मध्य प्रदेश: बुलडोज़र अभियान का विरोध करने वाले कार्यकर्ता ज़ैद पठान रासुका के तहत गिरफ़्तार

प्रदेश में स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा चलाए जा रहे बुलडोज़र अभियानों के ख़िलाफ़ मुखर कार्यकर्ता जै़द पठान को खरगोन में राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया गया है. उन पर समुदायों के बीच नफ़रत फैलाने, धार्मिक भावनाएं भड़काने और सोशल मीडिया मंचों पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप लगाए गए हैं.

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एक्टिविस्ट ज़ैद पठान. (फोटो साभार: ट्विटर)

प्रदेश में स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा चलाए जा रहे बुलडोज़र अभियानों के ख़िलाफ़ मुखर कार्यकर्ता जै़द पठान को खरगोन में राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया गया है. उन पर समुदायों के बीच नफ़रत फैलाने, धार्मिक भावनाएं भड़काने और सोशल मीडिया मंचों पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप लगाए गए हैं.

एक्टिविस्ट ज़ैद पठान. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के ‘बुलडोजर न्याय’ के कट्टर आलोचक मुस्लिम कार्यकर्ता जैद पठान को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत सोमवार (15 अगस्त) को खरगोन जिले में हिरासत में ले लिया गया.

रिपोर्ट के अनुसार, इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने एपीएन लाइव डॉट कॉम को बताया कि उन्हें समुदायों के बीच नफरत फैलाने, सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने, धार्मिक भावनाएं भड़काने और सोशल मीडिया मंचों पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया गया है.

पठान के खिलाफ इंदौर के बाणगंगा पुलिस थाने और खरगोन पुलिस थाने में आरोप लगाए गए हैं.

हालांकि, द वायर  स्वतंत्र रूप से उन पोस्ट की पुष्टि नहीं कर पाया है जिनको लेकर उनके खिलाफ आरोप लगाए गए हैं.

सामुदायिक नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले पठान मध्य प्रदेश में स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा चलाए जा रहे बुलडोजर अभियानों के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं.

खरगोन में रामनवमी जुलूस के दौरान हुई हिंसा के बाद स्थानीय प्रशासन ने दुकानें और इमारतें ढहाना शुरू कर दिया था, उनमें से ज्यादातर आर्थिक रूप से वंचित मुस्लिम परिवारों के थे. करीब 80 लोग गिरफ्तार किए गए थे.

एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम, जिसमें आठ राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल थे, के अनुसार वास्तव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार और जिला प्रशासन रामनवमी के दौरान क्षेत्र में हुई सांप्रदायिक हिंसा के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार थे. इस संबंध में द वायर ने रिपोर्ट भी की थी.

फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने यह भी कहा था कि मामले में की गई कार्रवाई एकपक्षीय (मुसलमानों के खिलाफ) थी.

पठान ने मीडिया को बताया था कि प्रशासन मुसलमानों को निशाना बना रहा है, खासकर कि उनको जो उनके खिलाफ हुए अत्याचार के विरोध में खड़े हुए. उन्होंने यह भी कहा था कि रामनवमी हिंसा के गुनाहगारों ने झूठी एफआईआर दर्ज कराई थी.

पिछले साल अगस्त में भी, इंदौर में दिनदहाड़े भीड़ द्वारा एक चूड़ी बेचने वाले मुसलमान को पीटा गया और कथित तौर पर उसके साथ लूट की गई. राज्य के गृहमंत्री ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया था कि पीड़ित पर हमला तब हुआ जब लोगों को एहसास हुआ कि वह अपना व्यापार चलाने के लिए फर्जी नाम का इस्तेमाल कर रहा था.

न्यूजक्लिक की रिपोर्ट के मुताबिक, पठान को दो अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया और गुनाहगारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई.

इस बीच ट्विटर पर कई एक्टिविस्ट ने पठान की गिरफ्तारी की आलोचना करते हुए उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है. एक एक्टिविस्ट ने ट्वीट किया है कि पठान को तब से निशाना बनाया जा रहा था, जब से उन्होंने खरगोन प्रशासन द्वारा मुस्लिमों की संपत्ति को अवैध तरीके से गिराए जाने के खिलाफ आवाज उठाई थी.

एक अन्य एक्टिविस्ट ने लिखा कि गंभीर अपराध करने वाले लोगों को तत्काल जमानत मिल जाती है लेकिन जो सच बोल रहे हैं उन्हें गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ता है.