शनिवार को कानपुर की एक अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार में लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम मंत्री राकेश सचान को अवैध हथियार रखने के 31 साल पुराने मामले में दोषी ठहराया था. इस दौरान सचान दोषी क़रार दिए जाने के अदालती आदेश की फाइल लेकर वहां से भाग गए थे.
कानपुर: उत्तर प्रदेश के कुटीर, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री राकेश सचान को अवैध रूप से हथियार रखने के एक मामले में सोमवार को कानपुर की एक अदालत ने एक साल के कारावास और 1,500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है. अभियोजन पक्ष ने इसकी जानकारी दी.
अभियोजन अधिकारी ऋचा गुप्ता ने बताया कि कैबिनेट मंत्री सचान ने सोमवार को कानपुर के अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट-तृतीय की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया.
उन्होंने बताया कि उनके साथ उनके वकीलों का एक पैनल भी पहुंचा था और प्रक्रिया पूरी होने के बाद अदालत ने मंत्री को एक साल के कारावास और 1,500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. गुप्ता ने बताया कि हालांकि उन्हें जमानत भी मिल गई.
उन्होंने बताया कि सचान को निजी मुचलके पर जमानत दे दी गई. उन्हें सत्र अदालत में अपील के लिए 15 दिन का समय दिया गया है.
इस बीच, सचान के वकील कपिलदीप सचान ने बताया, ‘हमें अदालत के आदेश की प्रति प्राप्त हो गई है. उसका अध्ययन किया जा रहा है और हम सत्र अदालत में जल्द ही अपील दाखिल करेंगे.’
गौरतलब है कि वर्ष 1991 में पुलिस ने सचान के पास से अवैध रूप से रखा गया एक हथियार बरामद किया था. इस मामले में उनके खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था और उस वक्त वह समाजवादी पार्टी के नेता थे.
सचान को अदालत ने गत शनिवार को दोषी ठहराते हुए बचाव पक्ष को सजा पर बहस शुरू करने के लिए कहा था. इसी दौरान सचान दोषी करार दिए जाने के अदालत के आदेश की फाइल लेकर वहां से भाग गए थे.
हालांकि सचान ने अदालत से भागने के आरोप को गलत बताते हुए दावा किया कि उनका मुकदमा अंतिम निर्णय के लिए सूचीबद्ध नहीं था. बहरहाल, इस मामले में उनके खिलाफ मामला दर्ज कराने के लिए शहर कोतवाली में शिकायत दी गई है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सचान जमानत के कागजात तैयार कराए बगैर अदालत से भाग गए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का फैसला लंबे समय तक चली एक बैठक के बाद लिया गया, न्यायिक अधिकारियों का मानना था कि सचान के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होने से अदालत के पीठासीन अधिकारी मुश्किल में पड़ सकते हैं.
उक्त शिकायत पर रविवार को प्रारंभिक जांच शुरू की गई थी.
कानपुर के पुलिस आयुक्त बीपी जोगदंड ने बताया था कि सहायक पुलिस आयुक्त (कोतवाली) अशोक कुमार सिंह को एफआईआर दर्ज करने से पहले, पुलिस को दी गई लिखित शिकायत में मंत्री के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करने के लिए कहा गया है.
इस बारे में सूत्रों ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया था कि एफआईआर दर्ज करने के बजाय, प्रारंभिक जांच का आदेश देकर जानबूझकर मंत्री को पर्याप्त समय प्रदान किया गया है, ताकि वह कानूनी सुरक्षा प्राप्त करने के लिए जमानत बॉन्ड प्रस्तुत कर सकें.
गौरतलब है कि सचान ने 90 के दशक की शुरुआत में सपा के साथ राजनीति में प्रवेश किया था. वर्ष 1993 और 2002 में वह घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे, जबकि वर्ष 2009 में उन्होंने फतेहपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी से चुनाव जीता था.
सचान वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे और कानपुर देहात की भोगनीपुर विधानसभा सीट से निर्वाचित होने के बाद योगी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बने.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)