उत्तराखंड: केदारनाथ के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने के विरोध में उतरे पुजारी

केदारनाथ मंदिर की चारों दीवारें चांदी की परत से ढकी हुई हैं, जिन्हें हटाकर अब सोने की परत चढ़ाई जा रही है. पुजारियों के एक वर्ग का कहना है कि इस प्रक्रिया में बड़ी ड्रिलिंग मशीन के प्रयोग से दीवारों को नुकसान हो रहा है.

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केदारनाथ मंदिर. (फोटो: पीटीआई)

केदारनाथ मंदिर की चारों दीवारें चांदी की परत से ढकी हुई हैं, जिन्हें हटाकर अब सोने की परत चढ़ाई जा रही है. पुजारियों के एक वर्ग का कहना है कि इस प्रक्रिया में बड़ी ड्रिलिंग मशीन के प्रयोग से दीवारों को नुकसान हो रहा है.

केदारनाथ मंदिर. (फोटो: पीटीआई)

देहरादून: केदारनाथ के पुजारियों के एक वर्ग ने मंदिर के गर्भगृह के अंदर दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने का विरोध करते हुए कहा है कि यह इसकी सदियों पुरानी परंपराओं के साथ छेड़छाड़ है.

तीर्थ पुरोहितों ने सोना चढ़ाने का विरोध करते हुए कहा है कि इस प्रक्रिया में बड़ी ड्रिलिंग मशीन के इस्तेमाल से मंदिर की दीवारों को नुकसान हो रहा है.

गौरतलब है कि प्रसिद्ध मंदिर की चारों दीवारें चांदी की परत से ढकी गई थीं, जिन्हें हटाकर उनकी जगह सोने की परत चढ़ाई जा रही है.

मंदिर की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने की प्रक्रिया तब शुरू की गई, जब महाराष्ट्र के एक शिव भक्त ने स्वेच्छा से इस उद्देश्य के लिए सोना देने की पेशकश की थी और उनके प्रस्ताव को बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने राज्य सरकार की अनुमति से स्वीकार कर लिया था.

केदारनाथ में संतोष त्रिवेदी नाम के पुजारी ने कहा, ‘सोने की परत चढ़ाने से मंदिर की दीवारों को नुकसान पहुंच रहा है. इसके लिए बड़ी ड्रिलिंग मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. हम मंदिर की सदियों पुरानी परंपराओं के साथ इस छेड़छाड़ को बर्दाश्त नहीं कर सकते.’

दिप्रिंट की एक रिपोर्ट बताती है कि स्थानीय पुजारियों का कहना है कि उन्हें इस बारे में जानकारी भी नहीं दी गई थी.

स्थानीय पुजारियों के संघ केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला इस वेबसाइट से बात करते हुए कहा कि गुरुवार सुबह मजदूरों को गर्भगृह की दीवारों में छेद करते हुए देखकर उन्हें इस बारे में मालूम हुआ.

शुक्ला ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन ‘केदारनाथ की परंपराओं और मान्यताओं में दखलअंदाजी करने की कोशिश कर रहे हैं.’

उनका कहना है कि मोक्ष धाम या वैराग्य धाम के रूप में जाना जाने वाला यह मंदिर सांसारिक जीवन से बैराग का प्रतीक है.

शुक्ला ने कहा, ‘सरकार मंदिर को सजावटी बनाकर उसकी पवित्रता छीन रही है. इसे मूल रूप में ही छोड़ देना चाहिए. हम ऐसा नहीं होने देंगे. हम मंदिर की देखरेख करते हैं और इस तरह के निर्णय हमारी सलाह से लिए जाने चाहिए.’

आशुतोष चतुर्वेदी ‘चारधाम तीर्थ पुरोहित समाज’ के उपाध्यक्ष हैं. यह चारधाम तीर्थ पुरोहितों का संगठन है. वे विनोद शुक्ला की बात से हामी भरते हैं. उनका कहना है कि पहले उन लोगों द्वारा किए गए विरोध के परिणामस्वरूप इस बार उन्हें जानकारी नहीं दी गई.

उनका कहना है कि पुरोहित अब मंदिर की पहरेदारी कर रहे हैं और किसी को भी अंदर काम करने के लिए नहीं जाने देंगे.

चतुर्वेदी ने यह भी जोड़ा कि अगर सरकार ने सोने की परत लगाने का काम बंद नहीं करवाया और गर्भगृह की दीवारों को उनके मूल स्वरूप में नहीं छोड़ा, तो तीर्थ पुजारी समुदाय विरोध के लिए सड़कों पर उतरेगा.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शन करने वाले एक अन्य पुजारी संतोष शास्त्री ने दावा किया कि प्रदर्शन के बाद मंदिर के गर्भगृह को नया रूप देने का काम रोक दिया गया है.

उन्होंने कहा, ‘लोग केदारनाथ में मोक्ष के लिए आते हैं और ये भौतिक चीजों से ऊपर है. ये व्यापारी क्या दिखाना चाहता है कि वह भगवान से ऊपर है?’

शर्मा ने आगे कहा, ‘यह मंदिर पांडवों द्वारा बनवाया गया था. उनके पास धन की कमी नहीं थी, वे भी इसे सोने, चांदी या हीरों से बनवा सकते थे. लेकिन इस जगह का एक अर्थ था. यह नवीनीकरण इसके उद्देश्य को बदल देगा.’

हालांकि, कुछ वरिष्ठ पुजारी मंदिर के गर्भगृह के अंदर वर्तमान में जारी जीर्णोद्धार कार्य के पक्ष में हैं.

मंदिर के वरिष्ठ पुजारी श्रीनिवास पोस्ती और केदार सभा के पूर्व अध्यक्ष महेश बगवाड़ी ने कहा कि मंदिर सनातन आस्था का एक प्रमुख केंद्र है और इसकी दीवारों पर सोना चढ़ाना हिंदू मान्यताओं और परंपराओं के अनुरूप है.

बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि मंदिर की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने का विरोध जायज नहीं है, क्योंकि यह मूल ढांचे से छेड़छाड़ किए बिना परंपराओं के अनुसार किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण एक सामान्य प्रथा है. कुछ गिने चुने पुजारी इसका विरोध कर सकते हैं, लेकिन उनके प्रतिनिधि निकायों ने कभी इसका विरोध नहीं किया. दशकों पहले मंदिर की छत घास और लकड़ियों से बनाई जाती थी. जैसे-जैसे समय बदलता गया पत्थरों से और फिर तांबे की चादरों से इसका निर्माण हुआ.’

बीकेटीसी अध्यक्ष ने विरोध को ‘विपक्षी दुष्प्रचार’ का हिस्सा करार दिया. अजय ने कहा, ‘पूरे देश में हिंदू मंदिर भव्यता के प्रतीक हैं. हिंदू देवी-देवताओं को सोने और आभूषण से सजाना हमारी परंपराओं का हिस्सा रहा है. मुझे मंदिर की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने में कुछ भी गलत नहीं नज़र आता.’

उन्होंने कहा कि मंदिर की दीवारों पर सोना चढ़ाने से पहले बीकेटीसी ने राज्य सरकार से भी अनुमति ली थी.

अजेंद्र ने कहा है कि जो भी इस विकास कार्य का विरोध करेंगे, वे उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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