जम्मू कश्मीर के आईएएस शाह फ़ैसल नौकरशाही में लौटे, संस्कृति मंत्रालय में उपसचिव नियुक्त

देश में बढ़ती असहिष्णुता का हवाला देकर वर्ष 2019 में सरकारी सेवा से इस्तीफ़ा के बाद अपना राजनीतिक दल बनाने वाले कश्मीरी आईएएस अधिकारी शाह फ़ैसल ने पिछले दिनों नौकरशाही में वापस आने के संकेत दिए थे. इस दौरान वे कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गईं योजनाओं की लगातार सराहना करते देखे जा रहे थे.

Srinagar: IAS officer Shah Faesal addresses a press conference after announcing his resignation, in Srinagar, Friday, Jan. 11, 2019. Faesal, who has been in the limelight since becoming the first Kashmiri to top the civil services exam in 2009, announced his resignation on January 9 through social media to protest the "unabated" killings in Kashmir and the marginalisation of Indian Muslims.(PTI Photo)(PTI1_11_2019_000092B)
Srinagar: IAS officer Shah Faesal addresses a press conference after announcing his resignation, in Srinagar, Friday, Jan. 11, 2019. Faesal, who has been in the limelight since becoming the first Kashmiri to top the civil services exam in 2009, announced his resignation on January 9 through social media to protest the "unabated" killings in Kashmir and the marginalisation of Indian Muslims.(PTI Photo)(PTI1_11_2019_000092B)

देश में बढ़ती असहिष्णुता का हवाला देकर वर्ष 2019 में सरकारी सेवा से इस्तीफ़ा के बाद अपना राजनीतिक दल बनाने वाले कश्मीरी आईएएस अधिकारी शाह फ़ैसल ने पिछले दिनों नौकरशाही में वापस आने के संकेत दिए थे. इस दौरान वे कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गईं योजनाओं की लगातार सराहना करते देखे जा रहे थे.

Srinagar: IAS officer Shah Faesal addresses a press conference after announcing his resignation, in Srinagar, Friday, Jan. 11, 2019. Faesal, who has been in the limelight since becoming the first Kashmiri to top the civil services exam in 2009, announced his resignation on January 9 through social media to protest the "unabated" killings in Kashmir and the marginalisation of Indian Muslims.(PTI Photo)(PTI1_11_2019_000092B)
शाह फैसल. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: देश में बढ़ती असहिष्णुता का हवाला देकर 2019 में सरकारी सेवा छोड़ एक राजनीतिक पार्टी बनाने वाले पूर्व कश्मीरी आईएएस अधिकारी शाह फैसल, जिन्होंने बाद में राजनीति भी छोड़ दी थी, नौकरशाही में वापस लौट आए हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, उन्हें संस्कृति मंत्रालय में उपसचिव नियुक्त किया गया है.

सूत्रों के हवाले से अखबार ने लिखा है कि मंत्रालय में उन्हें नियुक्त करने के फैसले को बीते 11 अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी दी गई.

गौरतलब है कि फैसल का इस्तीफा सरकार द्वारा कभी स्वीकार नहीं किया गया था और उन्होंने बाद में इसे वापस ले लिया था.

अप्रैल में, ट्वीट्स की एक श्रृंखला में फैसल ने अपनी बहाली के संकेत भी दिए थे. उन्होंने ‘एक और मौके’ और ‘फिर से शुरू करने के लिए उत्साहित’ होने के बारे में बात की थी.

उन्होंने ट्वीट किया था, ‘मेरे जीवन के आठ महीनों (जनवरी 2019-अगस्त 2019) ने मेरे ऊपर काफी भार डाला, जिससे मैं लगभग समाप्त हो गया था. एक कल्पना का पीछा करते हुए, मैंने लगभग वह सब-कुछ खो दिया जो मैंने वर्षों में बनाया था. नौकरी, दोस्त, प्रतिष्ठा, लोगों के बीच साख. लेकिन मैंने कभी उम्मीद नहीं खोई. मेरे आदर्शवाद ने मुझे निराश किया था.’

उन्होंने आगे कहा था, ‘लेकिन मुझे खुद पर भरोसा था, कि मैं अपने द्वारा की गईं गलतियों को पूर्ववत कर लूंगा, कि जिंदगी मुझे एक और मौका देगी. मेरा एक हिस्सा उन 8 महीनों की याद से थक गया है और उस विरासत को मिटाना चाहता है. इसमें से काफी कुछ मिट गया है. मुझे विश्वास है कि बाकी को समय मिटा देगा.’

जीवन को सुंदर बताते हुए फैसल ने आगे लिखा था कि मैं अगले महीने 39 वर्ष का होने जा रहा हूं और मैं फिर से शुरुआत करने के लिए सच में उत्साहित हूं.

सिविल सेवा परीक्षाओं में टॉप करने वाले पहले कश्मीरी फैसल को 2008 में उनका होम कैडर आवंटित किया गया था. डॉक्टर से नौकरशाह बने फैसल ने राज्य में कई पदों पर काम किया. सरकार में उनका आखिरी पद जम्मू कश्मीर पॉवर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (जेकेपीडीसी) के प्रबंध निदेशक के रूप में था.

उन्हें जून 2018 में हार्वर्ड कैनेडी स्कूल में एचवर्ड मेसन फेलो के रूप में चुना गया था और वे एक साल बाद सेवा में फिर से शामिल होने वाले थे.

हालांकि, उनकी वापसी से छह महीने पहले उन्होंने 9 जनवरी 2019 को सेवा से अपना इस्तीफा देने की घोषणा करके सबको चौंका दिया और राजनीति में जाने की ओर इशारा किया.

अपने इस्तीफे के समय उन्होंने ट्वीट किया था, ‘कश्मीर में बेरोकटोक हत्याओं और केंद्र सरकार की ओर से किसी भी विश्वसनीय राजनीतिक पहल की अनुपस्थिति के विरोध में मैंने आईएएस पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है. कश्मीरी जीवन मायने रखता है.’

उसी साल मार्च में उन्होंने जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) के नाम से खुद का राजनीतिक दल शुरू किया. 5 अगस्त 2019 को तत्कालीन राज्य से उसका विशेष राज्य का दर्जा छीने जाने और उसे केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद, फैसल को दिल्ली से इस्तांबुल के लिए उड़ान भरने से रोक दिया गया था और इसके बाद हिरासत में ले लिया गया था.

उन पर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया था. उन्हें जून 2020 में रिहा किया गया था. हालांकि, अपनी रिहाई के बाद फैसल ने राजनीति छोड़ दी और सरकारी सेवा में वापस आने के संकेत देने लगे.

जल्द ही, फैसल ने ऐलान किया कि वे न सिर्फ अपनी पार्टी से इस्तीफा दे रहे हैं बल्कि राजनीति भी छोड़ रहे हैं. तब से, फैसल सेवा में वापसी की कोशिश कर रहे थे.

इस दौरान, फैसल ने अपने सभी पुराने ट्वीट डिलीट कर दिए जो केंद्र सरकार की आलोचना में थे और कश्मीर में सरकार द्वारा शुरू की गईं योजनाओं की सराहना कर रहे हैं. वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के लगभग सभी बयान, घोषणा, और भाषणों को रीट्वीट करते हैं.

यहां तक कि उन्होंने पहले यह भी ट्वीट किया था कि लोगों को घाटी से कश्मीरी पंडितों के कूच करने पर बनी विवेक अग्निहोत्री की फिल्म कश्मीर फाइल्स जरूर देखनी चाहिए.

गौरतलब है कि फैसल ने 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले की विभिन्न मंचों से आलोचना की थी और इसे अस्तित्व पर प्रहार बताते हुए नाराजगी का नया दौर शुरू होने की बात कही थी.