रक्षा कर्मचारियों के संघों का प्रदर्शन, एनपीएस ख़त्म कर पुरानी पेंशन योजना शुरू करने की मांग

रक्षा क्षेत्र में काम करने वाली विभिन्न यूनियनों के एक संयुक्त संगठन एआईडीईएफ के बैनर तले करीब 3,000 असैन्य रक्षाकर्मियों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग की और कहा कि उन्हें राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत बहुत ही कम पेंशन मिल रही है.

सोमवार को जंतर-मंतर पर हुआ कर्मचारियों का प्रदर्शन. (फोटो साभार: ट्विटर/@ved_voice)

रक्षा क्षेत्र में काम करने वाली विभिन्न यूनियनों के एक संयुक्त संगठन एआईडीईएफ के बैनर तले करीब 3,000 असैन्य रक्षाकर्मियों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग की और कहा कि उन्हें राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत बहुत ही कम पेंशन मिल रही है.

सोमवार को जंतर-मंतर पर हुआ कर्मचारियों का प्रदर्शन. (फोटो साभार: ट्विटर/@ved_voice)

नई दिल्ली: नई पेंशन योजना एनपीएस (राष्ट्रीय पेंशन योजना) को खत्म करने और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग को लेकर अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के बैनर तले लगभग 3,000 असैन्य रक्षाकर्मियों ने सोमवार को जंतर-मंतर पर धरना दिया.

द हिंदू की खबर के मुताबिक, रक्षा क्षेत्र में काम करने वाली विभिन्न यूनियनों के संयुक्त संगठन एआईडीईएफ ने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमण और जितेंद्र सिंह के नाम एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि एनपीएस के तहत कर्मचारियों को पूरी सेवा अवधि के दौरान उनके योगदान के बावजूद बहुत कम पेंशन मिल रही है.

एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने द हिंदू को बताया कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन की जरूरत थी क्योंकि केंद्र ने सैनिकों की भी पेंशन रोकने का फैसला किया है.

श्रीकुमार ने कहा, ‘हम मांग कर रहे थे कि रक्षा क्षेत्र के असैन्य कर्मचारियों को भी पुरानी योजना के अनुसार पेंशन मिलनी चाहिए, जैसे कि सेना, नौसेना और वायुसेना के जवानों को अभी मिल रही है. लेकिन इसके बजाय, केंद्र ने अनुबंध पर सैनिकों की भर्ती करने का फैसला कर लिया और अग्निपथ योजना शुरू कर दी.’

सीटू, एटक, इंटक और एचएमएस जैसी विपक्षी ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने इस सभा को संबोधित किया.

रक्षा क्षेत्र में लगभग 4 लाख असैन्य कर्मचारी हैं और 436 यूनियन एआईडीईएफ से संबद्ध हैं. अपने ज्ञापन में एआईडीईएफ ने बताया कि 18 साल की सेवा के बाद एनपीएस में नामांकित कर्मचारियों को 2500 से 5000 रुपये की मामूली पेंशन मिलती है. अगर वे पुरानी योजना के तहत सेवानिवृत्त होते, तो उन्हें उनके अंतिम वेतन के आधार पर 17,000 या उससे अधिक मासिक पेंशन मिलती.

उन्होंने आगे कहा, ‘इसके अलावा एनपीएस में महंगाई से निपटने के लिए डीए/डीआर मिलता है. पुरानी पेंशन योजना में मूल्य वृद्धि की भरपाई साल में दो बार डीए बढ़ाकर की जाती है.’

यह इंगित करते हुए कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड राज्य सरकार ने एनपीएस को खत्म करने और पुरानी योजना को बहाल करने का फैसला किया है, ज्ञापन में सुझाव दिया गया है कि केंद्र को भी यह करना चाहिए.

एआईडीएफ ने पूछा, ‘कई राज्य सरकारें एनपीएस को वापस लेने की प्रक्रिया में हैं. पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य है जिसने एनपीएस की शुरुआत नहीं की है. अगर राज्य सरकार एनपीएस को वापस ले सकती हैं तो केंद्र सरकार क्यों नहीं?’