स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा है कि वह ऑक्सीजन की कमी के कारण कोविड-19 के मरीज़ों की मौत होने से मंत्रालय द्वारा इनकार किए जाने पर व्यथित है.
नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से कोरोना महामारी खासकर कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ‘ऑक्सीजन की कमी के कारण हुईं मौतों’ के मामलों की राज्यों के साथ समन्वय करके ऑडिट करने की सिफारिश की है, ताकि मृत्यु के मामलों का उचित दस्तावेजीकरण हो सके. साथ ही, समिति ने पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा दिए जाने की भी बात कही है.
समिति ने कहा कि वह ऑक्सीजन की कमी के कारण कोविड-19 के मरीजों की मौत होने के मामलों से मंत्रालय द्वारा दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से किए गए इनकार को लेकर व्यथित है.
समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद रामगोपाल यादव की अध्यक्षता वाली स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है.
‘टीके का विकास, वितरण, प्रबंधन एवं कोविड-19 का न्यूनीकरण’ शीर्षक वाली यह रिपोर्ट बीते सोमवार को राज्यसभा के सभापति को सौंपी गई थी .
संसदीय समिति ने कहा, ‘मंत्रालय को ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई कोविड-19 के मरीजों की मौत के मामलों की बारीकी से समीक्षा करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ितों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए.’
रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा कि वह सरकारी एजेंसियों से अधिक पारदर्शिता एवं जवाबदेही की उम्मीद करती है.
समिति ने अपनी 137वीं रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़ने के कारण स्वास्थ्य ढांचे पर अत्यधिक दबाव पड़ा है.
इसमें कहा गया है कि मरीजों के परिवारों द्वारा ऑक्सीजन के लिए गुहार लगाने और सिलेंडर के लिए कतारों में प्रतीक्षा करने के कई मामले सामने आए थे. इसके साथ ही मीडिया ने अस्पतालों में जीवन रक्षक गैस समाप्त होने और केवल कुछ घंटों के लिए आपूर्ति शेष होने पर इसे मुहैया कराने के लिए अस्पतालों द्वारा अपील किए जाने की खबरें दी थीं.
समिति ने कहा कि उसने अपनी 123वीं रिपोर्ट में अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीजन की आपूर्ति की संभावित कमी को लेकर सरकार को आगाह किया था.
संसदीय समिति ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा, ‘वह इस बात से निराश है कि मंत्रालय ने 2020 में अपने प्रतिवेदन में आश्वासन दिया था कि देश ऑक्सीजन और ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति के मामले में आत्मनिर्भर है, लेकिन दूसरी लहर के दौरान उसके खोखले दावों की पूरी तरह पोल खुल गई.’
उसने कहा, ‘सरकार राज्यों में ऑक्सीजन के वितरण का प्रबंधन करने में विफल रही और वह तेजी से बढ़ती मांग के बीच ऑक्सीजन के निरंतर प्रवाह को बनाए नहीं रख सकी, जिससे एक अप्रत्याशित चिकित्सकीय संकट पैदा हो गया.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड की विशेष रूप से दूसरी लहर के दौरान परिचालन व्यवस्था का खराब प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने में सरकार की विफलता, सरकारी तंत्र में पूर्ण अराजकता को दर्शाती है.
इसमें कहा गया है, ‘समिति को हैरानी है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण कोविड-19 के मरीजों की मौत के मामलों का विवरण प्रस्तुत करने के केंद्र सरकार के अनुरोध का 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने जवाब दिया, लेकिन इनमें से किसी ने भी ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत होने की पुष्टि नहीं की.’
संसदीय समिति ने नोट किया कि ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण हुई मौतों की पहचान करने के लिए कोई निश्चित दिशानिर्देश नहीं थे.
समिति ने सरकार की अनभिज्ञता पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि चिकित्सकीय रिकार्ड में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौजों को दर्ज नहीं किया गया और अधिकांश मृत्यु को अन्य बीमारियों के कारण मौत से जोड़ दिया गया.
समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि मंत्रालय को ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौत के मामलों का राज्यों के साथ समन्वय करके ऑडिट कराना चाहिए और इन मामलों का उचित दस्तावेजीकरण करना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार लगातार देश में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौतों के दावे को लेकर पुष्टि करने से बचती दिखी है या राज्यों द्वारा इससे संबंधित डेटा न दिए जाने की बात कहती रही है.
इस साल अप्रैल में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती पवार ने संसद में बताया था कि कोविड-19 के कारण देश में उस समय तक कुल 5,21,358 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन केंद्र सरकार के अनुरोध पर 20 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा भेजे गए जवाब में किसी ने भी अपने यहां ऑक्सीजन की कमी के चलते मौत होने की पुष्टि नहीं की थी.
इससे पहले फरवरी महीने में भी पवार ने राज्यसभा में कहा था कि किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश ने अपने यहां ऑक्सीजन की कमी के चलते किसी मृत्यु की सूचना नहीं दी है.
हालांकि, दिसंबर 2021 में केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया था कि केवल पंजाब और अरुणाचल प्रदेश ने कोविड-19 की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से मौत के आंकड़े दिए हैं.
मालूम हो कि पिछले साल अगस्त महीने में पहली बार केंद्र सरकार ने स्वीकार किया था कि ऑक्सीजन की कमी से कोरोना मरीजों की मौत हुई थी.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि कोविड-19 के इलाज के दौरान वेंटिलेटर पर रहे ‘कुछ’ मरीजों की मौत अपर्याप्त ऑक्सीजन की वजह से हुई थी. केंद्र सरकार ने कहा था कि आंध्र प्रदेश को छोड़कर किसी भी राज्य ने विशेष रूप से ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी के कारण कोविड-19 मरीजों की मौत की सूचना नहीं दी है.
हालांकि, इससे पहले केंद्र सरकार ने राज्यसभा में कहा था कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश से ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी मरीज की मौत की खबर नहीं मिली है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)