2021 में रोज़ाना बलात्कार के औसतन 86 मामले हुए दर्ज, राजस्थान में सर्वाधिक: एनसीआरबी

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, वर्ष 2021 में देशभर में दर्ज कुल 31,677 बलात्कार के मामलों में से 6,337 राजस्थान में थे, जबकि 2,845 बलात्कार के मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए थे. देश में 2020 की तुलना में पिछले साल बलात्कार के मामलों में 19.34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, वर्ष 2021 में देशभर में दर्ज कुल 31,677 बलात्कार के मामलों में से 6,337 राजस्थान में थे, जबकि 2,845 बलात्कार के मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए थे. देश में 2020 की तुलना में पिछले साल बलात्कार के मामलों में 19.34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली/जयपुर: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की नई रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2021 में बलात्कार के कुल 31,677 मामले, यानी रोजाना औसतन 86 मामले दर्ज किए गए. वहीं उस साल महिलाओं के खिलाफ अपराध के करीब 49 मामले प्रति घंटे दर्ज किए गए.

गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले एनसीआरबी की ‘क्राइम इन इंडिया 2021’ रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में बलात्कार के 28,046 मामले, जबकि 2019 में 32,033 मामले दर्ज किए गए थे.

रिपोर्ट के अनुसार, 2020 की तुलना में पिछले साल बलात्कार के मामलों में 19.34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

2021 में राजस्थान में बलात्कार के सबसे अधिक 6,337 मामले दर्ज किए, जिसके बाद मध्य प्रदेश में 2,947, महाराष्ट्र में 2,496, उत्तर प्रदेश में 2,845, दिल्ली में 1,250 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए.

रिपोर्ट के अनुसार, नगालैंड में 2021 में बलात्कार के सबसे कम 4 मामले दर्ज किए, उसके बाद सिक्किम में 8 मामले दर्ज किए. दरअसल, सभी पूर्वोत्तर राज्यों – असम (1835) को छोड़कर – बलात्कार के 100 से कम मामले दर्ज किए गए.

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि पूरे भारत में 96.5 प्रतिशत बलात्कार के मामलों में अपराधी महिला को जानता था. बलात्कार के कुल 31,677 मामलों में से, 28,147 या लगभग 89 प्रतिशत बलात्कार या तो दोस्तों (ऑनलाइन दोस्तों सहित), लिव-इन पार्टनर (विवाह के बहाने), अलग हुए पति या परिवार के दोस्तों, नियोक्ताओं या अन्य ज्ञात व्यक्तियों द्वारा किए गए थे.

रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में 3,038 मामलों में नाबालिगों के साथ बलात्कार किया गया, जो कि कुल मामलों का लगभग 10 प्रतिशत है. बलात्कार के लगभग 64 प्रतिशत मामले 18-30 आयु वर्ग की महिलाओं के खिलाफ थे.

रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में देश भर में ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध’ के कुल 4,28,278 मामले दर्ज किए गए, जिनमें अपराध की दर (प्रति एक लाख आबादी पर) 64.5 प्रतिशत थी. ऐसे अपराधों में 77.1 प्रतिशत मामलों में आरोप-पत्र दाखिल किए गए.

आंकड़ों के अनुसार, देशभर में 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,71,503 मामले और 2019 में 4,05,326 मामले दर्ज किए गए थे.

एनसीआरबी के अनुसार, 2021 में ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध’ के सबसे अधिक 56,083 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए. इसके बाद राजस्थान में 40,738, महाराष्ट्र में 39,526, पश्चिम बंगाल में 35,884 और ओडिशा में 31,352 मामले दर्ज किए गए.

पिछले साल देश में बलात्कार के सर्वाधिक मामले राजस्‍थान में दर्ज हुए

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में देश में बलात्‍कार के सबसे अधिक मामले राजस्‍थान में दर्ज किए गए और इनकी संख्या पूर्व वर्ष (2020) की तुलना में 19 प्रतिशत से अधिक बढ़ी.

एनसीआरबी की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के खिलाफ समग्र अपराध में उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान दूसरे स्थान पर है, जबकि बलात्कार के दर्ज मामलों में यह देश में पहले स्थान पर बना हुआ है.

एनसीआरबी के रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में देशभर में दर्ज कुल 31,677 बलात्कार के मामलों में से 6,337 राजस्थान में थे, जबकि 2,845 बलात्कार के मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए थे. वर्ष 2020 में राजस्थान में बलात्कार के दर्ज मामले 5,310 थे और 2021 में इसमें 19.34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.

रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2021 में देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,28,278 मामले दर्ज किए गए. इसमें सबसे अधिक 56,083 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है, इसके बाद राजस्थान है, जहां 40,738 मामले दर्ज किए गए हैं.

पिछले साल महिलाओं के खिलाफ अपराध में महाराष्ट्र 39,526 मामलों के साथ तीसरे और पश्चिम बंगाल 35,884 मामलों के साथ चौथे स्थान पर है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि आलोच्‍य साल में राजस्थान में दर्ज बलात्कार के कुल मामलों 6,337 में से 4,885 मामलों में पीड़ित वयस्क और 1,452 मामलों में नाबालिग थीं. वहीं, 18 पीड़ित छह साल से कम उम्र की थीं, 64 पीड़ित 6-12 साल की उम्र वर्ग, 442 पीड़ित 12-16 साल की उम्र वर्ग में और 929 पीड़ित 16-18 साल की उम्र वर्ग की थीं.

बलात्कार पीड़ितों की अधिकतम संख्या (3,265) 18-30 वर्ष की उम्र वर्ग में थी. 2021 में चार बलात्कार पीड़िता की उम्र 60 साल से ज्यादा थी.

इसके अनुसार, बलात्कार के दर्ज 6,074 मामलों में अपराधी पीड़िता के परिचित थे. 582 मामलों में आरोपी परिवार के सदस्य थे और 1701 मामलों में अपराधी दोस्त/ऑनलाइन दोस्त या लिव-इन पार्टनर थे, जबकि 263 मामलों में अपराधी अज्ञात थे.

उल्लेखनीय है कि राजस्थान में वर्ष 2020 में बलात्कार के 5,310 मामले और वर्ष 2019 में 5,997 मामले दर्ज हुए, जो देश में सबसे ज्यादा थे.

वहीं, राज्‍य में मुख्‍य विपक्षी दल भाजपा ने इस रिपोर्ट को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह अपराध से निपटने में कांग्रेस सरकार की विफलता को दर्शाती है. महिला आयोग की अध्यक्ष ने यह कहते हुए बचाव किया कि कई मामले फर्जी पाए गए हैं.

सामाजिक कार्यकर्ताओ ने भी महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की और अपराध के बढ़ने के पीछे सोशल मीडिया और इंटरनेट के उपयोग को एक कारक माना.

राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बताया कि, ‘कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति और अपराध में वृद्धि कांग्रेस सरकार की सबसे बड़ी विफलता है. अपराधों से राजस्थान की छवि खराब हुई है. राज्य में महिला सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि सरकार महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही है.’

उन्होंने कहा कि एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार 6,337 बलात्कार के मामले स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि राज्य में कानून व्यवस्था खराब है.

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राज्य में कोई पूर्णकालिक गृह मंत्री नहीं है और इसका परिणाम अपराधों में वृद्धि है.

उल्लेखनीय है कि गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है.

राजस्थान राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज चिश्ती ने कहा कि मामलों में वृद्धि चिंताजनक है, लेकिन जांच के दौरान कई मामले फर्जी पाए जाते हैं.

महिला अधिकार कार्यकर्ता निशा सिद्धू ने कहा कि बलात्कार के मामलों में वृद्धि के पीछे पारंपरिक कारणों के साथ-साथ सोशल मीडिया और इंटरनेट का ‘अप्रतिबंधित उपयोग’ भी है, जिसके कारण बलात्कार, छेड़छाड़ जैसे मामले बढ़ रहे हैं.

बलात्कार के मामलों में दिल्ली महानगरों की सूची में फिर सबसे ऊपर

20 लाख से अधिक आबादी वाले 19 शहरों में एक बार फिर दिल्ली में बलात्कार के सबसे अधिक मामले सामने आए. एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में राष्ट्रीय राजधानी में 1,226 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए. यह एकमात्र महानगरीय शहर है, जहां 1,000 से अधिक बलात्कार के मामले दर्ज किए हैं.

उसके बाद 2021 में बलात्कार के सबसे ज्यादा 502 मामले जयपुर में और मुंबई में 364 मामले दर्ज किए गए. कोलकाता में सबसे कम 11 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद कोयंबटूर में 12 और पटना में 30 मामले दर्ज किए गए.

बलात्कार के मामलों की दर (प्रति एक लाख महिला आबादी पर एक मामला दर्ज) कोलकाता (0.2) में सबसे कम थी, इसके बाद चेन्नई (1.0) और कोयंबटूर (1.1) का स्थान रहा.

बलात्कार के मामलों में जयपुर में सबसे अधिक अपराध दर (34.5) थी, इसके बाद दिल्ली (16.1) और इंदौर (15.9) का स्थान था. बलात्कार के लिए दो अंकों की अपराध दर वाले ये केवल तीन शहर हैं.

जब महिलाओं के खिलाफ समग्र अपराधों की बात आती है, तो राष्ट्रीय राजधानी में 19 महानगरों के कुल अपराधों का 32.20 प्रतिशत हिस्सा है, इसके बाद मुंबई में 12.76 प्रतिशत और बेंगलुरु 7.2 प्रतिशत है.

यूपी में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध

2021 में देश भर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,28,278 मामले दर्ज किए गए. सबसे अधिक 56,083 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है. इसके बाद राजस्थान है, जहां 40,738 मामले दर्ज किए गए हैं.

महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल पिछले साल महिलाओं के खिलाफ अपराध के क्रमशः 39,526 और 35,884 मामलों के साथ तीसरे और चौथे स्थान पर हैं.

नगालैंड में महिलाओं के खिलाफ सबसे कम अपराध दर्ज किए गए, जहां 54 मामले दर्ज किए. इसके बाद सिक्किम में 130, मिजोरम में 176 और गोवा में 224 मामले दर्ज किए गए.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ 31.8 प्रतिशत अपराध ‘पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता’ के तहत दर्ज किए गए थे. उसके बाद ‘महिलाओं पर शील भंग करने के इरादे से हमला’ (20.8 प्रतिशत), अपहरण (17.6 प्रतिशत) और बलात्कार (7.4 प्रतिशत) के मामले रहे.

अपराध दर (प्रति एक लाख महिला आबादी पर एक मामला दर्ज) 2021 में 64.5 थी, जबकि 2020 में यह 56.5 थी. राज्यों में असम में सबसे अधिक अपराध दर (168.3) थी, इसके बाद ओडिशा (137.8), हरियाणा (119.7) और राजस्थान (105.4) है.

एनसीआरबी की रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि देश भर में दहेज हत्या के 6,589 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 6,628 लोगों की मौत हुई. इनमें से एक तिहाई से अधिक मामले उत्तर प्रदेश में हैं, अकेले उस राज्य में 2,222 मामले दर्ज किए गए हैं. बिहार (1,000) एकमात्र अन्य राज्य था जहां दहेज हत्या के चार अंकों के मामले दर्ज किए गए.

महानगरों में दिल्ली में दहेज हत्या के 136 मामले दर्ज किए गए – जो अब तक की सबसे अधिक संख्या है. दूसरे सबसे ज्यादा मामले लखनऊ (51) में दर्ज किए गए, उसके बाद जयपुर में (34) दर्ज किए गए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)