एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक़, वित्त वर्ष 2020-21 में आठ राष्ट्रीय दलों ने अज्ञात स्रोतों से 426.74 करोड़ रुपये प्राप्त होने की जानकारी दी है, जबकि 27 क्षेत्रीय पार्टियों के मामले में यह धनराशि 263.928 करोड़ रुपये है.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय दलों ने वित्त वर्ष 2004-05 से 2020-21 के बीच अज्ञात स्रोतों से 15,077 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि जुटाई. चुनाव सुधार संस्था ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ के नए विश्लेषण से यह बात सामने आई है.
एडीआर के मुताबिक, 2020-21 में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों ने अज्ञात स्रोतों से कुल 690.67 करोड़ रुपये एकत्रित किए. संस्था ने आठ राष्ट्रीय और 27 क्षेत्रीय दलों को अज्ञात स्रोतों से मिली धनराशि का विश्लेषण किया.
राष्ट्रीय दलों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) शामिल थीं.
वहीं, क्षेत्रीय आम आदमी पार्टी (आप), बीजू जनता दल (बीजद), द्रमुक मुनेत्र कषगम (द्रमुक), ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक), शिवसेना, तेलुगु देसम पार्टी (तेदपा), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), जनता दल (यूनाइटेड), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), राष्ट्रीय लोक दल (रालोद), शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख हैं.
यह विश्लेषण पार्टियों द्वारा दाखिल आयकर रिटर्न (आईटीआर) और भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के समक्ष चंदे के संबंध में दायर हलफनामे पर आधारित है. इससे पता चला है कि वित्त वर्ष 2004-05 से 2020-21 के बीच राष्ट्रीय दलों को अज्ञात स्रोतों से 15,077.97 करोड़ रुपये हासिल हुए.
एडीआर ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2020-21 में आठ राष्ट्रीय दलों ने अज्ञात स्रोतों से 426.74 करोड़ रुपये प्राप्त होने की जानकारी दी है, जबकि 27 क्षेत्रीय पार्टियों के मामले में यह धनराशि 263.928 करोड़ रुपये है.’
संस्था के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में कांग्रेस ने अज्ञात स्रोतों से 178.782 करोड़ रुपये हासिल होने का खुलासा किया है, जो राष्ट्रीय दलों को अज्ञात स्रोतों से प्राप्त कुल धनराशि का 41.89 फीसदी है.
एडीआर के अनुसार, भाजपा ने अज्ञात स्रोतों से आय के रूप में 100.502 करोड़ रुपये घोषित किए हैं, जो राष्ट्रीय दलों को अज्ञात स्रोतों से प्राप्त कुल धनराशि का 23.55 फीसदी है.
संस्था ने बताया कि अज्ञात स्रोतों से सबसे ज्यादा धनराशि हासिल करने वाले पांच शीर्ष क्षेत्रीय दलों में वाईएसआर-कांग्रेस (96.2507 करोड़), द्रमुक (80.02 करोड़), बीजद (67 करोड़), मनसे 5.773 करोड़ रुपये और ‘आप’ (5.4 करोड़) शामिल हैं.
एडीआर के मुताबिक, 2020-21 में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को अज्ञात स्रोतों से हासिल कुल 690.67 करोड़ रुपये में से 47.06 प्रतिशत राशि चुनावी बॉन्ड से मिली थी.
संस्था ने कहा कि वित्त वर्ष 2004-05 से 2020-21 के बीच कांग्रेस और राकांपा ने कूपन की बिक्री से कुल 4,261.83 करोड़ रुपये का चंदा जुटाया.
एडीआर के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सात राजनीतिक दलों की ऑडिट और चंदा रिपोर्ट में कई विसंगतियां हैं. इन दलों में टीएमसी, भाकपा, ‘आप’, शिअद, केरल कांग्रेस (एम), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (एआईएफबी) और अखिल भारतीय संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (एआईयूडीएफ) शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, एडीआर ने कहा कि ज्यादातर मामलों में पार्टियों द्वारा उनकी योगदान रिपोर्ट में घोषित 20,000 रुपये से अधिक के दान का हिस्सा उनकी ऑडिट रिपोर्ट में दिखाई गई आय से मेल नहीं खाता है.
एडीआर ने कहा कि इससे अज्ञात स्रोतों से होने वाली उनकी आय के सटीक आंकड़े तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है.
एडीआर रिपोर्ट में कहा, ‘वर्तमान में राजनीतिक दलों को 20,000 रुपये से कम देने वाले व्यक्तियों या संगठनों के नाम का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है. और न ही जिन्होंने चुनावी बाॉन्ड के माध्यम से दान दिया. नतीजतन, 36 प्रतिशत से अधिक फंड का पता नहीं लगाया जा सकता है और वे ‘अज्ञात’ स्रोतों से हैं.’
रिपोर्ट में कहा, ‘जबकि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को जून 2013 में सीआईसी के फैसले द्वारा आरटीआई अधिनियम के तहत लाया गया था, उन्होंने अभी भी निर्णय का पालन नहीं किया है. दुर्भाग्य से, वर्तमान कानूनों के तहत पूर्ण पारदर्शिता संभव नहीं है और यह केवल आरटीआई है जो नागरिकों को सूचित कर सकती है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)