जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश में क़रीब 25 लाख नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज होने की उम्मीद है और सूची में शामिल होने के लिए किसी व्यक्ति के पास जम्मू कश्मीर का डोमिसाइल प्रमाण पत्र होना आवश्यक नहीं है.
जम्मू/श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार ने बुधवार को कहा कि केंद्रशासित प्रदेश में सामान्य रूप से रहने वाले गैर-स्थानीय लोग भी मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वा सकते हैं.
जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद पहली बार मतदाता सूची का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण किया जा रहा है.
हृदेश कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद बहुत से लोग जो मतदाता के रूप में सूचीबद्ध नहीं थे, वे अब मतदान करने के पात्र हैं और इसके अलावा जो कोई भी सामान्य रूप से रह रहा है, वह भी जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार जम्मू कश्मीर में मतदाता के रूप में सूचीबद्ध होने के अवसर का लाभ उठा सकता है.’
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में करीब 25 लाख नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज होने की उम्मीद है.
कुमार ने बताया कि मतदाता सूची में शामिल होने के लिए किसी व्यक्ति के पास जम्मू कश्मीर का अधिवास (डोमिसाइल) प्रमाण पत्र होना आवश्यक नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘कोई भी कर्मचारी, विद्यार्थी, श्रमिक या कोई भी ऐसा बाहरी व्यक्ति जो जम्मू कश्मीर में रह रहा है, अपना नाम सूची में जुड़वा सकता है. उनके दस्तावेज संबंधित सरकारी अधिकारियों द्वारा जांचे जाएंगे, जो दावे के बारे में संतुष्ट होने के बाद इस बारे में फैसला लेंगे.’
उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों में काम करने वाले और केंद्र शासित प्रदेश के बाहर तैनात जम्मू कश्मीर के निवासी सर्विस वोटर के रूप में पंजीकरण करा सकते हैं और पोस्टल बैलट की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं.
कुमार ने आगे बताया, ‘इसी तरह, देश के विभिन्न हिस्सों से जो लोग यहां तैनात हैं, उनके पास यह विकल्प है कि यदि वे शांत जगह में तैनात हैं तो वे खुद को मतदाता के रूप में सूचीबद्ध कर सकते हैं. जम्मू एक शांत केंद्र है और शहर में सशस्त्र बलों में तैनात कोई भी बाहरी व्यक्ति मतदाता के रूप में सूचीबद्ध होने के विकल्प का लाभ उठा सकता है.
उन्होंने 25 नवंबर तक मतदाता सूची के विशेष सारांश संशोधन को पूरा करने के लिए चल रही कवायद को एक ‘चुनौतीपूर्ण कार्य’ बताया.
हृदेश कुमार ने कहा कि इस प्रक्रिया को समय पर पूरा करने का यह व्यापक अभियान यह सुनिश्चित करने के लिए चलाया जा रहा है कि एक अक्टूबर, 2022 या उससे पहले 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले सभी पात्र मतदाताओं का पंजीकरण कर उन्हें ‘त्रुटि-मुक्त’ अंतिम मतदाता सूची में शामिल किया जाए.
निर्वाचन आयोग द्वारा हाल ही में जारी पुनर्निर्धारित समय-सीमा के अनुसार एक एकीकृत मतदाता सूची का मसौदा 15 सितंबर को प्रकाशित किया जाएगा. जबकि सूची को लेकर दावा और आपत्ति दर्ज कराने की अवधि 15 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच निर्धारित की गई है. इसके बाद 10 नवंबर तक दावों और आपत्तियों का निपटारा किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि 25 नवंबर को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन से पहले 19 नवंबर को मानदंडों की जांच और अंतिम प्रकाशन और डेटाबेस को अद्यतन करने तथा पूरक की छपाई के लिए आयोग की अनुमति प्राप्त करना तय किया गया है.
जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा, ‘एक जनवरी, 2019 के बाद पहली बार मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन हो रहा है और इसलिए हम मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं, इस तथ्य को देखते हुए कि पिछले तीन वर्षों के दौरान बड़ी संख्या में युवाओं ने 18 या 18 वर्ष से अधिक की आयु प्राप्त कर ली है.’
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में 18 वर्ष से अधिक आयु के करीब 98 लाख लोग हैं, जबकि अंतिम मतदाता सूची के अनुसार सूचीबद्ध मतदाताओं की कुल संख्या 76 लाख है.
उन्होंने कहा कि 600 मतदान केंद्र जोड़े गए हैं और अब जम्मू कश्मीर में कुल मतदान केंद्रों की संख्या 11,370 हो गई है.
कुमार ने कहा कि आयोग घर-घर जाकर प्रचार करने की योजना बना रहा है और योग्य मतदाताओं की जागरूकता के लिए शैक्षणिक संस्थानों में विशेष शिविर भी आयोजित करने की योजना बना रहा है.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि आधार संख्या को मतदाता सूची के आंकड़ों से जोड़ने के लिए संशोधित पंजीकरण प्रपत्रों में प्रावधान किया गया है, जिसका उद्देश्य मतदाताओं की पहचान स्थापित करना और मतदाता सूची में प्रविष्टियों का प्रमाणीकरण करना है.
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग नए मतदाता पहचान पत्र जारी करेगा जिसमें नई सुरक्षा विशेषताएं होंगी.
घाटी के बाहर रहने वाले कश्मीरी प्रवासियों के बारे में उन्होंने कहा कि ऐसी विस्थापित आबादी के लिए पहले से ही एक विशेष प्रावधान है ताकि वे अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें.
हृदेश कुमार ने कहा, ‘कश्मीरी पंडित प्रवासी अपने गृह निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं. नए मतदाताओं के पंजीकरण के लिए दिल्ली, जम्मू और उधमपुर सहित विभिन्न स्थानों पर उनके लिए विशेष शिविर आयोजित किए जा रहे हैं और उन सभी को मतदाता पहचान पत्र दिए जाएंगे.’
उन्होंने जम्मू कश्मीर में शरण लेने वाले रोहिंग्या मुसलमानों को मतदाता सूची में शामिल करने के विचार को सिरे से खारिज कर दिया.
बाहरियों के मतदाता सूची में पंजीकरण पर नाराज़ नेता, महबूबा बोलीं- लोकतंत्र के ताबूत में अंतिम कील
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में आम तौर पर रहने वाले बाहरी लोगों को नौकरी, शिक्षा या व्यापार करने के लिए मतदाताओं के रूप में पंजीकरण की अनुमति देने का चुनाव अधिकारियों का कदम यहां ‘लोकतंत्र के ताबूत में आखिरी कील ठोकने’ की तरह है.
GOIs decision to defer polls in J&K preceded by egregious gerrymandering tilting the balance in BJPs favour & now allowing non locals to vote is obviously to influence election results. Real aim is to continue ruling J&K with an iron fist to disempower locals. https://t.co/zHzqaMseG6
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) August 17, 2022
मुफ्ती ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता फारूक अब्दुल्ला से एक सर्वदलीय बैठक बुलाने का आग्रह किया है, ताकि निर्वाचन आयोग द्वारा केंद्र शासित प्रदेश में क्षेत्र के बाहर के लोगों का मतदाता के तौर पर पंजीकरण करने की अनुमति देने को लेकर भविष्य की रणनीति तय की जा सके.
पीडीपी की अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने नेकां के प्रमुख से उन दलों को भी आमंत्रित करने को कहा है, जिनके साथ ‘हमारे मतभेद हैं.’
वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस फैसले को भूतपूर्व राज्य के लोगों के ‘मताधिकार का हनन’ करार देते हुए कहा कि किसी भी बाहरी व्यक्ति को सिर्फ इसलिए मतदान करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए कि वे यहां अस्थायी रूप से रहने आए हैं.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने संवाददाताओं से कहा, ‘मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने क्या कहा है, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है. सामान्य रूप से रहने वाले किसी नागरिक की योग्यता क्या है? क्या पर्यटकों सहित कोई भी यहां अपना वोट दर्ज करा सकता है?’
उन्होंने कहा कि लोगों में आशंकाएं हैं और सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. सादिक ने कहा, ‘महत्वपूर्ण बात यह है कि देश में ऐसे कई राज्य हैं जहां अभी चुनाव नहीं हुए हैं. वे राज्य अपने लोगों को यहां भेज सकते हैं, वे खुद को मतदाता के रूप में पंजीकृत कर सकते हैं, फिर मतदान कर सकते हैं और फिर यहां अपना पंजीकरण रद्द कर सकते हैं, जिसके बाद वे फिर से अपने राज्यों में अपना पंजीकरण करा लेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘लोगों के मन में यह आशंका है क्योंकि स्पष्टता नहीं है…अंदेशा है कि यह सब एक योजना के तहत किया जा रहा है.’
Is the BJP so insecure about support from genuine voters of J&K that it needs to import temporary voters to win seats? None of these things will help the BJP when the people of J&K are given a chance to exercise their franchise. https://t.co/ZayxjHiaQy
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) August 17, 2022
नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों को वोट देने का अधिकार केवल इसलिए दिया जाना चाहिए क्योंकि वे स्थानीय हैं, और ‘किसी बाहरी व्यक्ति को सिर्फ इसलिए वोट देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि वह यहां अस्थायी रूप से आया है.’
सुरक्षा बलों के जवानों द्वारा खुद को मतदाता के रूप में पंजीकृत कराने के मुद्दे का जिक्र करते हुए सादिक ने कहा कि नियमों के मुताबिक सुरक्षा बल शांतिपूर्ण सैन्य स्थलों में ही मतदाता के तौर पर पंजीकरण करा सकते हैं.
उन्होंने सवाल किया, ‘जम्मू कश्मीर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (आफस्पा) लागू है, जिसका अर्थ है कि जम्मू कश्मीर को अशांत राज्य घोषित किया गया है… इसलिए यह शांति वाला स्थान नहीं है ऐसे में सुरक्षा बल यहां स्थानीय मतदाता के तौर पर कैसे पंजीकरण करा सकते हैं.’
उन्होंने कहा कि सीईओ का बयान जम्मू कश्मीर के लोगों के मताधिकार पर कुठाराघात की तरह है. सादिक ने कहा, ‘पंजाब के लोग आसानी से जम्मू आ सकते हैं. जम्मू संभाग के किसी जिले में करीब 8,000-10,000 बाहरी मजदूर हैं. ऐसे में, सीईओ के अनुसार, वे सभी मतदाता बन सकते हैं. उस मामले में, आप जम्मू-कश्मीर के लोगों के मताधिकार का हनन कर रहे हैं.’
सीईओ के बयान के बाद आतंकवादी समूहों द्वारा धमकी दिए जाने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा कि बाहरी लोगों की सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है.
इस बीच पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने इस मुद्दे पर 22 अगस्त को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है.
यह बैठक 22 अगस्त सोमवार को शहर के गुपकर इलाके स्थित अब्दुल्ला के आवास पर सुबह 11 बजे होगी. इसमें निर्वाचन आयोग द्वारा केंद्र शासित प्रदेश में क्षेत्र के बाहर के लोगों के मतदाता के तौर पर पंजीकरण की अनुमति देने के मुद्दे पर भविष्य की रणनीति तय की जाएगी.
नेकां के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा, ‘सीईओ द्वारा जम्मू-कश्मीर में क्षेत्र के बाहर के लोगों को मतदाता का दर्जा देने के संबंध में की गई घोषणा के मुद्दे पर डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने 22 अगस्त (सोमवार) को अपने आवास पर सर्वदलीय बैठक बुलाई है.’’
डार ने बताया कि अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों से बात की है और उन्हें बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है. प्रवक्ता ने कहा, ‘पार्टी अध्यक्ष ने भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के अलावा सभी मुख्यधारा के दलों से बात की है.’
Dr Farooq Abdullah has invited leaders of all political parties for a meeting to discuss the recent announcement by the J&K govt regarding inclusion of non-locals in the voter lists. He personally spoke to the leaders & requested them to attend the meet at 11 AM on Mon, 22nd Aug.
— JKNC (@JKNC_) August 18, 2022
इस संबंध में नेकां ने ट्वीट किया, ‘डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में क्षेत्र के बाहर के लोगों को मतदाता का दर्जा देने के संबंध में की गई घोषणा के मुद्दे पर चर्चा के लिए सभी दलों के नेताओं को बैठक में आमंत्रित किया है. उन्होंने स्वयं नेताओं से बात की और 22 अगस्त सोमवार को पूर्वाह्न 11 बजे बैठक में शामिल होने को कहा.’
पार्टी ने एक बयान में बताया कि अब्दुल्ला ने भाजपा के अलावा सभी प्रमुख दलों को श्रीनगर स्थित उनके आवास पर बैठक के लिए बुलाया है.
बयान के अनुसार, नेकां के अध्यक्ष ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) के अध्यक्ष वकार रसूल, जेकेपीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष रमन भल्ला, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता मोहम्मद युसूफ तारिगामी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन और यहां आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं से बात की.
बयान के अनुसार, अब्दुल्ला ने नेताओं से बैठक में शामिल होने का आग्रह किया, ताकि क्षेत्र के बाहर के लोगों को मतदाता का दर्जा देने के मुद्दे पर सभी दलों द्वारा एक रुख अपनाया जा सके.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)