14 सितंबर 2020 को उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथित तौर पर ऊंची जाति के युवकों ने 19 साल की एक दलित युवती का बलात्कार किया था. उनके साथ बुरी तरह मारपीट भी की गई थी. 29 सितंबर 2020 को दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी.
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले की सुनवाई की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का मंगलवार (30 अगस्त) को निर्देश दिया.
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सीबीआई के वकील अनुराग कुमार सिंह को यह निर्देश दिया.
अदालत ने उनसे कहा कि इस संबध में सीबीआई के सक्षम अधिकारी हलफनामा दाखिल करें. साथ ही पीठ ने हाथरस जिला न्यायाधीश से भी स्थिति रिपोर्ट तलब की है.
बार एंड बेंच के मुताबिक, जस्टिस राजन राय और जस्टिस जसप्रीत सिंह की पीठ ने संबंधित जिला न्यायाधीश को मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत से अगली सुनवाई की तारीख से पहले प्रगति रिपोर्ट हासिल करने का निर्देश दिया.
मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने राज्य सरकार से शवों के दाह संस्कार के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के संबंध में स्थिति के बारे में पूछा.
राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि वह हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या जैसी घटनाओं में मृतक के गरिमापूर्ण दाह संस्कार के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने के अंतिम चरण में हैं.
राज्य के वकील प्रांजल कृष्ण ने अदालत को बताया कि जल्द ही इसे अंतिम रूप देकर अधिसूचित कर दिया जाएगा. इसके बाद कोर्ट ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 20 सितंबर को सूचीबद्ध किया.
मालूम हो कि 14 सितंबर 2020 को हाथरस में कथित तौर पर ऊंची जाति के चार युवकों ने 19 साल की एक दलित युवती का बलात्कार किया था. इसके अलावा उनके साथ बुरी तरह मारपीट भी की गई थी. उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोटें आई थीं. आरोपियों ने उनकी जीभ भी काट दी थी.
29 सितंबर 2020 को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान युवती की मौत हो गई थी. इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसके शव का कथित रूप से जबरन अंतिम संस्कार करा दिया था.
युवती के भाई की शिकायत के आधार पर चार आरोपियों- संदीप (20 वर्ष), उसके चाचा रवि (35 वर्ष) और दोस्त लवकुश (23 वर्ष) तथा रामू (26 वर्ष) को गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ गैंगरेप और हत्या के प्रयास के अलावा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारक अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
बार एंड बेंच के अनुसार, इस साल जुलाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को मृतक पीड़ित के परिवार के एक सदस्य को रोजगार देने और उनके सामाजिक और आर्थिक पुनर्वास को ध्यान में रखते हुए परिवार को राज्य के दूसरे हिस्से में स्थानांतरित करने पर विचार करने का निर्देश दिया था.
5 अगस्त को न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को शवों के दाह संस्कार में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने और परामर्श देने का निर्देश दिया था, ताकि वे मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का सख्ती से पालन कर सकें.
बीते 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़े केरल के पत्रकार सिद्दिक कप्पन की जमानत याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब देने को कहा था.
प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित एवं जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट की पीठ ने याचिका पर अंतिम सुनवाई के लिए नौ सितंबर की तारीख निर्धारित की है.
मलयालम समाचार पोर्टल अझीमुखम के संवाददाता और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव सिद्दिक कप्पन को 5 अक्टूबर 2020 में तीन अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था.
कप्पन उस वक्त हाथरस जिले में 19 साल की एक दलित लड़की की बलात्कार के बाद अस्पताल में हुई मौत के मामले की रिपोर्टिंग करने के लिए वहां जा रहे थे. उन पर आरोप लगाया गया है कि वह कानून व्यवस्था खराब करने के लिए हाथरस जा रहे थे.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने इस माह की शुरुआत में कप्पन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. उनके खिलाफ हाथरस मामले में गैर कानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)