जम्मू कश्मीर की मतदाता सूची में ‘ग़ैर-स्थानीय’ को शामिल किया जाना अस्वीकार्य: फ़ारूक़ अब्दुल्ला

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर की मतदाता सूची में ग़ैर-स्थानीय लोगों को शामिल किया जाना यहां के राजनीतिक दलों को स्वीकार्य नहीं है और यह यहां की पहचान को ख़त्म कर देगा. विधानसभा बाहरी लोगों के हाथों में होगी और यहां के लोग वंचित होंगे.

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला. (फोटो: पीटीआई)

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर की मतदाता सूची में ग़ैर-स्थानीय लोगों को शामिल किया जाना यहां के राजनीतिक दलों को स्वीकार्य नहीं है और यह यहां की पहचान को ख़त्म कर देगा. विधानसभा बाहरी लोगों के हाथों में होगी और यहां के लोग वंचित होंगे.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला. (फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर/जम्मू: नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि जम्मू कश्मीर की मतदाता सूची में ‘गैर-स्थानीय लोगों को शामिल किया जाना’ यहां के राजनीतिक दलों को स्वीकार्य नहीं है और यह इस केंद्रशासित प्रदेश की पहचान को खत्म कर देगा.

अब्दुल्ला ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. उन्होंने कहा कि इस फैसले को कानूनी चुनौती दिए जाने के साथ-साथ अन्य तरीकों से भी विरोध किया जाएगा.

उच्च सुरक्षा वाले गुपकर इलाके में नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला के आवास पर हुई बैठक में उनकी पार्टी के नेताओं के अलावा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती, कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई के अध्यक्ष विकार रसूल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता एमवाई तारिगामी और शिवसेना के नेताओं ने हिस्सा लिया.

वहीं, सज्जाद लोन-नीत पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व वाली ‘अपनी पार्टी’ के नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया.

अब्दुल्ला द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के खिलाफ ‘जवाबी रणनीति’ तय करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी सोमवार को एक बैठक बुलाई है.

अब्दुल्ला की अध्यक्षता में नौ दलों की बैठक में मतदाता सूची में ‘गैर-स्थानीय’ लोगों को शामिल करने के किसी निर्णय का अदालत का दरवाजा खटखटाने समेत हर तरह से विरोध करने का संकल्प जताया गया.

बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार का यह कदम जम्मू कश्मीर की पहचान को खत्म कर देगा.

उन्होंने कहा, ‘विधानसभा बाहरी लोगों के हाथों में होगी और यहां के लोग वंचित होंगे. हमने इस मुद्दे पर यहां चर्चा की और इस नतीजे पर पहुंचे कि हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे.’

अब्दुल्ला ने कहा कि बैठक में शामिल हुए सभी दल ‘बाहरी’ लोगों को मताधिकार देने के कदम के खिलाफ एकजुट हैं. उन्होंने कहा, ‘हम इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं.’

अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर की मतदाता सूची में गैर-स्थानीय लोगों को शामिल करने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए यह बैठक बुलाई थी.

उन्होंने संशोधित मतदाता सूची में मतदाताओं को शामिल करने को लेकर केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी हृदेश कुमार की टिप्पणी के बाद यह बैठक बुलाई थी.

बीते 18 अगस्त को जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार ने कहा था कि केंद्रशासित प्रदेश में सामान्य रूप से रहने वाले गैर-स्थानीय लोग भी मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वा सकते हैं.

सरकार ने हालांकि, शनिवार (20 अगस्त) को एक स्पष्टीकरण जारी कर कहा था कि मतदाता सूची में संक्षिप्त संशोधन के बाद संभवतया 25 लाख से अधिक मतदाताओं को जोड़ने की खबरें निहित स्वार्थों की गलतबयानी हैं.

संशोधित मतदाता सूची के मुद्दे पर जम्मू कश्मीर प्रशासन के स्पष्टीकरण से असंतुष्ट दलों – नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी –  ने कहा था कि वे मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बैठक बुलाएंगे.

नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसे दलों ने दावा किया कि प्रशासन ने उनकी इस मुख्य चिंता का समाधान नहीं किया है कि क्या जम्मू कश्मीर में सामान्यतया रहने वाले बाहरी लोगों को मतदाता सूची में अपना नाम शामिल कराने की अनुमति दी जाएगी या नहीं.

वहीं, नीत पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन ने पत्रकारों से कहा कि बैठक केवल चर्चा में बने रहने की कवायद लग रही है और वह इसका हिस्सा नहीं बनना चाहेंगे.

लोन ने कहा, ‘एक महिला (महबूबा मुफ्ती) ने कहा कि सर्वदलीय बैठक बुलाएं और दूसरे ने इसके लिए फोन किए. मुझे यह भी बताएं कि हम कितना दिखावा कर सकते हैं? हम चौबीसों घंटे एक-दूसरे की राजनीतिक रूप से आलोचना करते रहते हैं. मैंने कल ही उनकी आलोचना की और उससे एक दिन पहले उन्होंने मेरी आलोचना की थी. हम सब कुछ सही होने का दिखावा कब तक कर सकते हैं?’

उन्होंने कहा, ‘अपनी खोई जगह वापस पाने को बेताब महबूबा जी सर्वदलीय बैठक बुलाने के लिए फरमान जारी करती हैं. महाराजा हरि सिंह का युग काफी पहले बीत चुका है.’

लोन ने हालांकि कहा कि अगर गैर-स्थानीय लोगों को जम्मू कश्मीर की मतदाता सूची में शामिल किया जाता है तो उनकी पार्टी देश के सभी संवैधानिक संस्थानों के बाहर अनशन और विरोध प्रदर्शन करेगी.

मुख्यधारा के राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया है कि गैर-स्थानीय लोगों को शामिल करना जम्मू कश्मीर के लोगों को मताधिकार से वंचित करने की एक स्पष्ट चाल है.

गैर स्थानीय मतदाताओं का मुद्दा उठाने वाले दलों की भाजपा ने की खिंचाई

जम्मू कश्मीर की संशोधित मतदाता सूची में ‘गैर स्थानीय’ मतदाताओं को शामिल करने का मुद्दा उठाने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) समेत अन्य दलों की खिंचाई की और आरोप लगाया कि ये दल शांति में खलल डालने के लिए दुष्प्रचार कर रहे हैं.

भाजपा की जम्मू कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ‘स्थानीय या गैर-स्थानीय’ का कोई मुद्दा नहीं है, क्योंकि संविधान प्रत्येक नागरिक को 18 वर्ष की उम्र प्राप्त करने के बाद मतदान करने का अधिकार देता है.

रैना ने कहा, ‘जन प्रतिनिधि अधिनियम वर्ष 1950 में पूरे देश में लागू किया गया था और अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद इसे जम्मू कश्मीर तक बढ़ा दिया गया, मतदाता सूची का संशोधन अधिनियम के अनुसार हो रहा है.’

रैना ने कहा कि बैठक में कांग्रेस नेताओं के भाग लेने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी देश के प्रति जवाबदेह हैं, क्योंकि यह अधिनियम 1950 में कांग्रेस द्वारा लागू किया गया था.

रैना ने कहा, ‘उनके भ्रामक प्रचार का कोई औचित्य नहीं है. जब पीडीपी के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ सकते हैं और जीत सकते हैं और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद महाराष्ट्र से चुने जाते हैं, तो उस समय कोई हंगामा नहीं हुआ था.’

उन्होंने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद स्थानीय चुनावों में मतदान का अधिकार पाने वाले पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों, गोरखा और वाल्मीकि समुदाय का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें 70 वर्षों में पहली बार मतदाता के रूप में खुद को पंजीकृत करने का मौका मिल रहा है.

रैना ने कहा कि इस मुद्दे पर भाजपा जागरूकता अभियान चलाएगी. उन्होंने कहा कि यहां दशकों से रह रहे लोगों का वे विरोध कैसे कर सकते हैं, जिन्हें पिछले 70 साल के दौरान उनके शासन में अधिकारों से वंचित रखा गया.

रैना ने उन आरोपों को खारिज किया जिसमें इसे भाजपा द्वारा अपने मतदाताओं की संख्या बढ़ाने का एक प्रयास करार दिया गया था.

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को फर्जी मतदाताओं की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि पार्टी जम्मू कश्मीर के निवासियों के समर्थन से 50 से अधिक (विधानसभा सीट) के अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगी.

उन्होंने कहा कि फारूक अब्दुल्ला खुद एक केंद्रीय मंत्री और एक मुख्यमंत्री रहे और यहां तक ​​कि हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके नाम का प्रस्ताव राष्ट्रपति पद के लिए किया था और वह इससे खुश थे.

उन्होंने कहा कि अब्दुल्ला को इस तरह के दुष्प्रचार से दूर रहना चाहिए, क्योंकि वह देश के नागरिक हैं.

नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी के खिलाफ अपना हमला जारी रखते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि ये जनता को गुमराह करने और शांति भंग करने की साजिश के तहत एक साथ आए हैं.

रैना ने कहा, ‘उन्होंने हमेशा शवों पर राजनीति की है. वे जनविरोधी हैं और उन्हें जम्मू कश्मीर की समृद्धि और विकास की चिंता कम है, लेकिन यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तेज गति से जारी है.’

रैना ने कहा कि आजादी के 75 साल पूरे होने पर अपने घरों पर तिरंगा फहराकर जम्मू कश्मीर के लोगों ने दिखाया कि वे अपने देश से प्यार करते हैं.