दो हफ्ते बाद भारत ने सलमान रुश्दी पर किए गए जानलेवा हमले की निंदा की

साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत हमेशा हिंसा और उग्रवाद के ख़िलाफ़ खड़ा रहा है. हम सलमान रुश्दी पर हुए भीषण हमले की निंदा करते हैं और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं.

/
सलमान रुश्दी. (फोटो: पीटीआई)

साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत हमेशा हिंसा और उग्रवाद के ख़िलाफ़ खड़ा रहा है. हम सलमान रुश्दी पर हुए भीषण हमले की निंदा करते हैं और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं.

सलमान रुश्दी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: जाने-माने लेखक सलमान रुश्दी पर हुए जानलेवा हमले के करीब दो हफ्ते बाद पहली बार प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत ने बृहस्पतिवार को इसकी निंदा की और उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की.

अमेरिका में पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्का इंस्टीट्यूशन (Chautauqua Institution) में 12 अगस्त को एक कार्यक्रम के दौरान अपना व्याख्यान शुरू करने जा रहे 75 वर्षीय सलमान रुश्दी पर एक व्यक्ति ने चाकू से 10 बार वार किया था, जिससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे.

साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में द वायर के एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘भारत हमेशा से हिंसा और कट्टरपंथ के खिलाफ रहा है. हम सलमान रुश्दी पर हुए भयावह हमले की निंदा करने के साथ ही उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं.’

साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में द वायर के एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने हमले की निंदा की. उन्होंने कहा कि भारत हमेशा हिंसा और उग्रवाद के खिलाफ खड़ा रहा है. हम सलमान रुश्दी पर हुए भीषण हमले की निंदा करते हैं और हम उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं.

इस हमले के तीन दिन बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने केवल यह कहा था कि बुकर पुरस्कार विजेता पर हमला किया गया है. उन्होंने घटना के बारे में एक सवाल के जवाब में कहा था, ‘मैंने इसके बारे में भी पढ़ा. यह ऐसी चीज है जिस पर पूरी दुनिया ने गौर किया है और पूरी दुनिया ने इस तरह के हमले पर प्रतिक्रिया दी है.’

हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीस ने हमले के तुरंत बाद इसकी निंदा की थी.

रूश्दी पर हमले के बाद जो बाइडन ने 13 अगस्त को कहा था, ‘मानवता में अपनी अंतर्दृष्टि के साथ, कहानी के लिए अपनी बेजोड़ भावना के साथ, डराने या चुप रहने से इनकार करने के साथ सलमान रुश्दी आवश्यक सार्वभौमिक आदर्शों के लिए खड़े हैं.’

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने कहा था कि ईरान के सरकारी संस्थानों ने रूश्दी के खिलाफ हिंसा को उकसाया, क्योंकि लेखक हमेशा सर्वभौम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिये खड़े होते रहे.

सलमान रूश्दी पर हुए इस हमले की पूरे विश्व में निंदा की गई थी और उनके लिए समर्थन व्यक्त किया गया था.

रूश्दी ने उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘द सैटेनिक वर्सेज’ के प्रकाशन के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रूहोल्ला खोमेनेई द्वारा 1989 में उन्हें मारने को लेकर जारी किए गए फतवे के बाद से वह वर्षों तक कड़ी सुरक्षा में रहे थे.

दुनिया भर के अधिकांश मुसलमान इस उपन्याय को ईश निंदा के तौर पर देखते हैं. भारत इस उपन्याय पर प्रतिबंध लगाने वाले शुरुआती कुछ देशों में शामिल हैं.

‘द सैटेनिक वर्सेज’ के जापानी अनुवादक को 1991 में चाकू मार दिया गया था और नॉर्वेजियन अनुवादक को दो साल बाद गोली मार दी गई थी.

रूश्दी पर हमला करने वाले की पहचान 24 वर्षीय हादी मातर के रूप में की गई है.

इस जानलेवा हमले के बाद रुश्दी को वेंटिलेटर पर रखने से पहले घंटों उनकी सर्जरी की गई थी. उनके साहित्यिक एजेंट के अनुसार, रुश्दी एक आंख खो सकते हैं और उनके हाथ और जिगर पर गंभीर चोटें लगी थीं. दो दिन बाद उन्हें वेंटिलेटर से हटा दिया गया और उन्होंने बात करना शुरू कर दिया था. हालांकि उनके ठीक होने में अभी लंबा समय लग सकता है.

हमले में किसी भी भूमिका से इनकार करते हुए ईरान सरकार ने कहा था कि वह और उनके समर्थक दुनिया के मुसलमानों को बदनाम करने के लिए निंदा और तिरस्कार के योग्य थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)