नीतीश कुमार ने मंगलवार को एनडीए के मुख्यमंत्री के तौर पर अपना इस्तीफ़ा राज्यपाल को सौंपने के बाद सर्वसम्मति से ‘महागठबंधन’ का नेता चुने जाने पर नई सरकार बनाने का दावा पेश किया. उन्होंने बताया कि महागठबंधन में निर्दलीय विधायकों समेत सात दलों के 164 विधायक शामिल हैं.
नई दिल्ली/पटना: बिहार में नीतीश कुमार ने मंगलवार को ‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के मुख्यमंत्री’ के तौर पर अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपने के बाद सर्वसम्मति से ‘महागठबंधन’ का नेता चुने जाने पर नई सरकार बनाने का दावा पेश किया.
राजद प्रमुख तेजस्वी यादव के साथ राज्यपाल फागू चौहान के साथ बैठक के बाद नीतीश में मीडिया से बात करते हुए कहा कि महागठबंधन में निर्दलीय विधायकों समेत सात दलों के 164 विधायक हैं.
#WATCH | Seven parties including 164 MLAs along with independent MLAs in our Mahagathbandhan, says Nitish Kumar at a joint presser with RJD's Tejashwi Yadav after meeting Bihar Governor. pic.twitter.com/VcrD815kFL
— ANI (@ANI) August 9, 2022
कुमार ने जनता दल (यूनाइटेड) के सांसदों और विधायकों के साथ बैठक के बाद राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंपा था.
जदयू की बैठक के बाद कुमार इस्तीफा देने राजभवन पहुंचे और इस्तीफा सौंपने के बाद अपने आवास लौट आए. कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘पार्टी की बैठक में निर्णय लिया गया कि हम राजग से अलग हो रहे हैं. इसलिए, मैंने राजग के मुख्यमंत्री के तौर पर इस्तीफा दे दिया.’
इसके कुछ ही देर बाद नीतीश कुमार पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचे, जहां महागठबंधन के सभी नेता एकत्र हुए थे. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन के साथ पहुंचे कुमार राबड़ी देवी के आवास पर करीब आधा घंटा रहे.
इसके बाद नीतीश कुमार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के साथ समर्थन पत्र लेकर वापस आए. करीब 15 मिनट बाद कुमार ने एक बार फिर राज्यपाल से मुलाकात कर नई सरकार के गठन का दावा पेश किया.
इस दौरान, कुमार के साथ तेजस्वी यादव, पूर्व उपमुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के अलावा जदयू के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं.
तेजस्वी यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘… हम समाजवादी लोग हैं. यह हमारे पुरखों की विरासत है, इसे कोई और ले जाएगा क्या! हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू जी को धन्यवाद देते हैं. … हम सभी चाहते थे कि भाजपा का एजेंडा बिहार में नहीं चलने देना है. आप लालूजी को तो जानते ही हैं, उन्होंने आडवाणी जी का रथ रोका था, वो किसी कीमत पर न डरने वाले हैं न झुकने वाले हैं.’
#WATCH | Nobody can take the legacy of our ancestors…We thank Nitish Kumar as well as Laluji…All of us wanted BJP's agenda shouldn't be implemented in Bihar, we all know Laluji stopped 'Rath' of Advaniji, we won't relent at any cost: RJD 's Tejashwi Yadav with Nitish Kumar pic.twitter.com/HyZjUankoO
— ANI (@ANI) August 9, 2022
वहीं, जदयू की गठबंधन सहयोगी रही भाजपा ने नीतीश कुमार पर ‘धोखा’ देने का आरोप लगाया है.
भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने पलटवार करते हुए कुमार पर 2020 के विधानसभा चुनाव के जनादेश के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया.
जायसवाल ने दावा किया कि इस कदम के लिए बिहार की जनता नीतीश कुमार को सजा देगी.
इस बीच जदयू के शीर्ष नेता और बिहार विधान परिषद के सदस्य (एमएलसी) उपेंद्र कुशवाहा ने ‘नए गठबंधन’ के लिए नीतीश को बधाई देते हुए ट्वीट किया.
नये स्वरूप में नये गठबंधन के नेतृत्व की जवाबदेही के लिए श्री नीतीश कुमार जी को बधाई. नीतीश जी आगे बढ़िए. देश आपका इंतजार कर कर रहा है.
— Upendra Kushwaha (@UpendraKushJDU) August 9, 2022
कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी 2021 में जदयू में शामिल हो गई थी.
गौरतलब है कि भाजपा और जदयू दोनों दलों के बीच गत कई महीने से तकरार चल रही थी. इन दोनों के बीच कई मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से असहमति देखने को मिली थी जिनमें जातीय आधार पर जनगणना, जनसंख्या नियंत्रण कानून और सशस्त्र बलों में भर्ती की नई ‘अग्निपथ’ योजना शामिल हैं.
सोमवार को भाकपा-माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा था, ‘यदि जदयू भाजपा से गठजोड़ तोड़ती है और नई सरकार बनती है तो हम मदद का हाथ बढ़ाएंगे.’
भट्टाचार्य ने कहा था कि जदयू और भाजपा के बीच विवाद (भाजपा अध्यक्ष) जेपी नड्डा के हाल के इस बयान के बाद हुआ कि क्षेत्रीय दलों का ‘कोई भविष्य नहीं है.’
वहीं, उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के आवास पर भाजपा की बैठक हुई जिसमें पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल भी मौजूद रहे.
गौरतलब है कि कुमार वर्ष 2017 में राजद और कांग्रेस का साथ छोड़कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लौट आए थे. भाजपा के साथ तीन बार सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार वर्ष 2014 में राजग को छोड़ राजद व कांग्रेस के नए महागठबंधन सरकार में शामिल हो गए थे.
प्रदेश के 242 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 121 विधायकों की आवश्यकता है, राजद के पास सबसे अधिक 79 विधायक हैं, उसके बाद भाजपा के 77 और जद (यू) के पास 44 विधायक हैं.
बिहार का घटनाक्रम भाजपा की ‘धमकी की राजनीति’ की परिणति: विपक्षी दल
इस बीच विपक्षी दलों ने बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा और कहा कि यह भाजपा की ‘धमकी की राजनीति’ की परिणति है तथा भारतीय राजनीति में बदलाव का संकेत है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘मार्च 2020 में, मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को गिराने के लिए मोदी सरकार ने कोविड-19 लॉकडाउन को आगे बढ़ा दिया था. अब संसद सत्र निर्धारित समय से छोटा करना पड़ा, क्योंकि बिहार में उनकी गठबंधन सरकार जा रही है. उत्थान के बाद पतन तय होता है.’
कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने ट्वीट किया, ‘भाजपा का ओवर कॉन्फ़िडेन्स ही भाजपा का अभिशाप. अपने साथी दलों के प्रति उदासीनता भाजपा के पतन का कारण बनेगी. नीतीश कुमार के साथ बिहार निकल जाना राजनीतिक रूप से विपक्ष की एकता के लिए सौग़ात और भाजपा के लिए आत्मघाती सिद्ध होगा.’
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी. राजा ने कहा, ‘भाजपा के अधिनायकवाद ने सहयोग के लिए गुंजाइश नहीं छोड़ी है. अकाली दल, शिवसेना के बाद जद(यू) इसकी ताजा मिसाल है. भाजपा और अन्नाद्रमुक के रिश्तों भी दरार है.’
भाकपा सांसद विनय विश्वम ने कहा कि बिहार का घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि बदलाव हो रहा है.
विश्वम ने ट्वीट किया, ‘बिहार ने यह संकेत दिया है कि भारतीय राजनीति में बदलाव हो रहा है. इसका अंतिम नतीजा क्या होगा, यह प्रमुख दलों के दृष्टिकोण पर निर्भर करता है. वाम दल अपनी जिम्मेदार भूमिका का निर्वहन करेंगे.’
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डेरेक ओब्रायन ने दावा किया कि बिहार के घटनाक्रम के कारण ही सरकार ने संसद के मॉनसून सत्र को तय अवधि से पहले स्थगित करवा दिया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)