ट्विटर के पूर्व सुरक्षा प्रमुख ह्विसिलब्लोअर पीटर ज़ैटको ने बीते माह आरोप लगाया था कि भारत सरकार ने ट्विटर को ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों को नियुक्त करने के लिए मज़बूर किया जो सरकार के एजेंट थे और जिनकी ट्विटर के वृहद संवेदनशील डेटा तक पहुंच थी. पीटर ने अमेरिकी सीनेट में इन्हीं आरोपों को दोहराया है.
नई दिल्ली: अमेरिकी सीनेट में अपनी गवाही में ह्विसिलब्लोअर पीटर ‘मुज’ जैटको ने मंगलवार को खुलासा किया कि जिस व्यक्ति पर वह बेहद भरोसा करते थे, वह ट्विटर में स्थापित किया गया भारत का ‘विदेशी एजेंट’ था, जिसका काम यह देखना था कि क्या कंपनी भाजपा सरकार की मांगों को मान रही है और साथ ही उसका काम कंपनी की योजनाओं को बेहतर ढंग से समझना था.
अपने बयान में ट्विटर के पूर्व सुरक्षा प्रमुख ने कहा कि कंपनी ने सुरक्षा को ताक पर रखकर अधिक लाभ कमाने को प्राथमिकता देते हुए अपने इंजीनियरों की उपेक्षा की.
जैटको ने कहा कि ट्विटर की सुरक्षा प्रणाली पुरानी है और यह अपने आधे से अधिक डेटा सेंटर सर्वरों पर असुरक्षित सॉफ्टवेयर चलाती है.उन्होंने कहा कि विदेशी खुफिया एजेंसियों द्वारा कई बार इस मंच में सेंध लगाई गई है.
बता दें कि पिछले माह एक सनसनीखेज शिकायत में जैटको ने आरोप लगाया था कि भारत सरकार ने ट्विटर को एक ऐसे व्यक्ति को काम पर रखने के लिए मजबूर किया जो ‘सरकारी एजेंट’ था और संभवत: उसकी पहुंच यूजर्स के संवेदनशील डेटा तक थी.
शिकायत में कहा गया था, ‘भारत सरकार ने ट्विटर को ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों को नियुक्त करने के लिए मजबूर किया जो सरकार के एजेंट थे, जिनके पास ट्विटर के वृहद संवेदनशील डेटा तक (ट्विटर की खामियों के कारण) पहुंच होती.’
शिकायत में आगे कहा गया, ‘जानबूझकर भारत सरकार के एक एजेंट को कंपनी के सिस्टम और उपयोगकर्ताओं के डेटा तक बिना किसी निगरानी के सीधी पहुंच की अनुमति देकर ट्विटर के अधिकारियों ने अपने यूजर्स के लिए कंपनी की प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन किया.’
उन्होंने मंगलवार को सीनेट की न्यायिक समिति के समक्ष पेश होकर इन आरोपों की व्याख्या की और खुलासा किया कि ट्विटर को भारत द्वारा दो सरकारी एजेटों को काम पर रखने के लिए मजबूर किया गया था.
जैटको ने सीनेट को बताया कि उनका मानना है कि भारतीय एजेंट ने ट्विटर की कानूनी रणनीति को जुटाने की कोशिश की क्योंकि कंपनी ने सरकार के इस आदेश का विरोध करने की कोशिश की थी कि वह उससे असहमति रखने वालों, विपक्षी पार्टी के सदस्यों और प्रदर्शनकारियों समेत कई खातों को प्रतिबंधित करे.
‘एजेंट’ के जरिये विदेशी सरकारें किस सूचना तक पहुंच सकती हैं, इस सवाल पर जैटको ने कहा कि ट्विटर के पास उन लोगों की आंतरिक रूप से पहचान करने की क्षमता नहीं है जो अनुचित तरीके से डेटा तक पहुंच बना रहे हैं.
जैटको ने कहा कि ट्विटर को चेतावनी जारी करने वाली केवल एक बाहरी एजेंसी ही बता सकती है कि कोई एजेंट मौजूद है. जैटको ने कहा, ‘उनके (ट्विटर) पास विदेशी खुफिया एजेंसियों को खोजने और उन्हें अपने दम पर खदेड़ने की मौलिक क्षमता का अभाव है.’
जैटको ने बताया कि कंपनी में काम कर रहे उस भारतीय एजेंट के बारे में बात करने जब वे कंपनी के एक अधिकारी के पास पहुंचे तो उसने कहा, ‘चूंकि कंपनी में पहले से ही एक संदिग्ध विदेशी एजेंट है, इसलिए क्या फर्क पड़ता है कि अगर और भी एजेंट हों?’
When Zatko approached an executive about his concern that he believed an agent of the Indian government was working at the company, the executive allegedly told him that since there was already one suspected foreign agent at the company, what did it matter if there are more?
— Lauren Feiner (@lauren_feiner) September 13, 2022
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय एजेंट इंजीनियर नहीं था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने कहा कि ट्विटर जनता, सांसदों और नियामकों को गुमराह कर रहा है तथा यह मंच उद्योगों के सर्वश्रेष्ठ मानदंड से एक दशक से अधिक पीछे है.
उन्होंने कहा, ‘वे नहीं जानते कि क्या डेटा उनके पास है, वह कहा हैं. आश्चर्यजनक रूप से वे उसकी रक्षा नहीं कर सकते.’’
जैटको ने कहा, ‘यह हम सभी के लिए बड़ी बात है. अगर ताले ही नहीं हैं तो इस बात का कोई मतलब नहीं रह जाता कि चाबियां किसके पास हैं.’
उन्होंने आरोप लगाया कि ट्विटर के नेतृत्व ने इस पहलू को नजरअंदाज किया क्योंकि उसके कार्यकारी सुरक्षा से अधिक मुनाफे को तरजीह देते हैं.
भारतीय एजेंट के संबंध में जैटको ने दावा किया कि वह ‘उच्च आत्मविश्वास’ के साथ एक विदेशी एजेंट के बारे में बोल रहे हैं जिसे भारत सरकार ने ट्विटर में भारत की सत्तारूढ़ पार्टी और ट्विटर के बीच नए सोशल मीडिया प्रतिबंधों को लेकर ‘बातचीत को समझने’ तथा यह बातचीत कितने अच्छे से चल रही है, यह जानने के लिए रखवाया था.
उन्होंने खुलासा किया कि उन्हें कंपनी से निकालने से पहले बताया गया कि चीनी खुफिया सेवा एमएसएस या राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्रालय का ‘कम से कम एक एजेंट’ ट्विटर कर्मचारी था.
उन्होंने ट्विटर के मौजूदा सीईओ पराग अग्रवाल से हुई बातचीत को याद करते हुए कहा कि वह उनसे रूस के बारे में हुई बातचीत को लेकर चकित और स्तब्ध थे, क्योंकि उस समय कंपनी के मुख्य तकनीकी अधिकारी होने के नाते उन्होंने पूछा था कि क्या रूसी सरकार के लिए निगरानी व सामग्री को छांटने पर ‘दांव’ लगाना संभव होगा क्योंकि ट्विटर के पास ऐसी चीजों को सही तरीके से करने की क्षमता और साधन नहीं हैं.
उन्होंने इस संबंध में जुलाई में कांग्रेस, न्याय विभाग, फेडरल ट्रेड कमीशन तथा सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन में ह्विसिलब्लोअर के रूप में शिकायत की थी.
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, जैटको के कई दावे अपुष्ट हैं जिनको साबित करने के लिए उनके पास दस्तावेजों की कमी है.
बहरहाल, ट्विटर ने जैटको के दावों को खारिज किया है और इन्हें झूठा करार दिया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)