बिहार के छपरा ज़िले में कथित ज़हरीली शराब पीने से फिर सात लोगों की मौत

बीते चार जुलाई को बिहार के छपरा ज़िले में ही कथित ज़हरीली शराब पीने से 13 लोगों की मौत हो गई थी और कुछ लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. बिहार सरकार ने अप्रैल 2016 में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन पिछले साल नवंबर के बाद से राज्य में ज़हरीली शराब से जुड़ी कई घटनाएं हुईं, जिनमें 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: एएनआई)

बीते चार जुलाई को बिहार के छपरा ज़िले में ही कथित ज़हरीली शराब पीने से 13 लोगों की मौत हो गई थी और कुछ लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. बिहार सरकार ने अप्रैल 2016 में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन पिछले साल नवंबर के बाद से राज्य में ज़हरीली शराब से जुड़ी कई घटनाएं हुईं, जिनमें 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: एएनआई)

सारण: बिहार के सारण (छपरा) जिले में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से पिछले तीन दिन में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी.

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह इसी जिले में कथित जहरीली शराब पीने से 13 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग बीमार हो गए थे.

पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार ने कहा, ‘मसुधी इलाके में 10 अगस्त से अब तक सात लोगों की मौत हो चुकी है. ग्रामीणों का दावा है कि इन लोगों ने जहरीली शराब पी थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही मौत के कारणों के बारे में पता चल सकता है.’

कुमार ने बताया कि शराब बेचने वाले संदिग्धों को पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है.

पिछले सप्ताह की घटना मेकर थाना अंतर्गत आने वाली फुलवरिया पंचायत में हुई थी. इस मामले में थाने के प्रभारी और स्थानीय चौकीदार को निलंबित कर दिया गया था. कथित जहरीली शराब पीने वाले कुछ लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई थी.

बिहार सरकार ने अप्रैल 2016 में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन, पिछले साल नवंबर के बाद से राज्य में जहरीली शराब से जुड़ी कई घटनाएं हुईं, जिनमें 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

मालूम हो कि बीते मई महीने में पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार के औरंगाबाद जिले में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से पांच लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद पुलिस ने 67 लोगों को गिरफ्तार किया था.

बिहार में शराबबंदी पर अमल को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. राज्य में कथित तौर पर जहरीली शराब से लोगों की मौत की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं.​

इससे पहले राज्य के दो जिलों- भागलपुर और मधेपुरा में बीते मार्च महीने में होली के त्योहार के दौरान कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई थी.

बीते जनवरी महीने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृहजिले नालंदा में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से चार लोगों की मौत हो गई थी.

पिछले साल दीपावली के आसपास बिहार के चार जिलों (पश्चिम चंपारण, गोपालगांज, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर) में अवैध शराब ने 40 से अधिक लोगों की जान ले ली थी, जिसके बाद बिहार में मद्य निषेध कानून को लेकर सवाल उठने लगे थे.

पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है कि दिसंबर 2021 तक शराबबंदी कानून के तहत 3.5 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए और चार लाख से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया.

26 दिसंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने किसी कानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी के उदाहरण के रूप में बिहार के शराबबंदी कानून का हवाला दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)