पूर्व वैज्ञानिकों ने कहा, इसरो के संबंध में रॉकेट्री फिल्म में दिखाए गए 90 प्रतिशत मामले झूठे

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व वैज्ञानिकों के एक समूह ने आरोप लगाया है कि इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन द्वारा फिल्म 'रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट' और कुछ टेलीविजन चैनलों के माध्यम से किए गए दावे झूठे हैं और अंतरिक्ष एजेंसी को बदनाम करने के समान हैं.

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रॉकेट्री फिल्म का पोस्टर. (साभार: यूट्यूब/ट्राईकलर फिल्म्स)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व वैज्ञानिकों के एक समूह ने आरोप लगाया है कि इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन द्वारा फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ और कुछ टेलीविजन चैनलों के माध्यम से किए गए दावे झूठे हैं और अंतरिक्ष एजेंसी को बदनाम करने के समान हैं.

रॉकेट्री फिल्म का पोस्टर. (साभार: यूट्यूब/ट्राईकलर फिल्म्स)

तिरुवनंतपुरम: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिकों के एक समूह ने बुधवार को आरोप लगाया कि इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन द्वारा फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ और कुछ टेलीविजन चैनलों के माध्यम से किए गए दावे झूठे हैं और अंतरिक्ष एजेंसी को बदनाम करने के समान हैं.

डॉ. एई मुतुनायगम, निदेशक, एलपीएसई, इसरो, प्रो. ईवीएस नंबूतीरी, परियोजना निदेशक, क्रायोजेनिक इंजन और डी. शशिकुमारन, उप निदेशक, क्रायोजेनिक इंजन और इसरो के अन्य पूर्व वैज्ञानिकों ने बुधवार को यहां मीडिया से मुलाकात की और फिल्म में किए गए दावों को खारिज किया.

अभिनेता आर. माधवन द्वारा निर्देशित, निर्मित और लिखित फिल्म एयरोस्पेस इंजीनियर नंबी नारायणन के जीवन पर आधारित है. फिल्म में माधवन मुख्य भूमिका में हैं.

पूर्व वैज्ञानिकों ने कहा, ‘हम जनता को कुछ मामलों को बताने के लिए मजबूर हैं क्योंकि नंबी नारायणन इसरो और अन्य वैज्ञानिकों को फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से बदनाम कर रहे हैं. उनका यह दावा गलत है कि वह कई परियोजनाओं के जनक हैं. उन्होंने फिल्म में यहां तक ​​​दावा किया है कि उन्होंने एक बार एपीजे अब्दुल कलाम को सही किया था, जो आगे चलकर देश के राष्ट्रपति बने. यह भी गलत है.’

पूर्व वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि उन्होंने इसरो के वर्तमान अध्यक्ष एस. सोमनाथ से फिल्म में किए गए झूठे दावों पर निर्णय लेने के लिए कहा है.

पूर्व वैज्ञानिकों ने कहा कि फिल्म में नारायणन का यह दावा गलत है कि उनकी गिरफ्तारी के कारण भारत को क्रायोजेनिक तकनीक हासिल करने में देरी हुई.

उन्होंने कहा कि इसरो ने 1980 के दशक में क्रायोजेनिक तकनीक विकसित करना शुरू किया था और ईवीएस नंबूदरी प्रभारी थे. उन्होंने दावा किया, ‘नारायणन का परियोजना से कोई संबंध नहीं था.’

पूर्व वैज्ञानिकों के समूह ने यह भी दावा किया कि इसरो के संबंध में फिल्म में उल्लेखित कम से कम 90 प्रतिशत मामले झूठे हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमें यह भी पता चला है कि नारायणन ने कुछ टेलीविजन चैनलों में दावा किया है कि फिल्म में जो कुछ कहा गया है वह सच है. कुछ वैज्ञानिकों ने यह भी ​​चिंता जताई है कि नारायणन उनकी कई उपलब्धियों का श्रेय ले रहे हैं.’

पूर्व वैज्ञानिकों के आरोपों के संबंध में नारायणन या फिल्म के निर्माताओं की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

ज्ञात हो कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इसरो जासूसी मामले में केरल पुलिस की भूमिका की जांच का आदेश दिया था, जिसमें 76 वर्षीय नारायणन आरोपी थे.

इस मामले में गिरफ्तार किए गए नारायणन को करीब दो महीने जेल में रहना पड़ा था और बाद में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पाया कि जासूसी का मामला झूठा था और आरोप गढ़े गए थे.

यह मामला 1994 में सामने आया था, जो दो वैज्ञानिकों और चार अन्य द्वारा मालदीव की दो महिलाओं के साथ मिलकर कुछ स्पेसफ्लाइट संबंधित गतिविधियों को विदेशों को भेजने के आरोपों से जुड़ा था.

पहले मामले की जांच पुलिस ने की थी और बाद में इसे सीबीआई को सौंप दिया गया, जिसने पाया था कि कोई जासूसी नहीं हुई थी.

इस घोटाले का राजनीतिक प्रभाव भी पड़ा था जब कांग्रेस के एक वर्ग ने इस मुद्दे पर तत्कालीन मुख्यमंत्री दिवंगत के. करुणाकरण को निशाना बनाया, जिसके कारण अंततः उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. वाम दलों ने भी इस घटना का इस्तेमाल उस समय सत्तारूढ़ कांग्रेस को निशाना बनाने के लिए किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)