जम्मू कश्मीर: गुलाम नबी आज़ाद ने ‘डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी’ बनाई

गुलाम नबी आज़ाद ने अपने नए दल ‘डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी’ के गठन की घोषणा करते हुए कहा कि वह जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 बहाल करने को चुनावी मुद्दा नहीं बनाएंगे. उनके दल का किसी अन्य राजनीतिक पार्टी से कोई मुक़ाबला नहीं होगा और यह सूबे में शांति व सामान्य स्थिति को मज़बूत बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगी.

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गुलाम नबी आजाद ने अपने नए दल ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ का गठन किया. (फोटो: पीटीआई)

गुलाम नबी आज़ाद ने अपने नए दल ‘डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी’ के गठन की घोषणा करते हुए कहा कि वह जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 बहाल करने को चुनावी मुद्दा नहीं बनाएंगे. उनके दल का किसी अन्य राजनीतिक पार्टी से कोई मुक़ाबला नहीं होगा और यह सूबे में शांति व सामान्य स्थिति को मज़बूत बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगी.

गुलाम नबी आजाद ने अपने नए दल ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ का गठन किया. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू: कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने सोमवार को अपने नए दल ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ का गठन किया और कहा कि वह जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 बहाल करने को चुनावी मुद्दा नहीं बनाएंगे.

उन्होंने कहा कि सड़क, जलापूर्ति और महंगाई चुनावी मुद्दे हैं. आजाद ने कहा, ‘मैं किसी को चुनावी मुद्दा बनाने से नहीं रोक सकता. मेरे पास बहुत सारी चीजें हैं, मैं इसे चुनावी मुद्दा क्यों बनाऊं?’

आजाद ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैं आज यहां से डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) की शुरुआत कर रहा हूं. यह लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रतीक है. हमारी विचारधारा महात्मा गांधी के आदर्शों पर आधारित होगी.’

आजाद ने कहा कि आजाद ने कहा, ‘डीएपी का किसी अन्य राजनीतिक पार्टी से कोई मुकाबला नहीं होगा और यह जम्मू कश्मीर में शांति व सामान्य स्थिति को मजबूत बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगी.’

द हिंदू के मुताबिक, ‘डीएपी लोकतंत्र के सिद्धांतों पर आधारित होगी. यह किसी बाहरी नेता या अन्य पार्टी से प्रभावित नहीं होगी. इसकी स्वतंत्र सोच होगी और यह अपने निर्णयों में स्वतंत्र रहेगी. यह निरंकुश नहीं होगी और सत्ता किसी एक हाथ में नहीं होगी.’

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उन्होंने अपनी ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ (डीएपी) शुरू करने से पहले किसी राजनीतिक दल से सलाह नहीं ली.

क्षेत्रीय दलों द्वारा  भाजपा के इशारे पर काम करने वाले लगाए जा रहे आरोपों के संदर्भ में आज़ाद ने कहा, ‘कई लोगों ने मुझ पर पूर्व गठबंधन होने का आरोप लगाया. हमारा सिर्फ दिल और दिमाग से और जम्मू कश्मीर के लोगों से गठबंधन है और किसी से नहीं. हमने पार्टी शुरू करने से पहले किसी से सलाह नहीं ली, न ही क्षेत्रीय दल से और न ही राष्ट्रीय पार्टी.’

उन्होंने कहा कि वह अन्य दलों के नेताओं को अपना शत्रु नहीं समझते और सभी धर्मों का सम्मान करते हैं.

आजाद ने संवाददाताओं से कहा, ‘कई लोग बेबुनियाद आरोप लगाते हैं कि हमारे इस पार्टी या उस पार्टी से संबंध हैं. हमने अपनी पार्टी बनाने से पहले किसी अन्य पार्टी से सलाह नहीं ली थी. इसमें केवल यहां और कश्मीर के हमारे सहयोगी शामिल थे. किसी भी क्षेत्रीय या राष्ट्रीय दल को इसकी जानकारी नहीं थी.’

आजाद ने कहा कि उनकी नई पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के विचारों और सिद्धांतों पर चलेगी.

आजाद ने कहा, ‘हमारी पार्टी की नीति धर्म, जाति या पंथ की राजनीति से प्रभावित नहीं होगी. यह गांधी के रोडमैप का अनुसरण करेगा, जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाई. मेरी पार्टी का नाम हिंदुस्तानी है. जवाहरलाल नेहरू कहते थे कि हमारे घरों में बोली जाने वाली उर्दू और हिंदू का मिश्रण हिंदुस्तानी है. हम सभी नेताओं और पार्टियों का सम्मान करते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई मानव हृदय के सिर्फ चार कक्ष हैं.’

नवगठित पार्टी का झंडातीन रंगों- पीला, सफेद और गहरे नीले रंग का है. आजाद ने कहा, ‘पीला रंग रचनात्मकता और विविधता में एकता को इंगित करता है, सफेद शांति को इंगित करता है और नीला स्वतंत्रता, खुले स्थान, कल्पना और समुद्र की गहराई से आकाश की ऊंचाइयों तक की सीमाओं को इंगित करता है.’

उन्होंने कहा कि पार्टी अपने ढांचे के लिए जमीनी स्तर पर चुनाव कराती रहेगी. उन्होंने कहा, ‘हम यहां अपने स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए हैं. मेरा किसी पार्टी से कोई मुकाबला नहीं है. प्रतिस्पर्धा करेंगे जैसे छात्र कक्षा में एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं. हमारा कोई दुश्मन नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘युवाओं को 50 प्रतिशत टिकट दिए जाएंगे.’

कश्मीर-केंद्रित दलों, विशेष रूप से पीडीपी द्वारा अनुच्छेद 370 पर उनकी टिप्पणी की आलोचना किए जाने के बारे में पूछने पर आजाद ने कहा, ‘आप बस संसद के रिकॉर्ड पर गौर कर लीजिए कि (अनुच्छेद 370 पर) किसने बात की है या किसने नहीं. किसी के नाम पर संसद का रिकॉर्ड हासिल करें. लेकिन मेरा मानना है कि मैं चुनाव के लिए ऐसे मुद्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकता.’

अनुच्छेद 370 पर आज़ाद ने स्पष्ट किया कि उन्होंने यह कभी नहीं कहा कि अनुच्छेद 370 की बहाली संभव नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘मैंने कभी नहीं कहा कि ऐसा नहीं हो सकता. मैंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को नहीं मना सकता. अगर कोई मोदी जी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी को मना सकता है, तो उन्हें ऐसा करना चाहिए. यह एक स्वागत योग्य कदम होगा. मेरा मोदी जी पर इस तरह का कोई प्रभाव नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘केवल संसद ही अनुच्छेद 370 को बहाल कर सकती है, लेकिन हमें बहुमत की जरूरत होगी.’ आजाद ने कहा, ‘जब मोदी जी और अमित शाह जी ने संसद में मतदान कराया तो उन्हें 86 फीसदी वोट मिले.’

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करके जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था. उच्चतम न्यायालय ने दशहरे की छुट्टी के बाद फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर सहमति जतायी है.

आजाद ने कहा कि यह एक स्वागत योग्य कदम है कि उच्चतम न्यायालय 10 अक्टूबर से मामले की सुनवाई करेगा.

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने 26 अगस्त को कांग्रेस से पांच दशक से अधिक समय पुराना अपना नाता तोड़ लिया था. पूर्व उप मुख्यमंत्री तारा चंद समेत कांग्रेस के दो दर्जन से अधिक प्रमुख नेताओं ने आजाद के समर्थन में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था.

उन्होंने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर ‘अपरिपक्व और बचकाने व्यवहार’ का भी आरोप लगाया और कहा कि अब सोनिया गांधी नाममात्र की नेता रह गई हैं क्योंकि फैसले राहुल गांधी के ‘सुरक्षागार्ड और निजी सहायक’ करते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)