झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद आरोप लगाया कि भाजपा चुनाव जीतने के लिए दंगे भड़काकर देश में ‘गृह युद्ध’ जैसे हालात पैदा करने की कोशिश कर रही है.
रांची: झारखंड विधानसभा में सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव पारित हो गया. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने हालांकि सदन से बहिर्गमन किया.
81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 48 विधायकों ने मतदान किया.
सोरेन ने एक दिवसीय विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें नहीं हैं, वहां वह (भाजपा) लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकारों को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है’ और इसी कारण विश्वास मत हासिल करने की जरूरत महसूस की गई.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा चुनाव जीतने के लिए दंगे भड़का कर देश में ‘गृह युद्ध’ जैसे हालात पैदा करने की कोशिश कर रही है.
सोरेन सरकार के विश्वास मत हासिल करने के बाद विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन के किसी भी विधायक ने सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ वोट नहीं किया.
राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों के बीच मुख्यमंत्री सोरेन ने विश्वास मत का प्रस्ताव पेश किया था.
उन्होंने कहा, ‘विपक्ष ने लोकतंत्र को नष्ट कर दिया है. भाजपा विधायकों को खरीदने की बात करती है. आज हम सदन में अपनी ताकत दिखाएंगे.’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘लोग बाजार में सामान खरीदते हैं, लेकिन भाजपा विधायक खरीदती है.’
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में यह भी कहा, ’25 अगस्त से चुनाव आयोग और राज्यपाल द्वारा असुरक्षा का वातावरण तैयार कर दिया गया था.’
गौरतलब है कि सोरेन मुख्यमंत्री पद पर बने रहने को लेकर अनिश्चितताओं का सामना कर रहे थे. 25 अगस्त को चुनाव आयोग ने सोरेन को अपने पद का दुरुपयोग करने का दोषी मानते हुए राज्यपाल से उन्हें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 के तहत विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी. हालांकि, राज्यपाल ने अभी तक इस मुद्दे पर अपने आदेश की आधिकारिक सूचना नहीं दी है.
सोरेन पर पिछले साल खुद को ही पत्थर खनन की लीज आवंटित करने का आरोप है.
इस बीच, भाजपा के नीलकांत मुंडा ने सोमवार को कहा, ‘झारखंड के लोग मानते हैं कि सरकार डरी हुई है. विपक्ष, न्यायपालिका या राज्यपाल की ओर से किसी ने भी विश्वास मत की मांग नहीं की थी, फिर यह डर क्यों? यह प्रस्ताव दिखाता है कि सरकार अपने विधायकों पर विश्वास नहीं करती.’
मुंडा ने आगे कहा, ‘बन्ना गुप्ता का कहना है कि यह मजबूत सरकार है, लेकिन झारखंड के लोग देख रहे हैं.’
गौरतलब है कि जेएमएम के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन के 30 विधायक, जो पांच दिन पहले विपक्षी भाजपा द्वारा खरीद-फरोख्त के आरोपों के बीच छत्तीसगढ़ चले गए थे, रविवार को रांची वापस लौट आए थे.
इससे पहले, इस माह की शुरुआत में झारखंड के तीन कांग्रेसी विधायक पश्चिम बंगाल में नकदी के साथ पकड़े गए थे, जिसे लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा पर झारखंड सरकार गिराने की कथित साजिश रचने के आरोप लगे थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)