दिल्ली हाईकोर्ट ने झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के ख़िलाफ़ लोकपाल कार्यवाही पर रोक लगाई

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार की शिकायत के आधार पर यह कार्यवाही शुरू हुई थी. अपनी शिकायत में दुबे ने आरोप लगाया था कि जनता के पैसे का दुरुपयोग कर और भारी भ्रष्टाचार में संलिप्त शिबू सोरेन और उनके परिजनों ने अकूत धन एवं संपत्ति अर्जित की.

/
शिबू सोरेन. (फोटो: पीटीआई)

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार की शिकायत के आधार पर यह कार्यवाही शुरू हुई थी. अपनी शिकायत में दुबे ने आरोप लगाया था कि जनता के पैसे का दुरुपयोग कर और भारी भ्रष्टाचार में संलिप्त शिबू सोरेन और उनके परिजनों ने अकूत धन एवं संपत्ति अर्जित की.

शिबू सोरेन. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रमुख शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल द्वारा शुरू की गई कार्यवाही पर रोक लगा दी.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद निशिकांत दुबे द्वारा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के खिलाफ ‘भ्रष्टाचार’ की शिकायत के आधार पर यह कार्यवाही शुरू हुई थी.

जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा कि मामले की विचारणीयता के संबंध में 75 वर्षीय नेता द्वारा उठाई गई आपत्ति पर भ्रष्टाचार-रोधी प्राधिकरण ने ध्यान नहीं दिया.

जस्टिस ने कहा, ‘मामले की सुनवाई की अगली तारीख तक, लोकायुक्त के समक्ष लंबित कार्यवाही पर रोक रहेगी. याचिकाकर्ता द्वारा न्यायिक अधिकार क्षेत्र को चुनौती दिए जाने पर न ही कोई जवाब दिया गया और न ही (प्राधिकरण द्वारा) इससे निपटा गया.’

सोरेन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उनके मुवक्किल के खिलाफ शिकायत के साथ-साथ लोकपाल की कार्यवाही का विरोध किया और तर्क दिया कि लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के मद्देनजर कार्यवाही कानून सम्मत नहीं है और अधिकार क्षेत्र के बाहर है.

अगस्त 2020 में अपनी शिकायत में भाजपा नेता दुबे ने आरोप लगाया था कि जनता के पैसे का दुरुपयोग कर और भारी भ्रष्टाचार में संलिप्त शिबू सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों ने अकूत धन एवं संपत्ति अर्जित की.

शिकायत को स्वीकार करते हुए लोकायुक्त ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को शिकायत की प्रारंभिक जांच करने और अपनी रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था.

लोकपाल ने चार अगस्त के अपने आदेश में शिकायत की विचारणीयता के संबंध में आपत्तियों पर विचार किए बिना मामले को आगे बढ़ाने का फैसला किया. इसके साथ ही लोकायुक्त ने यह निर्धारित करने के लिए कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया कि क्या याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रथमदृष्टया मामला बनता है.

वकील पल्लवी लांगर और वैभव तोमर के माध्यम से दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि भ्रष्टाचार संबंधी शिकायत राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित है.

रिपोर्ट के मुताबिक, याचिका में कहा गया था, ‘शिकायत राजनीतिक प्रतिशोध और दुर्भावना से प्रेरित है और याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों, जो वर्तमान में झारखंड राज्य में सत्ताधारी दल के सदस्य हैं, को बदनाम और परेशान करने के लिए तैयार की गई है और इस प्रक्रिया में राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास है.’

इसमें दावा किया, ‘लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत प्रतिवादी नंबर 1 शिकायत का संज्ञान नहीं ले सकता था क्योंकि शिकायत में ही दर्ज है कि क्रम संख्या 1 और 2 में सूचीबद्ध संपत्तियों, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा से संबंधित हैं (एक पंजीकृत राजनीतिक दल), को छोड़कर शिकायत की तारीख के सात वर्षों के भीतर किसी भी संपत्ति का अधिग्रहण नहीं किया गया है. शिकायत में याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप प्रथमदृष्टया दुर्भावनापूर्ण, झूठे और बेबुनियाद हैं.’

याचिका में कहा गया है कि ‘ये विसंगतियां लोकपाल के समक्ष पूरी कार्यवाही को नुकसान पहुंचाती हैं और उनका जारी रहना कानून की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग होगा और संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत गारंटीकृत और संरक्षित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा.’

इस मामले में अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, याचिकाकर्ता ने कहा, शिकायत के साथ दायर की गई संपत्ति की सूची में, जिसके आधार पर आक्षेपित कार्यवाही दर्ज की गई है, याचिकाकर्ता द्वारा संपत्तियों के कथित अधिग्रहण की तारीख 1990 से 2009 तक और नवीनतम कथित अधिग्रहण की तारीख 20.07.2009 है, जो यह दर्शाता है कि कथित अपराध, यदि शिकायत की जाए, तो लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 53 के तहत (लोकपाल) के अधिकारक्षेत्र से परे है.’

इसमें कहा गया है कि यहां तक कि सीबीआई द्वारा 82 संपत्तियों की सूची के साथ प्रस्तुत की गई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता या रिपोर्ट में उल्लिखित किसी अन्य व्यक्ति के स्वामित्व वाली कोई भी संपत्ति पिछले सात साल की अवधि के भीतर हासिल नहीं की गई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq