गोविंद पानसरे हत्याकांड: हाईकोर्ट ने एटीएस से मामले की प्रगति रिपोर्ट सौंपने को कहा

सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पानसरे की वर्ष 2015 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बीते दिनों बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनके परिवार के सदस्यों की ओर से दायर अर्ज़ी स्वीकार कर जांच का ज़िम्मा महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) को सौंपा था.

गोविंद पानसरे (फोटो: पीटीआई)

सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पानसरे की वर्ष 2015 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बीते दिनों बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनके परिवार के सदस्यों की ओर से दायर अर्ज़ी स्वीकार कर जांच का ज़िम्मा महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) को सौंपा था.

गोविंद पानसरे (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने शनिवार को महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) से सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पानसरे की हत्या की जांच में हुई प्रगति पर रिपोर्ट सौंपने को कहा.

हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में हत्याकांड की जांच एटीएस को सौंप दी थी. इस मामले की जांच पहले महाराष्ट्र आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा की जा रही थी.

एसआईटी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मुंदरगी ने शनिवार (20 अगस्त) को अदालत को सूचित किया कि जांच के लिए 10 एटीएस अधिकारियों और सीआईडी-एसआईटी के तीन अधिकारियों की एक टीम बनाई गई है.

जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस शर्मिला देशमुख की पीठ ने इसके बाद एटीएस से प्रगति रिपोर्ट मांगी.

अदालत ने तीन अगस्त को पानसरे के परिवार के सदस्यों की ओर से दायर अर्जी स्वीकार कर ली थी और जांच का जिम्मा एटीएस को सौंप दिया था.

हाईकोर्ट ने पानसरे के परिजनों की मांग पर 2015 में एसआईटी का गठन किया था.

पानसरे के परिवार के सदस्यों ने बीते जुलाई महीने में हाईकोर्ट में एक आवेदन दायर कर जांच एटीएस को स्थानांतरित करने की मांग की थी, जिसमें दावा किया गया था कि एसआईटी अभी तक मामले में कोई सफलता हासिल नहीं कर पाई है.

अदालत पानसरे की बेटी स्मिता पानसरे और अन्य दिवंगत कार्यकर्ताओं के परिजन मुक्ता दाभोलकर द्वारा दायर दो याचिकाओं और कई अन्य आवेदनों पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अदालत से दोनों मामलों की जांच की निगरानी करने की मांग की गई थी.

अधिवक्ता अभय नेवागी के माध्यम से दायर अपनी याचिका में गोविंद पानसरे की बहू और कार्यकर्ता मेघा पानसरे ने दावा किया था कि पानसरे, तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर, कन्नड़ शिक्षाविद व कार्यकर्ता एमएम कलबुर्गी तथा पत्रकार गौरी लंकेश की हत्याओं के पीछे एक ‘बड़ी साजिश’ थी.

पीठ ने अर्जी को मंजूर करते हुए कहा था कि कॉमरेड पानसरे के परिवार का इंतजार लंबा हो गया है.

पानसरे को 16 फरवरी 2015 को कोल्हापुर में गोली मार दी गई थी और 20 फरवरी को उनकी मौत हो गई थी.

सीआईडी ​​मामले की जांच कर रही थी और उसने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था. मई 2019 में सीआईडी की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने दक्षिणपंथी कार्यकर्ता शरद कालस्कर को गिरफ्तार किया था.

अधिवक्ता नेवागी ने दावा किया था कि सीआईडी ने पानसरे मामले में 2015 से जांच में कोई प्रगति नहीं की है और जांच की स्थिति निराशाजनक है.

पीठ ने इस पर राज्य को नोटिस जारी करते हुए उससे जवाब मांगा था. उसने राज्य सीआईडी से मामले में 2020 से अब तक हुई प्रगति की रिपोर्ट भी पेश करने को कहा था. सीआईडी ने इससे पहले 2020 में आखिरी बार जांच की स्थिति रिपोर्ट दी थी.

गौरतलब है कि नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे में गोली मारकर उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वह सुबह की सैर पर निकले थे. पानसारे की कोल्हापुर में 16 फरवरी, 2015 को गोली मारी गई थी और कुछ दिनों बाद 20 फरवरी को उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी.

इसी तरह लेखक और तर्कवादी एमएम कलबुर्गी की कर्नाटक के धारवाड़ में 30 अगस्त, 2015 को गोली मारकर हत्या की गई थी. साल 2017 में पत्रकार गौरी लंकेश की बेंगलुरु में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)