सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 में रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक के नोएडा के सेक्टर 93ए स्थित ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था. न्यायालय ने कहा था कि ज़िले के अधिकारियों की सांठगांठ के साथ भवन नियमों का उल्लंघन किया गया.
नोएडा/नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लगे नोएडा के सेक्टर 93ए में रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक के ट्विन टावर को रविवार दोपहर धराशायी कर दिया गया. अवैध रूप से निर्मित इन ढांचों को ध्वस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के साल भर बाद यह कार्रवाई की गई.
लगभग 100 मीटर ऊंचे ढांचों को विस्फोट कर चंद सेकेंड में गिरा दिया गया. दिल्ली के ऐतिहासिक गगनचुंबी ट्विन टावर को ‘वाटरफॉल इम्प्लोजन’ तकनीक की मदद से गिराया गया.
ट्विन टावर को ध्वस्त किए जाने के कुछ मिनट बाद आसपास की इमारतें सुरक्षित नजर आईं.
ट्विन टावर भारत में अब तक ध्वस्त किए गए सबसे ऊंचे ढांचे थे. नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी के भीतर 2009 से ‘एपेक्स’ (32 मंजिल) और ‘सियान’ (29 मंजिल) टावर निर्माणाधीन थे.
इमारतों को ध्वस्त करने के लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया.
#WATCH | I was just 70 metres away from the building. The domilition was 100% succesful. It took 9-10 seconds for the entire building to demolish. There were 10 people in my team, 7 foreign experts and 20-25 people from Edifice Engineering: Chetan Dutta, Edifice Official pic.twitter.com/v4rLBSZzDQ
— ANI (@ANI) August 28, 2022
ट्विन टावर को गिराने का कार्य करने वाली कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग के एक अधिकारी ने बताया कि एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी के आसपास मौजूद आवासीय इमारतों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.
एडिफिस, दक्षिण अफ्रीका की जेट डिमॉलिशंस, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) और नोएडा के अधिकारी ट्विन टावर के पास स्थित दो सोसाइटी एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज की इमारतों का संरचनागत विश्लेषण कर रहे हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि धूल पर पानी का छिड़काव करने के लिए ‘एंटी स्मॉग गन’ (पानी का छिड़काव करने वाले उपकरण) का उपयोग किया जा रहा है.
ट्विन टावर में 40 मंजिलें और 21 दुकानों समेत 915 आवासीय अपार्टमेंट प्रस्तावित थे.
इन ढांचों को ध्वस्त किए जाने से पहले इनके पास स्थित दो सोसाइटी एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के करीब 5,000 लोगों को वहां से हटा दिया गया. इसके अलावा, करीब 3,000 वाहनों तथा बिल्ली और कुत्तों समेत 150-200 पालतू जानवरों को भी हटाया गया.
अनुमान के मुताबिक, ट्विन टावर को गिराने के बाद इससे उत्पन्न हुए 55 से 80 हजार टन मलबा हटाने में करीब तीन महीने का समय लगेगा.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 में रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक के ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था. न्यायालय ने कहा था कि जिले के अधिकारियों की सांठगांठ के साथ भवन नियमों का उल्लंघन किया गया.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा था कि इन टावरों का निर्माण विभिन्न नियमों और कानूनों का उल्लंघन करते हुए हुआ है.
शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि अवैध निर्माण से कठोरता से निपटने की जरूरत है, ताकि कानून का शासन का अनुपालन सुनिश्चित हो सके.
अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि रियल एस्टेट कंपनी इन दोनों टावरों में फ्लैट बुक कर चुके खरीददारों का पैसा बुकिंग के समय से 12 फीसदी ब्याज सहित लौटाएं. साथ ही रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को दो टावरों के निर्माण से हुई परेशानी के लिए दो करोड़ रुपये दिए जाएं.
सुप्रीम कोर्ट ने टावरों के अवैध निर्माण के लिए बिल्डर के साथ सांठगांठ से काम करने के लिए प्राधिकरण को भी फटकार लगाई थी.
अदालत ने कहा था कि सुपरटेक के 915 फ्लैट और दुकानों वाले 40 मंजिला दो टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण के साथ सांठगांठ कर किया गया है और हाईकोर्ट का विचार सही था.
इसके बाद अक्टूबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक लिमिटेड के इन ट्विन टावर गिराने के अपने आदेश में संशोधन की मांग से जुड़ा कंपनी के आवेदन को खारिज कर दिया था.
मुंबई की एडिफिस इंजीनियरिंग को 28 अगस्त 2022 को ट्विन टावर को गिराने का कार्य सौंपा गया था. कंपनी ने इस जोखिम भरे कार्य के लिए दक्षिण अफ्रीका की जेट डिमॉलिशंस, के साथ एक करार किया था. शीर्ष न्यायालय द्वारा सीबीआरआई को परियोजना के लिए तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया था.
एडिफिस इंजीनियरिंग और जेट डिमॉलिशंस ने इससे पहले 2020 में कोच्चि (केरल) स्थित मराडू कॉम्प्लेक्स को ढहाया था, जिसमें 18 से 20 मंजिलों वाले चार आवासीय भवन थे.
वर्ष 2019 में जेट डिमॉलिशंस ने जोहानिसबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) में बैंक ऑफ लिस्बन की 108 मीटर ऊंची इमारत को ढहाया था.
ट्विन टावर गिराए जाने से हमें 500 करोड़ रुपये का नुकसानः सुपरटेक चेयरमैन
रियल्टी फर्म सुपरटेक लिमिटेड के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने रविवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोएडा स्थित ट्विन टावर इमारत को गिराए जाने से कंपनी को करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
अरोड़ा ने कहा कि इस इमारत को ढहाए जाने से उसके निर्माण पर आई लागत एवं कर्ज पर देय ब्याज के रूप में कंपनी को करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है.
अरोड़ा ने कहा, ‘हमारा कुल नुकसान करीब 500 करोड़ का हुआ है. इसमें इमारत के निर्माण और जमीन की खरीद पर आई लागत के अलावा नोएडा प्राधिकरण को तमाम मंजूरियों के लिए दिए गए शुल्क और बैंकों को कर्ज पर दिया गया ब्याज शामिल है. इसके अलावा हमें इन टावर में फ्लैट खरीदने वाले ग्राहकों को भी 12 प्रतिशत की दर से ब्याज देना पड़ा है.’
ये दोनों टावर नोएडा के सेक्टर 93ए में एक्सप्रेसवे पर स्थित सुपरटेक की एमराल्ड कोर्ट परियोजना का हिस्सा थे. इन टावर में बने 900 से अधिक फ्लैट की मौजूदा बाजार मूल्य के हिसाब से कीमत करीब 700 करोड़ रुपये थी.
अरोड़ा ने कहा कि अदालत ने भले ही इन टावर को गिराने का आदेश दिया, लेकिन सुपरटेक ने नोएडा विकास प्राधिकरण की तरफ से स्वीकृत भवन योजना के अनुरूप ही इनका निर्माण किया था.
उन्होंने कहा कि इन दोनों टावर को विस्फोटक लगाकर ढहाए जाने के लिए एडिफिस इंजीनियरिंग कंपनी को सुपरटेक 17.5 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही है. एडिफिस ने इसे अंजाम देने का जिम्मा दक्षिण अफ्रीकी फर्म जेट डिमॉलिशंस को सौंपा था.
प्रमुख घटनाक्रम
2004: सुपरटेक को नोएडा के सेक्टर-93ए में नोएडा प्राधिकरण की ओर से एक आवास परियोजना के विकास के लिए जमीन आवंटित की गई, जिसके बाद सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी पर काम शुरू हुआ.
2005: एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी के लिए भवन योजना को नोएडा प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित किया गया. 10 मंजिल वाले 14 आवासीय टावर बनाने की अनुमति मिली.
2006: सुपरटेक ने परियोजना के लिए और जमीन की मांग की और नोएडा प्राधिकरण से अनुमोदन प्राप्त किया. परियोजना में एक और आवासीय टावर को समायोजित करने के लिए भवन योजना में संशोधन किया गया. आवासीय टावर की कुल संख्या 15 हुई.
2009: सुपरटेक डेवलपर ने एक बार फिर से भवन योजना को संशोधित किया. 24 मंजिलों वाले दो और टावर – एपेक्स और सियान को परियोजना में शामिल किया और तुरंत निर्माण शुरू किया. वहां आसपास रहने वाले कुछ लोगों ने भवन मानदंडों के उल्लंघन का हवाला देते हुए इसका विरोध किया. उस समय एमराल्ड कोर्ट में लगभग 40-50 लोग ही रह रहे थे.
2012: एपेक्स और सियान टावर में मंजिलों की संख्या बढ़ाकर 40 करने के लिए सुपरटेक डेवलपर ने भवन योजना को संशोधित किया, क्योंकि निर्माण कार्य पूरे जोरों पर था.
दिसंबर 2012: एमराल्ड कोर्ट रेजिडेंट्स एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया. एमराल्ड कोर्ट रेजिडेंट्स एसोसिएशन ने एक ही आवास परिसर के भीतर नए टावर के लिए वहां रहने वाले लोगों के बीच पूरी तरह से सहमति नहीं होने, इमारतों के बीच न्यूनतम 16 मीटर की दूरी और हरित क्षेत्र के लिए चिह्नित क्षेत्र में आने वाले नए निर्माण जैसे नियमों का उल्लंघन का हवाला देते हुए टावर के निर्माण का विरोध किया.
2014: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया. सुपरटेक डेवलपर के साथ मिलीभगत के लिए नोएडा प्राधिकरण को फटकार भी लगाई. निर्माण कार्य रुक गया.
मई 2014: सुपरटेक ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और राहत का अनुरोध करते हुए कहा कि टावर के निर्माण के लिए सभी स्वीकृतियां ली गई हैं.
31 अगस्त, 2021: सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से इमारत के नियमों के उल्लंघन को देखते हुए तीन महीने के भीतर टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया. न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कानून के शासन का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अवैध निर्माण से सख्ती से निपटना होगा.
फरवरी 2022: नोएडा प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि ट्विन टावर को 22 मई 2022 को ध्वस्त किया जाएगा.
17 मई, 2022: सुप्रीम कोर्ट ने ट्विन टावर को ध्वस्त करने की समय सीमा 28 अगस्त तक बढ़ा दी.
28 अगस्त, 2022: ट्विन टावर ध्वस्त किए गए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)