और 24 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे.
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश में गोरखपुर की एक स्थानीय अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार के मत्स्य पालन मंत्री डॉक्टर संजय निषाद के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी किया है.
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्री को 10 अगस्त तक गिरफ्तार कर अदालत में पेश करने का आदेश दिया गया है. आदेश के अनुपालन की जिम्मेदारी गोरखपुर की शाहपुर पुलिस को दी गई है.
गोरखपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) द्वारा राज्य सरकार के मंत्री और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) के प्रमुख डॉक्टर संजय निषाद के खिलाफ वर्ष 2015 में आंदोलन के एक मामले में यह गैर-जमानती वॉरंट जारी किया गया है.
अधिवक्ता सुशील साहनी ने बताया कि वर्ष 2015 में निषाद आरक्षण को लेकर गोरखपुर में सहजनवां क्षेत्र के कसरवल में हुए आंदोलन में दर्ज मामले में सीजेएम की अदालत ने चार अगस्त को प्रदेश के मत्स्य मंत्री डॉक्टर संजय निषाद के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी किया और यह छह अगस्त को शाहपुर थाने को भेज दिया गया था.
हालांकि, संजय निषाद के अधिवक्ता सुरेंद्र निषाद ने वॉरंट को जमानती बताते हुए कहा कि संजय निषाद 10 अगस्त को अदालत के सामने पेश होंगे. निषाद पार्टी के मीडिया प्रभारी निक्की निषाद ने बताया कि फिलहाल संजय निषाद विशाखापत्तनम में हैं.
गौरतलब है कि निषादों को आरक्षण देने की मांग को लेकर 2015 में हुए उग्र आंदोलन में संजय निषाद समेत 37 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. संजय निषाद (मामले में) की सुनवाई सीजेएम अदालत में चल रही है. इसे एमपी/एमएलए अदालत में स्थानांतरित किया जाना है.
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, मामले में नामजद डॉ. संजय ने 21 दिसंबर 2015 को कोर्ट में सरेंडर किया था और जेल भेजे गए थे. 14 जनवरी 2016 को जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आए. यह मामला सीजेएम कोर्ट में विचाराधीन है. अब सीजेएम ने गैर जमानती वारंट जारी करके डॉ. संजय निषाद को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है.
निषाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र मणि निषाद ने कहा कि समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान निषाद पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे और ये मामले फर्जी हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस ने पार्टी कार्यकर्ताओं को पीटा था और पुलिस फायरिंग में पार्टी के एक सदस्य की कथित तौर पर मौत हो गई थी.
निषाद पार्टी के पदाधिकारी राज्य सरकार से फर्जी मामले वापस लेने की मांग कर रहे हैं. सात जून 2015 को निषाद पार्टी ने सरकारी नौकरियों में निषाद समुदाय के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर गोरखपुर के सहजनवा क्षेत्र के कसरवल में धरना प्रदर्शन किया.
प्रदर्शनकारियों ने रेलवे लाइन को जाम कर दिया था और जब झड़प के दौरान विवाद बढ़ा तो पुलिस ने बल प्रयोग किया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और 24 पुलिसकर्मी घायल हो गए.
संजय निषाद और अन्य के खिलाफ दंगा, तोड़फोड़, आगजनी और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. निषाद पार्टी सत्तारूढ़ दल भाजपा की सहयोगी है और यूपी विधानसभा में उसके छह विधायक हैं.
इस बीच निषाद पार्टी की ओर से जारी एक बयान में संजय निषाद ने कहा, ‘आगामी 10 तारीख को माननीय न्यायालय के समक्ष मैं उपस्थित होकर अपना पक्ष रखूंगा. मुझे न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास है कि वह वर्ष 2015 में मेरे निषाद भाइयों के साथ की गई बर्बरता और तत्कालीन सपा सरकार द्वारा लादे गये फर्जी मुकदमों के मामले में न्याय करेगी.’
उन्होंने दावा किया, ‘मैं निषाद राज का सिपाही हूं, अपने समाज के हक-हकूक के लिए जीवन की अंतिम सांस तक लड़ने व जेल में रहने के लिए भी तैयार हूं. समाज के हक और अधिकार की लड़ाई को मैं सड़क और सदन के माध्यम से लगातार उठा रहा हूं और उठाता रहूंगा.’
निषाद ने कहा कि उनके विरोधियों और समाज के विभीषणों ने यह झूठा प्रचार किया की अदालत ने उनको गिरफ्तार कर पेश करने के लिए कहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)