कंपनियां प्रतिबंधित पदार्थों के सरोगेट विज्ञापन बंद करें, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी: सरकार

उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि ऐसे देखा गया है कि संगीत सीडी, क्लब सोडा और पैकेज्ड पेयजल की आड़ में कई मादक उत्पादों और पेय पदार्थों का विज्ञापन किया जा रहा है, जबकि चबाने वाले तंबाकू और गुटखे ने सौंफ और इलायची का आवरण ले रखा है. ऐसे कई प्रमुख ब्रांड दिग्गज हस्तियों को अनुबंधित कर रहे हैं, जो अन्य लोगों के साथ प्रभावित होने वाले युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभारः फेसबुक/ConsumerAdvocacy)

उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि ऐसे देखा गया है कि संगीत सीडी, क्लब सोडा और पैकेज्ड पेयजल की आड़ में कई मादक उत्पादों और पेय पदार्थों का विज्ञापन किया जा रहा है, जबकि चबाने वाले तंबाकू और गुटखे ने सौंफ और इलायची का आवरण ले रखा है. ऐसे कई प्रमुख ब्रांड दिग्गज हस्तियों को अनुबंधित कर रहे हैं, जो अन्य लोगों के साथ प्रभावित होने वाले युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभारः फेसबुक/ConsumerAdvocacy)

नई दिल्ली: टेलीविजन और सोशल मीडिया मंचों पर किसी अन्य वस्तु के नाम पर नशीले पदार्थों- मसलन शराब, पान मसाले आदि के विज्ञापनों के प्रसारण (सरोगेट विज्ञापन) से चिंतित सरकार ने उद्योग निकायों सीआईआई, फिक्की और एसोचैम तथा विज्ञापन एवं प्रसारण से संबंधित लोगों को ऐसे विज्ञापनों के संबंध में मौजूदा दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.

इसका अनुपालन सुनिश्चित नहीं होने पर सरकार, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण नियामक (सीसीपीए) द्वारा उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी.

भ्रामक विज्ञापन की रोकथाम के लिए दिशानिर्देश, सरोगेट विज्ञापन (छद्म तरीके से प्रतिबंधित उत्पादों के विज्ञापन) या उन वस्तुओं या सेवाओं के अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाते हैं जिनका प्रचार करने पर कानूनन रोक है.

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बुधवार को कहा, ‘यह देखा गया है कि संबंधित संस्थाओं द्वारा इन दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है और प्रतिबंधित वस्तुओं का अब भी किसी अन्य वस्तु और सेवा के माध्यम से विज्ञापन किया जा रहा है.’

इसमें कहा गया है कि हाल ही में विश्वस्तर पर प्रसारित होने वाले खेल आयोजनों के दौरान इस तरह के सरोगेट विज्ञापनों के कई उदाहरण देखे गए थे.

मंत्रालय ने कहा, ‘यह भी देखा गया है कि संगीत सीडी, क्लब सोडा और पैकेज्ड पेयजल की आड़ में कई मादक उत्पादों और पेय पदार्थों का विज्ञापन किया जा रहा है. जबकि चबाने वाले तंबाकू और गुटखे ने सौंफ और इलायची का आवरण ले रखा है.’

इसने कहा कि इसके अलावा ऐसे कई प्रमुख ब्रांड, दिग्गज हस्तियों को अनुबंधित कर रहे हैं, जो अन्य लोगों के साथ प्रभावित होने वाले युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं. मंत्रालय ने कहा कि सोशल मीडिया मंचों पर मादक पेय पदार्थों के सीधे विज्ञापन के कई उदाहरण भी देखे गए.

इसको लेकर मंत्रालय ने भारतीय विज्ञापन संघ, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन, ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट्स काउंसिल, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन, एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, भारतीय उद्योग परिसंघ, एसोचैम, इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएसडब्ल्यूएआई) तथा इंडियन सोसायटी ऑफ एडवर्टाइजर्स को निर्देश जारी किया है.

इन संघों और उद्योग निकायों को भ्रामक विज्ञापन की रोकथाम के लिए दिशानिर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने और भ्रामक विज्ञापन के लिए समर्थन, विशेष रूप से सरोगेट विज्ञापनों से संबंधित प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है.

मंत्रालय ने विज्ञापनदाताओं के संघों को आगाह भी किया कि संबंधित पक्षों द्वारा दिशानिर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने में विफल रहने पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) सामने आएगा और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उपयुक्त कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सूत्रों ने बताया है कि उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार ने आईएसडब्ल्यूएआई की सीईओ नीता कपूर को उपरोक्त सभी तथ्यों का उल्लेख करते हुए एक पत्र भी लिखा है.

सिंह ने उनसे ‘भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम और भ्रामक विज्ञापनों के अनुमोदन के लिए दिशानिर्देश- 2022’ का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है. यह दिशानिर्देश इसी साल जून में सीसीपीए द्वारा जारी किए गए थे.

गौरतलब है कि 15 फरवरी, 2021 को ‘टीवी टुडे नेटवर्क लिमिटेड बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले में एक सरोगेट विज्ञापन और विज्ञापन कोड का उल्लंघन करने के लिए याचिकाकर्ता को प्रसारण के लिए दो दिन में हर घंटे सुबह 8 से रात 8 बजे के बीच 10 सेकंड तक माफी का विज्ञापन चलाने का निर्देश दिया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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