ग़ुलाम नबी आज़ाद ने जम्मू कश्मीर में कांग्रेस प्रचार समिति का प्रमुख बनने का प्रस्ताव ठुकराया

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद को कांग्रेस ने सूबे में पार्टी की प्रचार समिति का प्रमुख और पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति का सदस्य बनने का प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने नामंज़ूर कर दिया. आज़ाद पार्टी नेतृत्व के आलोचक 'जी 23' समूह के प्रमुख सदस्य हैं.

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गुलाम नबी आजाद. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद को कांग्रेस ने सूबे में पार्टी की प्रचार समिति का प्रमुख और पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति का सदस्य बनने का प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने नामंज़ूर कर दिया. आज़ाद पार्टी नेतृत्व के आलोचक ‘जी 23’ समूह के प्रमुख सदस्य हैं.

ग़ुलाम नबी आज़ाद. (फाइल फोटो: पीटीआई)

दिल्ली/जम्मू: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार (16 अगस्त) को जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को केंद्र शासित प्रदेश में पार्टी की प्रचार समिति का प्रमुख नियुक्त किया, लेकिन आजाद ने प्रस्ताव को ठुकरा दिया.

जम्मू और कश्मीर में संगठन में सुधार के तौर पर गांधी ने आज़ाद के करीबी माने जाने वाले विकार रसूल वानी को अपनी जम्मू कश्मीर इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है. वानी ने गुलाम अहमद मीर की जगह ली है जिन्होंने आठ साल तक इस पद पर रहने के बाद जुलाई में इस्तीफा दे दिया था.

आजाद कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के प्रमुख सदस्य हैं. यह समूह पार्टी नेतृत्व का आलोचक रहा है और एक संगठनात्मक बदलाव की मांग करते आया है.

बता दें कि आजाद को राज्यसभा से सेवानिवृत्त होने के बाद दोबारा उच्च सदन में नहीं भेजा गया था.

अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) ने वरिष्ठ नेता रमन भल्ला को प्रदेश कांग्रेस समिति का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है. पूर्व पीडीपी नेता तारिक हामिद कर्रा को अभियान समिति के उपाध्यक्ष के रूप में नामित किया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, विकार रसूल और रमन भल्ला दोनों ही पूर्व मंत्री और दो बार के विधायक हैं और जम्मू प्रांत से आते हैं. जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि इसके अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष, दोनों ही जम्मू से ताल्लुक रखते हैं.

नियुक्तियों को सार्वजनिक किए जाने के कुछ घंटे बाद सूत्रों के हवाले से पता लगा है कि आज़ाद ने गांधी के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सोनिया ने गुलाम अहमद मीर का प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उनके स्थान पर रसूल वानी को अध्यक्ष नियुक्त किया. आजाद के करीबी माने जाने वाले वानी प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और बानिहाल से विधायक रह चुके हैं.

बयान में कहा गया है कि सोनिया गांधी ने जम्मू कश्मीर कांग्रेस समिति के लिए चुनाव अभियान समिति और राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) समेत सात समितियों का भी गठन किया. पार्टी ने जम्मू कश्मीर के लिए समन्वय समिति, घोषणा-पत्र समिति, प्रचार एवं प्रकाशन समिति, अनुशासन समिति और प्रदेश चुनाव समिति का भी गठन किया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आजाद को पार्टी की जम्मू कश्मीर इकाई में प्रचार समिति के प्रमुख के साथ-साथ राजनीतिक मामलों की समिति का सदस्य भी नियुक्त किया गया था, लेकिन उन्होंने दोनों ही पदों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.

आजाद के करीबी एक नेता ने बताया कि वे अपमानित और नीचा महसूस कर रहे थे.

उन्होंने कहा, ‘वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य हैं. यह अजीब है कि उन्हें राज्य में एक ऐसी ही समिति का सदस्य बनाया जा रहा है. यह नासमझी भरा फैसला है.’

एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के मुताबिक, एक केंद्रशासित प्रदेश की प्रचार समिति के अध्यक्ष के रूप में आजाद की नियुक्ति अपमानित करने वाली थी.

कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘वह पांच सरकारों में चार प्रधानमंत्रियों के साथ मंत्री रहे थे; वह सात सालों तक (राज्यसभा में) नेता विपक्ष रहे. वे पूर्व मुख्यमंत्री हैं, पिछले 37 सालों से कांग्रेस कार्यसमिति में हैं; हर राज्य में (पार्टी के) प्रभारी रहे हैं. और अब जो एआईसीसी में बैठे हैं, वे उनकी नियुक्ति एक केंद्रशासित प्रदेश की प्रचार समिति के प्रमुख के रूप में कर रहे हैं.’

बता दें कि जम्मू कश्मीर में पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधान खत्म किए जाने के बाद से ही विधानसभा अस्तित्व में नहीं है. परिसीमन का काम संपन्न हो चुका है. फिलहाल सरकार की तरफ से विधानसभा चुनाव की तिथि को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)