मंगल पर कार्बन डाईऑक्साइड से ऑक्सीजन पैदा करने के लिए आदर्श स्थितियां: शोध

मंगल ग्रह को लेकर किए गए अध्ययन में पुर्तगाल के यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्टो और पेरिस की इकोल पॉलीटेक्निक के शोधकर्ताओं ने किया दावा.

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A file photo handout of the European Space Agency ESA shows a visualisation of Mars, created from spacecraft imagery. The European Space Agency is looking for volunteers to make a pretend trip to Mars. REUTERS/Ho/European Space Agency

मंगल ग्रह को लेकर किए गए अध्ययन में पुर्तगाल के यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्टो और पेरिस की इकोल पॉलीटेक्निक के शोधकर्ताओं ने किया दावा.

A file photo handout of the European Space Agency ESA shows a visualisation of Mars, created from spacecraft imagery. The European Space Agency is looking for volunteers to make a pretend trip to Mars. REUTERS/Ho/European Space Agency
यूरोपियन स्पेस एजेंसी की ओर से जारी मंगल ग्रह की तस्वीर. (फाइल फोटो: रॉयटर्स/यूरोपियन स्पेस एजेंसी)

लंदन: मंगल ग्रह पर वायुमंडलीय कार्बन डाईऑक्साइड को प्रभावी तरीके से ऑक्सीजन में बदलने की आदर्श स्थितियां मौजूद हैं. एक नए अनुसंधान में यह दावा किया गया है कि भविष्य में प्लाज़्मा तकनीक के इस्तेमाल से ऐसा संभव हो सकेगा.

पुर्तगाल की यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्टो और पेरिस की इकोल पॉलीटेक्निक के शोधकर्ताओं के मुताबिक मंगल के वातावरण में 96 प्रतिशत कार्बन डाईऑक्साइड मौजूद है.

शोध में दर्शाया गया है कि मंगल के वायुमंडल में दबाव और तापमान का दायरा दिखाता है कि गैर-उष्मीय प्लाज़्मा का ऑक्सीजन पैदा करने के लिए प्रभावी ढंग से प्रयोग किया जा सकता है.

पुर्तगाल की यूनिवर्सिटी ऑफ लिस्बन के वास्को गुएरा ने बताया, अंतरिक्ष की विस्तृत खोज के क्रम में, मंगल पर मानव युक्त मिशन भेजना हमारा अगला बड़ा कदम होगा. हालांकि सांस लेने युक्त वातावरण बना पाना एक वास्तविक चुनौती है.

गुएरा ने बताया, धरती पर कार्बन डाईऑक्साइड के प्लाज़्मा का फिर से बनना, अनुसंधान का एक उभरता हुआ क्षेत्र है जो सौर ईंधनों के उत्पादन और मौसम परिवर्तन की समस्याओं के कारण तेज़ हुआ है.

उन्होंने बताया, कम तापक्रम के प्लाज़्मा, प्रत्यक्ष इलेक्ट्रॉन प्रभाव और इलेक्ट्रॉन ऊर्जा को कांपनिक उत्तेजना में स्थानांतरित कर दोनों ही माध्यम से कार्बन डाईआॅक्साइड को ऑक्सीजन और कार्बन मोनो ऑक्साइड के अणुओं में तोड़ सकने के सबसे बेहतर माध्यमों में से एक हैं.

इस अनुसंधान का परिणाम प्लाज़्मा सोर्सेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.