कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘प्रोजेक्ट चीता’ के सिलसिले में वर्ष 2010 में बतौर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री की उनकी अफ्रीका यात्रा का फोटो ट्विटर पर डालते हुए कहा कि आज प्रधानमंत्री मोदी ने बेवजह का तमाशा खड़ा किया. यह राष्ट्रीय मुद्दों को दबाने और ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से ध्यान भटकाने का प्रयास है.
नई दिल्ली: कांग्रेस ने कहा है कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ का प्रस्ताव 2008-09 में तैयार किया गया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा इसे मंजूरी दी गई थी.
गौरतलब है कि नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में शनिवार को छोड़ा गया.
इसी दिन, 17 सितंबर को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया कि ‘प्रधानमंत्री शासन में निरंतरता को शायद ही कभी स्वीकार करते हैं.’
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री शासन में निरंतरता को शायद ही कभी स्वीकार करते हैं. चीता प्रोजेक्ट के लिए 25 अप्रैल 2010 को केपटाउन की मेरी यात्रा का ज़िक्र तक न होना इसका ताजा उदाहरण है. आज प्रधानमंत्री ने बेवजह का तमाशा खड़ा किया. यह राष्ट्रीय मुद्दों को दबाने और भारत जोड़ो यात्रा से ध्यान भटकाने का प्रयास है.’
PM hardly ever acknowledges continuity in governance. Cheetah project going back to my visit to Capetown on 25.04.2010 is the latest example. The tamasha orchestrated by PM today is unwarranted and is yet another diversion from pressing national issues and #BharatJodoYatra 1/2 pic.twitter.com/SiZQhQOu0N
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 17, 2022
वहीं, एक दिन पहले शुक्रवार को कांग्रेस ने कहा था कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ के प्रस्ताव को मनमोहन सिंह की सरकार के शासनकाल में स्वीकृति मिली थी, लेकिन उच्चतम न्यायालय के रोक लगाने के चलते इसमें इतना समय लगा.
पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिये ट्वीट किया, ‘अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश अफ्रीका के चीता आउटरीच सेंटर गए थे. 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई, 2020 में रोक हटी. अब चीते आएंगे.’
‘प्रोजेक्ट चीता’ का प्रस्ताव 2008-09 में तैयार हुआ।
मनमोहन सिंह जी की सरकार ने इसे स्वीकृति दी।
अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री @Jairam_Ramesh जी अफ्रीका के चीता आउट रीच सेंटर गए।
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई, 2020 में रोक हटी।
अब चीते आएंगे pic.twitter.com/W1oBZ950Pz
— Congress (@INCIndia) September 16, 2022
वहीं, शुक्रवार को रमेश ने कुछ हफ्तों पहले एक अखबार में प्रकाशित उनका लेख भी साझा किया, जिसमें चीतों के आगमन की आज की घटना के संभव होने के पीछे का इतिहास बताया गया था.
अपने लेख में रमेश ने दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन स्थित चीता आउटरीच सेंटर की अपनी यात्रा और इस प्रोजेक्ट के तहत तब किए गए प्रयासों के बारे में भी बात की थी.
As the cheetahs arrive today at Kuno National Park from Namibia, sharing an article I had written in the Economic Times of July 30th that gives the history of why and how today’s event was made possible. pic.twitter.com/IpIeXSR1nO
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 16, 2022
शनिवार को रमेश ने एक अन्य ट्वीट में भारत में चीतों के आगमन पर शुभकामनाएं देते हुए कहा, ‘2009-11 के दौरान जब बाघों को पहली बार पन्ना और सरिस्का में स्थानांतरित किया गया, तब कई लोग आशंकाएं व्यक्त कर रहे थे. वे गलत साबित हुए. चीता प्रोजेक्ट पर भी उसी तरह की भविष्यवाणियां की जा रही हैं. इसमें शामिल प्रोफेशनल्स बहुत अच्छे हैं. मैं इस प्रोजेक्ट के लिए शुभकामनाएं देता हूं.’
When tigers were first translocated to Panna and Sariska during 2009-11, there were many prophets of doom. They were proved wrong. Similar predictions are being made on the Cheetah project. The professionals involved are first-rate and I wish the project the very best! 2/2
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 17, 2022
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में नामीबिया से लाए गए चीतों को एक विशेष बाड़े में छोड़ा.
भारत में चीतों को विलुप्त घोषित किए जाने के सात दशक बाद उन्हें देश में फिर से बसाने की परियोजना के तहत नामीबिया से आठ चीते शनिवार सुबह कूनो राष्ट्रीय उद्यान पहुंचे. पहले इन्हें विशेष विमान से ग्वालियर हवाई अड्डे और फिर हेलीकॉप्टरों से श्योपुर जिले में स्थित केएनपी लाया गया.
ज्ञात हो कि भारत सरकार ने 1952 में देश में चीतों को विलुप्त करार दे दिया था. छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल वन में 1948 में आखिरी बार चीता देखा गया था.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को कहा कि अत्यधिक शिकार के कारण देश में विलुप्त हो चुके चीते को वापस लाकर भारत पारिस्थितिकी असंतुलन को दूर कर रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)