विदेशी हमलावरों के गुनाहों को भारतीय मुसलमानों के ‘सिर का बोझ’ नहीं बनाना चाहिए: नकवी

उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य के ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण कराने के निर्णय पर भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि सभी मदरसों पर शक़ नहीं करना चाहिए, लेकिन सर्वेक्षण को लेकर बवाल करना खुद सवाल बन जाता है.

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भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी. (फोटो: पीटीआई)

उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य के ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण कराने के निर्णय पर भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि सभी मदरसों पर शक़ नहीं करना चाहिए, लेकिन सर्वेक्षण को लेकर बवाल करना खुद सवाल बन जाता है.

भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी. (फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शुक्रवार को यहां कहा कि विदेशी आक्रमणकारियों की ‘गुनाहों की गठरी’ को भारतीय मुसलमानों के ‘सिर का बोझ’ नहीं बनाना चाहिए.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता नकवी शुक्रवार को लखनऊ स्थित विश्वेश्वरैया हॉल में उत्तर प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन पर लोगों को संबोधित कर रहे थे.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, नकवी ने कहा कि मानवता के खिलाफ क्रूरता का जघन्य इतिहास कभी भी किसी भारतीय समुदाय के डीएनए का हिस्सा नहीं हो सकता. लेकिन जब लोग विदेशी आक्रमणकारियों की क्रूरता को पहचानने की कोशिश करते हैं, तो वे वास्तव में देश में सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने के लिए नापाक तत्वों की मदद करते हैं.’

भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि कुछ लोग ‘इस्लामोफोबिया’ के झूठे और मनगढ़ंत तर्कों तथा दुष्प्रचार के जरिये भारत को बदनाम करने की कोशिश करते रहते हैं, लेकिन ऐसी साजिश से सावधान रहने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, ‘हमें उन साजिशों से सावधान रहना होगा जो भारत की विशिष्टता और गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत को बदनाम करना चाहती हैं.’

नकवी ने कहा कि भाजपा ने तुष्टीकरण के ‘सियासी छल’ को ‘समावेशी सशक्तिकरण’ के बल से ध्वस्त किया है. इसी का प्रमाण है कि आज एमवाई (मोदी-योगी) फैक्टर मतलब समावेशी विकास और सशक्तिकरण है.

नकवी ने कहा धर्मनिरपेक्षता (सेकुलरिज्म) कुछ लोगों के लिए वोट से जुड़ा सौदा है, लेकिन हमारे लिए यह समावेशी विकास का मसौदा है.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के दौरान आए सकारात्मक बदलाव से बेचैन लोग देश की एकता और सौहार्द के ताने-बाने को तोड़ने की साजिश में जुटे हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमें इन तत्वों को हराने के लिए मिलकर काम करना होगा जो समाज में संघर्ष और टकराव पैदा करना चाहते हैं.’

यहां जारी एक बयान में नकवी ने यह भी कहा कि हमें सभी मदरसों पर शक नहीं करना चाहिए, लेकिन सर्वेक्षण को लेकर बवाल करना खुद सवाल बन जाता है. नकवी ने सवाल किया कि जब कुछ छिपाने को नहीं है, तो चिल्लाना क्यों?

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 31 अगस्‍त को राज्य के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति जांचने के लिए उनका सर्वेक्षण कराने का फैसला किया था.

राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बताया था कि राज्य सरकार के सर्वेक्षण में मदरसे का नाम, उसका संचालन करने वाली संस्था का नाम, मदरसा निजी या किराए के भवन में चल रहा है इसकी जानकारी, मदरसे में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं की संख्या, पेयजल, फर्नीचर, विद्युत आपूर्ति तथा शौचालय की व्यवस्था, शिक्षकों की संख्या, मदरसे में लागू पाठ्यक्रम, मदरसे की आय का स्रोत और किसी गैर सरकारी संस्था से मदरसे की संबद्धता से संबंधित सूचनाएं इकट्ठा की जाएंगी.

इसके बाद जमीयत उलमा-ए-हिंद ने मदरसों का सर्वेक्षण करने के राज्य सरकार के कदम को इस शिक्षा प्रणाली को कम महत्व का बताने की एक दुर्भावनापूर्ण कोशिश बताया है.

जमीयत (एमएम) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने आरोप लगाया था, ‘सरकारें शत्रुतापूर्ण रवैया अपना कर जनता में अराजकता और अशांति पैदा करती हैं. इसके साथ ही समुदायों के बीच में अविश्वास की दीवार स्थापित करती हैं जो अत्यंत निंदनीय है.’

वहीं, बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भाजपा पर निजी मदरसों के संचालन में हस्तक्षेप का प्रयास करने और सर्वेक्षण के बहाने मुस्लिम समुदाय को ‘आतंकित’ करने का आरोप लगाया था.

मायावती ने कहा था कि यूपी में मदरसों पर भाजपा सरकार की टेढ़ी नज़र है. मदरसा सर्वेक्षण के नाम पर क़ौम के चंदे पर चलने वाले निजी मदरसों में हस्तक्षेप का अनुचित प्रयास हो रहा है, जबकि सरकार को सरकारी अनुदान से चलने वाले मदरसों व सरकारी स्कूलों के बदतर हाल को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए.

ज्ञात हो कि इससे पहले मई 2022 में उत्तर प्रदेश के सभी मदरसों में राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ का गायन अनिवार्य कर दिया गया था. उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार एसएन पांडेय ने सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को इस बारे में आदेश जारी किया था.

जनवरी 2018 में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के वेब पोर्टल पर अपना ब्योरा नहीं देने वाले करीब 2,300 मदरसों की मान्यता खत्म होने की कगार पर है. राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने ऐसे मदरसों को फर्जी माना है.

तब प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने बताया था कि प्रदेश में 19,108 मदरसे राज्य मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त थे, जिनमें से 16,808 मदरसों ने पोर्टल पर अपना ब्योरा फीड किया था. करीब 2,300 मदरसों ने अपना विवरण नहीं दिया था, जिन्हें सरकार ने फर्जी माना था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)