हरियाणा में भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (आईएनएलडी) के प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला ने रविवार को एक रैली का आयोजन किया था, जिसमें विभिन्न दलों के शीर्ष नेताओं ने शिरकत की और भारतीय जनता पार्टी के ख़िलाफ़ सभी विपक्षी दलों को एकजुट होने का आह्वान किया.
नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराने के लिए सभी विपक्षी दलों को एकजुट होने की जरूरत है.
यह बात नीतीश ने हरियाणा के फतेहाबाद में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (आईएनएलडी) के प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला द्वारा आयोजित एक रैली में कही.
इस रैली में उनके साथ विपक्ष के अन्य नेता, जैसे कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार और माकपा सचिव सीताराम येचुरी आदि भी शामिल हुए थे.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, रैली पूर्व उप-प्रधानमंत्री देवी लाल की 109वीं जयंती के उपलक्ष्य में बुलाई गई थी, लेकिन इसे भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने के आईएनएलडी प्रमुख के एक प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है.
सभी विपक्षी दलों से एक साथ आने का आग्रह करते हुए कुमार ने कहा, ‘अगर ये सभी दल एक साथ हो जाते हैं, तो वे (भाजपा) 2024 के लोकसभा चुनाव में बिल्कुल भी नहीं जीत पाएंगे.’
उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने शरद पवार से लंबी बात की है और कांग्रेस से भी साथ आने का आग्रह किया है.
कुमार ने कहा, ‘मैं ओमप्रकाश चौटाला का आशीर्वाद चाहूंगा और उनसे आग्रह करूंगा कि उन्हें और अधिक विपक्षी दलों को साथ लाना चाहिए.’
उन्होंने आगे कहा कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कोई लड़ाई नहीं है, यह भाजपा है जो अशांति फैलाना चाहती है.
इस दौरान विपक्षी नेताओं ने कहा कि द्विध्रुवीय मुकाबला भाजपा की हार सुनिश्चित करेगा.
रैली में नीतीश ने कहा, ‘यदि सभी गैर-भाजपा दल एकजुट हों, जिसमें कांग्रेस के हमारे मित्र भी शामिल हों, तो हम देश को तबाह करने वालों से छुटकारा पा सकते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘तीसरे मोर्चे का कोई सवाल नहीं है. एक मोर्चा होना चाहिए, जिसमें कांग्रेस भी शामिल हो, तभी हम 2024 में भाजपा को हरा पाएंगे.’
इनेलो अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला ने कहा कि वे विपक्षी दलों का संयुक्त मोर्चा गठित करने के लिए कांग्रेस समेत सभी दलों से बातचीत करेंगे.
लंबे समय तक कांग्रेस विरोधी होने का इतिहास रखने वाले दो नेता, इनेलो के ओम प्रकाश चौटाला व शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल, शरद पवार, सीताराम येचुरी व शिवसेना के अरविंद सावंत जैसे अन्य वरिष्ठ नेता एक साथ एक मंच पर मौजूद थे.
विपक्षी नेताओं ने भाजपा पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि वह राजनीतिक लाभ के लिए ‘हिंदू-मुस्लिम तनाव’ पैदा करने की कोशिश कर रही है और झूठे दावे तथा वादे कर रही है.
पवार ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों और युवाओं का आत्महत्या करना कोई समाधान नहीं है, बल्कि वास्तविक समाधान बदलाव लाना है.
उन्होंने कहा कि 2024 में केंद्र में सत्ता परिवर्तन के लिए सभी को प्रयास करना चाहिए.
इनेलो की कट्टर विरोधी कांग्रेस की ओर से किसी ने रैली में शिरकत नहीं की. अतीत में गैर-कांग्रेसी गठबंधन के प्रति झुकाव दिखाने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव जैसे कद्दावर क्षेत्रीय नेता भी रैली से दूर रहे. समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इससे दूरी बनाई.
गौरतलब है कि नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने रैली के बाद राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की.
रैली में शरीक हुए नेताओं ने एक के बाद एक विपक्षी दलों के बीच एकजुटता की अपील की. जद (यू) के नेता केसी त्यागी ने अपने भाषण में कहा कि यह रैली 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए गैर-भाजपा दलों के एक साथ आने की शुरुआत है.
नीतीश कुमार ने कहा कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कोई लड़ाई नहीं है और कुछ शरारत करने वाले हर जगह हैं. उन्होंने कहा कि 1947 में विभाजन के बाद बड़ी संख्या में मुसलमानों ने भारत में रहने का विकल्प चुना था.
उन्होंने सुझाव दिया कि कांग्रेस और वाम दलों के बिना एक विपक्षी मोर्चे की परिकल्पना नहीं की जा सकती. उन्होंने मंच पर मौजूद कांग्रेस विरोधी इतिहास वाले कुछ नेताओं समेत सभी नेताओं से एकजुट होने का आग्रह किया.
कुमार ने कहा कि विपक्षी दलों का मुख्य मोर्चा यह सुनिश्चित करेगा कि 2024 के आम चुनाव में भाजपा को बुरी तरह शिकस्त मिले.
एनसीपी नेता पवार ने कहा कि किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर धरना दिया, लेकिन सरकार ने लंबे समय तक उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया.
राजद नेता व बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि जनता दल (यूनाइटेड), शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना ने संविधान तथा लोकतंत्र को बचाने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का साथ छोड़ा है.
उन्होंने पूछा कि अब राजग कहां रह गया है. यादव ने भाजपा पर झूठे दावे और वादे करने का आरोप लगाया और इसे ‘बड़का झूठा पार्टी’ करार दिया.
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नहीं चाहती कि महंगाई और बेरोजगारी जैसे वास्तविक मुद्दों पर चर्चा हो, बल्कि वह चाहती है कि इसके बजाय ‘मुसलमान, पाकिस्तान, मंदिर और मस्जिद’ जैसे विषयों पर बात की जाए.
राजद नेता ने भाजपा का मुकाबला करने का आह्वान करते हुए कहा कि जो इससे डरेंगे, उन्हें खत्म कर दिया जाएगा… जबकि जो इसका मुकाबला करेंगे, वे जीतेंगे.
उन्होंने कहा कि (नीतीश) कुमार ने भाजपा पर हथौड़े से प्रहार किया है, जिससे वह उबर नहीं पाएगी.
यादव ने कहा कि भाजपा चाहती है कि इससे जुड़े लोगों और आरएसएस को छोड़कर सभी को खत्म कर दिया जाए. राजद नेता ने हरियाणा व पंजाब के किसानों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने भाजपा को सबक सिखाया. राजद नेता ने निरस्त किए जा चुके कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के संदर्भ में यह बात कही.
यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार सभी सरकारी कंपनियों को बेच रही है और किसानों की जमीन को भी बेचना चाहती है. उन्होंने सशस्त्र बलों के लिए एक अल्पकालिक रोजगार कार्यक्रम ‘अग्निवीर’ योजना को लेकर भी भाजपा पर निशाना साधा.
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि उनकी पार्टी, शिवसेना और जनता दल (यूनाइटेड) ‘असली राजग’ हैं, क्योंकि उन्होंने ही गठबंधन की स्थापना की थी.
उन्होंने कहा, ‘असली राजग यहां बैठा है. इसकी स्थापना शिवसेना, अकाली दल और जद (यू) ने की थी. हम भाजपा के साथ तब खड़े थे, जब वह अपेक्षाकृत छोटी पार्टी थी. लेकिन अब किसानों और मजदूरों के लिए गठबंधन बनाने का समय है.’
रैली स्थल से रवाना होते समय कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि वह प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र में भाजपा सरकार के तहत कोई वास्तविक काम नहीं हो रहा है. उन्होंने भाजपा पर मीडिया सहित विभिन्न संस्थानों पर नियंत्रण करने का आरोप लगाया, ताकि ‘एकतरफा’ विमर्श को आगे बढ़ाया जा सके.
उन्होंने कहा कि बिहार में सात दल एक साथ हैं और भाजपा अकेली है. वह चुनाव नहीं जीत सकती.
माकपा नेता येचुरी ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि यह उस ‘प्रबंधक’ को बदलने का समय है जो ‘देश में कुप्रबंधन और अराजकता पैदा कर रहा है.’
माकपा नेता ने कहा, ‘कांग्रेस सहित हम सभी को एक मंच पर आना चाहिए.’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, रैली में इंडिजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) भी शामिल हुआ, जो त्रिपुरा में भाजपा का सहयोगी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)