महागठबंधन सरकार द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बुधवार को राजद नेताओं के यहां हुई सीबीआई छापेमारी को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग वो ‘तीन जमाई’ हैं, जिन्हें भाजपा उन राज्यों में भेजती है जहां वह सत्ता में नहीं है.
पटना: बिहार में नवगठित ‘महागठबंधन’ सरकार ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायकों के बहिर्गमन (वॉक आउट) के बीच आसानी से विश्वास मत हासिल कर लिया. भाजपा को हाल ही में हुए सियासी उलटफेर में राज्य में सत्ता से बाहर होना पड़ा था.
करीब दो सप्ताह पहले नीतीश कुमार ने भाजपा का सतह छोड़कर राजद समेत सात दलों के साथ मिलकर महागठबंधन सरकार बनाई है. उल्लेखनीय है कि ऐन बहुमत साबित करने के दिन सीबीआई ने राजद के कई नेताओं के यहां छापेमारी की.
विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने संसदीय मामलों के मंत्री विजय कुमार चौधरी के अनुरोध पर गिनती का आदेश दिया. चौधरी ने कहा कि ध्वनिमत ने स्पष्ट रूप से बहुमत का समर्थन दर्शाया है, लेकिन गिनती से किसी भी तरह के भ्रम की गुंजाइश नहीं रहेगी.
कुल मिलाकर 160 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि इसके खिलाफ कोई वोट नहीं पड़ा. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के एकमात्र विधायक अख्तरुल ईमान ने भी विश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया. ईमान की पार्टी सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा नहीं है.
भाजपा के कुछ विधायकों ने सदन में हंगामा किया और मांग की कि उपाध्यक्ष सदस्यों की संख्या गिनने में समय बर्बाद न करें, बल्कि दिन के लिए निर्धारित कामकाज पर ध्यान दें. इन विधायकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाषण के दौरान सदन से बहिर्गमन भी किया.
इसके बाद भाजपा विधायकों ने सदन की कार्यवाही के बहिष्कार की घोषणा की. इस पर उपाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया, लेकिन उन्होंने सदन को सूचित किया कि गुरुवार को नए विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया जाएगा. यह पद भाजपा के विजय कुमार सिन्हा के इस्तीफे के बाद रिक्त हुआ है.
नीतीश कुमार ने लगभग आधे घंटे के अपने भाषण में कथित तौर पर भाजपा के इशारे पर लोजपा के चिराग पासवान द्वारा किए गए विद्रोह के साथ ही आरसीपी सिंह के माध्यम से जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) में विभाजन के प्रयासों की ओर परोक्ष रूप से इशारा किया.
नीतीश ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी कोई व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं है और उन्होंने भाजपा के इस आरोप को खारिज किया कि उनके रुख में ताजा यू-टर्न का उद्देश्य विपक्षी खेमे की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनना है.
उन्होंने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एकजुट रहने का आग्रह किया. जदयू नेता ने भाजपा के साथ अपने पुराने जुड़ाव को भी याद किया और मौजूदा सरकार तथा अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के युग के बीच के अंतर का जिक्र किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार काम कम करती है और प्रचार-प्रसार अधिक करती है. भाजपा विधायकों के अपने विरोध में बोलने पर उन्होंने कहा, ‘मेरे खिलाफ बोलें. हो सकता है कि इससे आपको अपने राजनीतिक आकाओं से कुछ पुरस्कार मिल जाए.’
गौरतलब है कि कुमार वर्ष 2017 में राजद और कांग्रेस का साथ छोड़कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लौट आए थे. भाजपा के साथ तीन बार सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार वर्ष 2014 में राजग को छोड़ राजद व कांग्रेस के नए महागठबंधन सरकार में शामिल हो गए थे.
प्रदेश के 242 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 121 विधायकों की आवश्यकता होती है, राजद के पास सबसे अधिक 79 विधायक हैं, उसके बाद भाजपा के 77 और जद (यू) के पास 44 विधायक हैं.
सीबीआई के छापों को लेकर विधानसभा के भीतर भाजपा पर भड़के तेजस्वी
राजद के विभिन्न नेताओं के खिलाफ छापों से नाराज बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और आयकर विभाग को ‘तीन जमाई’ करार दिया जिन्हें भाजपा उन राज्यों में भेजती है जहां वह सत्ता में नहीं है.
राज्य की नवगठित ‘महागठबंधन’ सरकार द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि वह ‘समाजवादी विचारधारा को समाप्त’ करने के प्रयास के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी को ‘तोड़ने’ का प्रयास कर रही है.
यादव ने कहा, ‘मेरे पिता लालू प्रसाद, मां राबड़ी देवी, मेरी बहनें और मैं, हम सभी समाजवादी विचारधारा के प्रति समर्पण की कीमत चुका रहे हैं. मुख्यमंत्री और मेरी विचारधारा समान है. हम समाजवादियों ने जो बोया है उसे आप (भाजपा) नहीं काट सकते.’
राजद के संभावित उत्तराधिकारी ने मीडिया के कुछ धड़ों को लेकर भी निराशा जताई और कहा कि उन लोगों ने बिना किसी आधार के कहा कि गुरुग्राम में एक मॉल पर सीबीआई ने छापा मारा है, वह मॉल उनका (तेजस्वी) है.
यादव ने कहा, ‘इन मीडिया संस्थानों को कुछ पड़ताल करनी चाहिए. यह (मॉल) हरियाणा के किसी व्यक्ति का है और इसका उद्घाटन भाजपा के सांसद ने किया था.’
बिहार विधानसभा में विपक्ष का नेता कौन होगा, इसपर फैसला लेने में भाजपा की अक्षमता पर चुटकी लेते हुए युवा नेता ने कहा, ‘दिल्ली में बैठे लोग बिहार की आत्मा को नहीं समझते. यहां डराना-धमकाना नहीं चलता है. तीन ‘जमाइयों’ को यहां भेजने से हम नहीं डरने वाले. भाजपा बिना दुल्हे की बारात जैसी नजर आ रही है.’
यादव ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार ने ‘साहसिक फैसला’ लिया है और यह देश के लोगों के लिए ‘आशा की नई किरण’ लेकर आया है.
उन्होंने टिप्पणी की कि भाजपा के नेताओं को यह भी याद रखना चाहिए कि मुख्यमंत्री को और किसी ने नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं समाजवादी कहा था. उन्होंने कहा, ‘आप सभी 2024 के आम चुनावों से डरे हुए हैं क्योंकि बिहार में संयुक्त विपक्ष भाजपा को बुरी तरह हराएगा. इसलिए तीन जमाइयों को भेजा जा रहा है.’
इस बीच, उनके बार-बार ‘जमाई’ शब्द के उपयोग पर भाजपा के नेताओं ने विरोध जताया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)