दिल्ली हाईकोर्ट का ‘अग्निपथ’ योजना पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र से मांगा जवाब

केंद्र ने संविदा आधारित अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना की घोषणा बीते 14 जून को की थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने समक्ष लंबित उन सभी जनहित याचिकाओं को बीते 19 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट को स्थानांतरित कर दिया था, जिनमें इस योजना को चुनौती दी गई थी.

(फोटो: पीटीआई)

केंद्र ने संविदा आधारित अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना की घोषणा बीते 14 जून को की थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने समक्ष लंबित उन सभी जनहित याचिकाओं को बीते 19 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट को स्थानांतरित कर दिया था, जिनमें इस योजना को चुनौती दी गई थी.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सशस्त्र बलों में भर्ती की संविदा आधारित ‘अग्निपथ’ योजना पर रोक लगाने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया और केंद्र सरकार से इसे चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने को कहा.

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने केंद्र से योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक जवाब दाखिल करने को कहा और जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को चार सप्ताह का समय दिया.

याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील ने अदालत से याचिकाओं पर फैसला होने तक योजना को लागू करने पर रोक लगाने का आग्रह किया.

अदालत ने हालांकि यह कहते हुए योजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया कि वह कोई अंतरिम आदेश नहीं दे रही है और वह इस मामले में आखिर तक सुनवाई करेगी.

कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि अदालत कह सकती है कि ‘अग्निपथ’ योजना के माध्यम से नियुक्ति रिट याचिकाओं के फैसले के अधीन होगी.

इस पर पीठ ने कहा, ‘ऐसा ही हमेशा होता है.’

सुनवाई के दौरान जब पीठ ने जानना चाहा कि क्या केंद्र ने अपना जवाब दाखिल किया है, तो सरकारी वकील ने कहा कि अभी नोटिस जारी किया जाना बाकी है और सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि योजना से संबंधित सभी मामले दिल्ली हाईकोर्ट को स्थानांतरित किए जाएं.

उसने कहा, ‘आपको जवाब दाखिल करने की आवश्यकता थी.’

केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि उनका जवाब लगभग तैयार है और इसे सॉलिसिटर जनरल द्वारा जांचे जाने की जरूरत है, जिसके बाद इसे अदालत में दायर किया जाएगा.

उन्होंने ‘अग्निपथ’ योजना से संबंधित मामलों में जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय मांगा.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने समक्ष लंबित उन सभी जनहित याचिकाओं को बीते 19 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट को स्थानांतरित कर दिया था, जिनमें सशस्त्र बलों में भर्ती से जुड़ी केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ’ योजना को चुनौती दी गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने केरल, पंजाब एवं हरियाणा, पटना और उत्तराखंड हाईकोर्ट से भी इस योजना के खिलाफ उनके यहां दायर सभी जनहित याचिकाओं को या तो दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने या फिर उन पर तब तक फैसला निलंबित रखने को कहा था, जब तक दिल्ली हाईकोर्ट अपना निर्णय नहीं कर लेता.

इससे पूर्व ‘अग्निपथ’ योजना को लेकर शीर्ष अदालत में तीन याचिकाएं दायर की गई थीं.

शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें केंद्र की अग्निपथ योजना के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन से रेलवे सहित सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

याचिका में केंद्र और उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, हरियाणा और राजस्थान सरकारों को हिंसक विरोध प्रदर्शनों पर एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

शीर्ष अदालत में हर्ष अजय सिंह के वकील ने कहा था कि उन्होंने सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए ‘अग्निपथ’ योजना लाये जाने संबंधी केंद्र के फैसले को चुनौती दी है.

बीते जून महीने में योजना लागू होने के तुरंत बाद इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए था, जिसके बाद देश के सैन्य नेतृत्व ने बीते 19 जून को घोषणा की थी कि नई भर्ती योजना के लिए आवेदकों को इस प्रतिज्ञा के साथ एक शपथ-पत्र देना होगा कि उन्होंने किसी भी विरोध, आगजनी या आंदोलन में भाग नहीं लिया है.

गौरतलब है कि ‘अग्निपथ योजना’ की घोषणा बीते 14 जून को की गई थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. चार साल बाद इनमें से केवल 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा नियमित करने का प्रावधान है.

इस योजना के खिलाफ कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. बाद में सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को एक साल के लिए बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया था.

हालांकि अभी भी इसे वापस लिए जाने की मांग की जारी है, लेकिन सेना ने भर्ती के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बनाते हुए इसकी प्रक्रिया जुलाई महीने से शुरू होने की अधिसूचना जारी कर दी थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)