भारत में 2021 में यातायात हादसों में 1.73 लाख लोगों की मौत, सर्वाधिक उत्तर प्रदेश में

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2020 में यातायात संबंधी दुर्घटनाओं की संख्या 3,68,828 रही, जो 2021 में बढ़कर 4,22,659 हो गई. इन यातायात दुर्घटनाओं में 2021 के दौरान 3,73,884 लोग घायल हुए और 1,73,860 लोगों की मौत हो गई. उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 24,711 लोगों की मौत हुई.

Raebareli: Police and people stand near the wreckage of the car in which the Unnao rape survivor was travelling during its collision with a truck near Raebareli, Sunday, July 28, 2019. The rape survivor, who had accused BJP MLA Kuldeep Sengar of raping her, got seriously injured, while her mother and lawyer died in the road accident. (PTI Photo) (PTI7_29_2019_000152B)
रायबरेली में ट्रक की टक्कर से क्षतिग्रस्त कार. (फोटो: पीटीआई)

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2020 में यातायात संबंधी दुर्घटनाओं की संख्या 3,68,828 रही, जो 2021 में बढ़कर 4,22,659 हो गई. इन यातायात दुर्घटनाओं में 2021 के दौरान 3,73,884 लोग घायल हुए और 1,73,860 लोगों की मौत हो गई. उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 24,711 लोगों की मौत हुई.

Raebareli: Police and people stand near the wreckage of the car in which the Unnao rape survivor was travelling during its collision with a truck near Raebareli, Sunday, July 28, 2019. The rape survivor, who had accused BJP MLA Kuldeep Sengar of raping her, got seriously injured, while her mother and lawyer died in the road accident. (PTI Photo) (PTI7_29_2019_000152B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

 

नई दिल्ली: देश में 2021 में यातायात संबंधी करीब 4.22 लाख दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1.73 लाख लोगों की जान चली गई. इस तरह के हादसों में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 24,711 और इसके बाद तमिलनाडु में 16,685 लोगों की मौत हुई.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2020 में यातायात संबंधी दुर्घटनाओं की संख्या 3,68,828 रही, जो 2021 में बढ़कर 4,22,659 हो गई.

इन यातायात दुर्घटनाओं में 4,03,116 सड़क दुर्घटनाएं, 17,993 रेल दुर्घटनाएं और 1,550 रेलवे क्रॉसिंग दुर्घटनाएं शामिल हैं. 2021 में हुए इन हादसों में क्रमश: 1,55,622, 16,431 और 1,807 लोगों की मौत हो गई.

वर्ष 2020 से 2021 तक राज्यों में यातायात दुर्घटनाओं के मामलों की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि तमिलनाडु (46,443 से 57,090 तक) में दर्ज की गई. इसके बाद मध्य प्रदेश (43,360 से 49,493), उत्तर प्रदेश (30,593 से 36,509), महाराष्ट्र (24,908 से 30,086) और केरल में 2020 में हुए 27,998 हादसों की तुलना में 2021 में 33,051 हादसे हुए.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘इन यातायात दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप 2021 के दौरान 3,73,884 लोग घायल हुए और 1,73,860 लोगों की मौत हो गई. देश में उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 24,711 लोगों की मौत हुई तथा इसके बाद तमिलनाडु में 16,685 और महाराष्ट्र 16,446 लोगों की मौत हुई.’

वर्ष 2021 में देश में कुल यातायात दुर्घटनाओं में इन तीन राज्यों में क्रमश: 14.2 प्रतिशत, 9.6 प्रतिशत और 9.5 प्रतिशत मौतें हुईं तथा यह संयुक्त आंकड़ा राष्ट्रीय स्तर पर हुईं कुल 1,73,860 मौतों में से 33.3 प्रतिशत (57,842) है.

‘अन्य कारणों’ से होने वाली कुल मौतों में यातायात दुर्घटनाओं में होने वाली मौत का प्रतिशत 2017 के 45.1 प्रतिशत से घटकर 2021 में 44.5 प्रतिशत हो गया.

वर्ष 2017 से 2019 तक ‘यातायात दुर्घटनाओं’ में हुई मौतों की कुल संख्या में जहां वृद्धि देखी गई, वहीं 2020 में इसमें काफी गिरावट आई. 2021 में यह फिर से बढ़ी, लेकिन यह संख्या 2017, 2018 और 2019 की तुलना में कम रही.

वर्ष 2020 की तुलना में 2021 में दुर्घटनाओं में हुई मौतों की कुल संख्या में 18.8 प्रतिशत (1,46,354 से 1,73,860) की वृद्धि हुई.

देश में 2021 में सड़क दुर्घटनाओं के कुल 4,03,116 के मामले सामने आए. 2020 में इनकी संख्या 3,54,796 थी.

सड़क दुर्घटनाओं में 2020 में हुईं 1,33,201 मौतों के मुकाबले 2021 में 16.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ यह आंकड़ा 1,55,622 रहा.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में प्रति हजार वाहनों की मौत की दर 2020 में 0.45 से बढ़कर 2021 में 0.53 हो गई.

2021 के दौरान 4,03,116 सड़क दुर्घटनाओं में 1,55,622 लोगों की मौत हुई और 3,71,884 लोग घायल हुए.

आमतौर पर सड़क हादसों में मौत से ज्यादा लोग घायल होते हैं, लेकिन मिजोरम, पंजाब, झारखंड और उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में लोगों के घायल होने की तुलना में ज्यादा मौतें होती हैं.

मिजोरम में 64 सड़क हादसों में 64 लोगों की मौत हुई और 28 लोग घायल हुए, पंजाब में, 6,097 सड़क दुर्घटनाओं में 4,516 लोगों की मौत हुई और 3,034 लोग घायल हुए, झारखंड में 4,728 सड़क दुर्घटनाओं में 3,513 लोगों की मौत हुई और 3,227 लोग घायल हुए और उत्तर प्रदेश में 33,711 सड़क दुर्घटनाओं में 21,792 लोगों की मौत हुई और 19,813 लोग घायल हुए.

तेज गति और लापरवाही से वाहन चलाना सड़क हादसों की दो अहम वजह

तेज रफ्तार और लापरवाही से वाहन चलाना देश में सड़क हादसों की दो सबसे अहम वजह है, जिसके कारण वर्ष 2021 में क्रमश: 87,050 और 42,853 लोगों की जान चली गई. यह जानकारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में सामने आई है.

एनसीआरबी की नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल हुए कुल सड़क हादसों में से 1.9 प्रतिशत दुघर्टनाओं का कारण मादक पदार्थ या शराब के नशे में वाहन चलाना रहा. इसकी वजह से 2,935 लोगों की जान गई.

पिछले साल भारत में सड़क हादसों में कुल 1,55,622 लोगों की जान गई थी.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘दुर्घटनाओं के कारणों का विश्लेषण करने पर खुलासा हुआ कि सबसे अधिक सड़क हादसे तेज गति से वाहन चलाने की वजह से हुए. कुल हुए 4,03,116 हादसों में इनका योगदान 59.7 प्रतिशत (2,40,828 हादसे) है, जिनकी वजह से 87,050 लोगों की जान गई और 2,28,274 लोग घायल हुए.’

रिपोर्ट के मुताबिक, खतरनाक तरीके से वाहन चलाने और ओवरटेकिंग की वजह से पिछले साल कुल 1,03,629 हादसे हुए, जिनमें 42,853 लोगों की जान गई और 91,893 लोग घायल हुए.

एनसीआरबी के मुताबिक, देश में हुए कुल सड़क हादसों में खतरनाक तरीके से वाहन चलाने और ओवरटेकिंग का योगदान 25.7 प्रतिशत है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 2.8 प्रतिशत हादसे (11,110) खराब मौसम की वजह से हुए.

एनसीआरबी के अनुसार, खराब मौसम, शराब या मादक पदार्थ के नशे में वाहन चलाने और वाहन में तकनीकी खामी की वजह से क्रमश: 3.5 प्रतिशत (5,405 मौतें), 1.9 प्रतिशत (2935 मौतें), 1.3 प्रतिशत (2,022 मौतें) मौतें वर्ष 2021 के दौरान हुईं.

रिपोर्ट के मुताबिक, तेज गति से वाहन चलाने के कारण दुर्घटना में मरने वाले 87,050 लोगों में से अकेले 11,419 (13.1 प्रतिशत) लोगों की मौत तमिलनाडु में हुई. दूसरे स्थान पर 8,797 मौतों (10.1 प्रतिशत)के साथ कर्नाटक रहा.

लापरवाही और ओवरटेकिंग की वजह से हुए सड़क हादसों में सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश में हुईं. इस श्रेणी में देशभर में हुई कुल 42,853 मौतों में से 11,479 मौतें अकेले उत्तर प्रदेश में हुईं, जो कुल मौतों का 26.8 प्रतिशत है. वहीं इस श्रेणी में 4,299 मौतों (10 प्रतिशत) के साथ राजस्थान दूसरे स्थान पर रहा.

नशे में वाहन चलाने की वजह से होने वाले हादसों में मौत के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा. इस श्रेणी में हुई कुल मौतों में अकेले उत्तर प्रदेश में 27.1 प्रतिशत मौतें हुई. इसके बाद तेलंगाना (11.6 प्रतिशत), झारखंड (11.1 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (9.2 प्रतिशत) और महाराष्ट्र (6.4 प्रतिशत) का स्थान है.

रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में हुए कुल 2,40,747 हादसों में 30 प्रतिशत यानी 72,333 हादसे रिहायशी क्षेत्रों में हुए. इसी प्रकार शहरी क्षेत्रों में हुए 1,62,369 दुर्घटनाओं में से 48,270 हादसे यानी 29.7 प्रतिशत रिहायशी इलाकों में हुए.

शहरी क्षेत्रों में हुए सड़क हादसों में से 7.7 प्रतिशत (कुल 1,62,369 हादसों में से 12,528) पैदल सड़क पार करते हुए वक्त हुए.

रिपोर्ट के मुताबिक, देश में आठ प्रतिशत (कुल 4,03,116 में से 28,873) हादसे स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थानों के नजदीक हुए. इस श्रेणी में सबसे अधिक 24.4 प्रतिशत हादसे उत्तर प्रदेश में हुए, जबकि 9.4 प्रतिशत के साथ तमिलनाडु दूसरे स्थान पर है.

शहरी क्षेत्रों के आवासीय इलाकों के करीब हुए हादसों में मौत के मामले में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है, जहां पर इस श्रेणी में कुल 18 प्रतिशत (कुल 16,466 में से 2,969) मौतें दर्ज की गईं.

महानगरों में सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण बने आवारा जानवर: रिपोर्ट

देश के महानगरों में सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण आवारा कुत्ते, गाय और चूहे जैसे जानवर बने हैं. यह बात अग्रणी टेक-फर्स्ट बीमा प्रदाता कंपनी एको की ‘एको एक्सीडेंट इंडेक्स 2022’ रिपोर्ट में सामने आई है.

रिपोर्ट के अनुसार, देश में सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण जानवर थे, खासकर चेन्नई में जानवरों के कारण सबसे अधिक 3 प्रतिशत से ज्यादा दुर्घटनाएं दर्ज हुई हैं.

इसमें कहा गया है कि दिल्ली और बेंगलुरु में जानवरों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या 2 प्रतिशत थी.

देश के महानगरों में जानवरों के कारण होने वाले दुर्घटनाओं में कुत्तों के कारण 58.4 प्रतिशत तथा इसके बाद 25.4 प्रतिशत दुर्घटनाएं गायों के कारण हुईं.

रिपोर्ट के अनुसार, ‘आश्चर्यजनक बात यह है कि चूहों के कारण 11.6 प्रतिशत दुर्घटनाएं हुईं.’

कंपनी के बयान के अनुसार, इस दुर्घटना सूचकांक में बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, और मुंबई सहित मुख्य महानगरों में हुई दुर्घटनाओं का विवरण दिया गया है.

इसमें यह बात सामने आई है कि दिल्ली में दुर्घटना दर 20.3 प्रतिशत और मुंबई में 18.2 प्रतिशत है. दोनों शहरों में अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं वाहन चालकों के कारण हुईं.

सड़क हादसों के अन्य कारणों में जानवरों का सड़क पार करना, सड़क पर गड्ढे, तेज गाड़ी चलाना और नशे में वाहन चलाना आदि थे.

बयान में रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का सेक्टर-12 (नोएडा) और मुंबई में घाटकोपर (वेस्ट) सबसे ज्यादा दुर्घटना-संभावित क्षेत्र हैं. इसमें बेंगलुरु में स्थिति सबसे अच्छी थी.

एको के वरिष्ठ निदेशक अनिमेश दास ने कहा, ‘हम अक्सर दुर्घटनाओं का दोष खराब सड़कों को देते हैं, लेकिन यदि सड़क दुर्घटनाओं के लिए प्रमाणित उपाय किए जाएं तो उनका पूर्वानुमान लगाकर इसके कारण होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है. यह दुर्घटना सूचकांक हमारे नीति-निर्माताओं और प्रशासकों के लिए मददगार साबित होगा.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)