पैगंबर टिप्पणी: देश भर में नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ दर्ज सभी एफआईआर दिल्ली पुलिस को स्थानांतरित

पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ की गई टिप्पणी को लेकर भारतीय जनता पार्टी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ देश के विभिन्न राज्यों में एफआईआर दर्ज कराई गई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी को एक साथ जोड़कर दिल्ली पुलिस को स्थानांतरित कर दिया है और भविष्य में दर्ज होने वाले मामलों को रद्द कराने के लिए नूपुर शर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट जाने की छूट दी है.

New Delhi: In this file photo dated Sunday, May 1, 2022, BJP Spokesperson Nupur Sharma during a programme at Delhi University. BJP suspended Sharma from party membership over her alleged remarks about Prophet Muhammad, on Sunday, June 5, 2022. (PTI Photo/Manvender Vashist)(PTI06 05 2022 000167B)

पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ की गई टिप्पणी को लेकर भारतीय जनता पार्टी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ देश के विभिन्न राज्यों में एफआईआर दर्ज कराई गई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी को एक साथ जोड़कर दिल्ली पुलिस को स्थानांतरित कर दिया है और भविष्य में दर्ज होने वाले मामलों को रद्द कराने के लिए नूपुर शर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट जाने की छूट दी है.

नूपुर शर्मा. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ देशभर में दर्ज सभी एफआईआर को एक साथ जोड़ने और उसे दिल्ली पुलिस को स्थानांतरित करने का बुधवार को निर्देश दिया.

यह मामला 26 मई को एक ‘टीवी डिबेट शो’ के दौरान पैगंबर के खिलाफ की गई एक से संबंधित है.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने दिल्ली पुलिस के ‘इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशन’ (आईएफएसओ) द्वारा जांच पूरी होने तक किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से शर्मा को अंतरिम संरक्षण की अवधि भी बढ़ा दी है.

पीठ ने कहा, ‘यह अदालत पहले ही याचिकाकर्ता (शर्मा) के जीवन और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे का संज्ञान ले चुकी है, इसलिए हम निर्देश देते हैं कि नूपुर शर्मा के खिलाफ सभी एफआईआर जांच के लिए दिल्ली पुलिस को स्थानांतरित कर दी जाएं.’

पीठ ने कहा, ‘विशेष तथ्यों और परिस्थितियों में, हम स्पष्ट करते हैं और यह उचित समझते हैं कि जांच दिल्ली पुलिस द्वारा की जाए. याचिकाकर्ता को वर्तमान और भविष्य में दर्ज की जाने वाली एफआईआर को रद्द करने के अनुरोध को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का रुख करने की छूट होगी.’

सुप्रीम कोर्ट ने शर्मा को उनकी टिप्पणी के संबंध में दर्ज एफआईआर को रद्द करने के अनुरोध को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट जाने की अनुमति दी और कहा कि भविष्य में दर्ज की जाने वाली सभी एफआईआर भी जांच के लिए दिल्ली पुलिस को स्थानांतरित की जाएं.

शर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद पश्चिम बंगाल सरकार से समन मिल रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी के उस आवेदन को भी खारिज कर दिया, जिसमें अदालत द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने का अनुरोध किया गया था.

एक ‘टीवी डिबेट शो’ के दौरान पैगंबर पर शर्मा की टिप्पणी को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुआ था और कई खाड़ी देशों ने तीखी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की थीं. इसके बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई को शर्मा को उनके खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर के संबंध में 10 अगस्त तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था.

शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि वह कभी नहीं चाहती थी कि नूपुर शर्मा राहत के लिए हर अदालत का रुख करें, पीठ ने उनकी याचिका पर केंद्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों को नोटिस जारी किया था तथा 10 अगस्त तक उनसे जवाब मांगा था.

सुप्रीम कोर्ट ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी को लेकर शर्मा को एक जुलाई को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि उनकी (नूपुर) ‘अनियंत्रित जुबान’ ने पूरे देश को आग में झोंक दिया. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि ‘देश में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए शर्मा ही अकेली जिम्मेदार हैं.’

मालूम हो कि 18 जुलाई को नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर पैगंबर मोहम्मद पर की गई उनकी टिप्पणी के संबंध में दर्ज अलग-अलग एफआईआर को एक साथ जोड़ने के आग्रह वाली याचिका को शीर्ष अदालत से पुन: बहाल करने का अनुरोध किया था.

शर्मा ने इसके साथ ही उनकी याचिका पर एक जुलाई को सुनवाई के दौरान अवकाशकालीन पीठ की ओर से की गईं प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाने की भी गुजारिश की थी.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने पैगंबर मोहम्मद खिलाफ टिप्पणी को लेकर कई राज्यों में दर्ज एफआईआर को एक साथ मिलाने की शर्मा की याचिका पर एक जुलाई को सुनवाई करने से इनकार कर दिया था.

मालूम हो कि पैगंबर मोहम्मद को लेकर टिप्पणी के लिए भाजपा ने बीते पांच जून को अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को निलंबित कर दिया और दिल्ली इकाई के प्रवक्ता नवीन जिंदल को निष्कासित कर दिया था.

इसके बाद दोनों भाजपा नेताओं की गिरफ्तारी की मांग पर बीते 10 जून को देश भर के कई शहरों और कस्बों में विरोध प्रदर्शन हुए थे. इस दौरान झारखंड की राजधानी रांची में हिंसक प्रदर्शन के दौरान दो लोगों की मौत हो गई थी.

विवादों में घिरीं नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के खिलाफ बीते 10 जून को ही बिहार के मुजफ्फरनगर जिले की एक अदालत में अर्जी दी गई थी, जिसमें कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद का नाम भी सह-आरोपी के रूप में दिया गया है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि शर्मा, जिंदल और नरसिंहानंद के बयान से सांप्रदायिक हिंसा भड़क सकती है.

इसके अलावा बीते नौ जून को दिल्ली पुलिस ने नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी संत यति नरसिंहानंद समेत 31 लोगों के खिलाफ सोशल मीडिया पर कथित तौर पर सार्वजनिक शांति भंग करने और लोगों को भड़काने वाले संदेश पोस्ट तथा साझा करने के लिए एफआईआर दर्ज की थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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