बिलक़ीस बानो मामले के 11 दोषियों को रिहा करने पर हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहे वरिष्ठ भाजपा नेता शांता कुमार ने कहा कि गुजरात सरकार को अपनी ग़लती सुधारनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सज़ा से मिली छूट इन दोषियों के प्रभाव की सीमा बताती है और उनकी ताक़त पता चलती है कि उनके लिए नियमों को बदल दिया गया.
नई दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले के 11 दोषियों की समय-पूर्व रिहाई को लेकर गुजरात सरकार की आलोचना की है और कहा है कि वे इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने के लिए बात करेंगे.
समाचार वेबसाइट द प्रिंट के साथ एक विशेष बातचीत में वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे 80 वर्षीय भाजपा नेता शांता कुमार ने कहा कि गुजरात सरकार को अपना फैसला वापस लेना चाहिए और मामले में दोषी ठहराए गए लोगों को फांसी पर लटका देना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘दोषियों की रिहाई के बारे में सुनकर मेरा सिर शर्म से झुक गया. यह इतिहास के सबसे बर्बर मामलों में से एक था. कोई सरकार दोषियों को इतनी छूट कैसे दे सकती है?’
कुमार ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर दोषियों की रिहाई होने को भी शर्मनाक करार दिया.
उन्होंने कहा, ‘जब विशेष अदालत ने उन्हें उनके अपराध के लिए दोषी ठहराते हुए अपना फैसला सुनाया और उच्च न्यायालय ने बलात्कार और हत्या के लिए उनकी सजा को सही ठहराया, तो इसका मतलब है कि यह साबित हो गया है कि उन्होंने जघन्य अपराध किया है.’
पूर्व मुख्यमंत्री ने आश्चर्य जताते हुए कहा, ‘मुझे आश्चर्य है कि इतने जघन्य अपराधों के बावजूद उन्हें फांसी नहीं दी गई. अब मुझे यह जानकर और भी आश्चर्य हुआ कि गुजरात सरकार ने एक विशेष प्रावधान का इस्तेमाल करके उन्हें रिहा कर दिया है. यह शर्मनाक है कि आजादी का 75वां साल होने के बावजूद महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं.’
शांता कुमार ने कहा कि सजा से मिली छूट से इन दोषियों के प्रभाव की सीमा का पता चलता है. उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि दोषी पाए गए लोग शक्तिशाली हैं, क्योंकि उन्हें फांसी नहीं दी गई. इससे सिस्टम में उनकी ताकत पता चलती है कि उनके लिए नियमों को बदल दिया गया.
द प्रिंट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार को अपनी गलती सुधारनी चाहिए.
गौर करने वाली बात ये है कि इन 11 दोषियों की रिहाई उस साल की गई है, जब राज्य नए विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगा है.
शांता कुमार ने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री से इस छूट को वापस लेने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने का अनुरोध करूंगा, क्योंकि यह न सिर्फ न्याय की आत्मा के खिलाफ है, बल्कि यह महिलाओं की रक्षा के लिए हमारी असफल प्रतिबद्धता को भी दिखाता है.’
बहरहाल, द प्रिंट ने लिखा है कि उससे बात करने वाले भाजपा खेमे के कई नेताओं ने दावा किया कि उन्हें मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए बयान नहीं देने के लिए कहा गया है.
बता दें कि बीते 15 अगस्त को गुजरात की भाजपा सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत इस मामले के 11 दोषियों की उम्र कैद की सजा को माफ कर दिया था, जिसके बाद उन्हें 16 अगस्त को गोधरा के उप-कारागार से रिहा कर दिया गया था.
सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में जेल से बाहर आने के बाद बलात्कार और हत्या के दोषी ठहराए गए इन लोगों का मिठाई खिलाकर स्वागत किया जा रहा है. वहीं, रिहाई की सिफारिश करने वाले पैनल के एक सदस्य भाजपा विधायक सीके राउलजी ने बलात्कारियों को ‘अच्छे संस्कारों’ वाला ‘ब्राह्मण’ बताया था.
इसे लेकर कार्यकर्ताओं ने आक्रोश जाहिर किया था. इसके अलावा सैकड़ों महिला कार्यकर्ताओं समेत 6,000 से अधिक लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से दोषियों की सजा माफी का निर्णय रद्द करने की अपील की है.
मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को बिलकीस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा बरकरार रखी थी.
उन्हें भारतीय दंड संहिता के तहत एक गर्भवती महिला से बलात्कार की साजिश रचने, हत्या और गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने के आरोप में दोषी ठहराया गया था. बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा था.
वर्ष 2002 में गोधरा में एक ट्रेन में आगजनी की घटना के बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था, घटना के समय वह पांच महीने की गर्भवती थीं. मारे गए लोगों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी.