सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का कहना है कि ख़ुफ़िया एजेंसियों से मिली सूचनाओं के आधार पर कार्रवाई की गई है. उनका दावा है कि प्रतिबंधित किए गए कुछ वीडियो का इस्तेमाल अग्निपथ योजना, भारतीय सशस्त्र बलों, राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र, कश्मीर से जुड़े मुद्दों पर ग़लत सूचनाएं प्रसारित करने के लिए किया जा रहा था.
नई दिल्ली: सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को बताया कि सरकार ने धार्मिक समुदायों के बीच घृणा फैलाने के इरादे से सामग्री में छेड़छाड़ करने और फर्जी खबरें प्रसारित करने के लिए 10 यूट्यूब चैनल के 45 वीडियो को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया है.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि जिन वीडियो को प्रतिबंधित किया गया है, उन्हें कुल मिलाकर 1.30 करोड़ बार देखा जा चुका है और उनमें दावा किया गया है कि सरकार ने कुछ समुदायों के धार्मिक अधिकार छीन लिए हैं.
ठाकुर ने कहा, ‘इन चैनलों में ऐसी सामग्री थी, जो समुदायों के बीच भय और भ्रम फैलाती है.’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जिन वीडियो को हटाया गया है उनमें द लाइव टीवी नाम के एक यूट्यूब चैनल के 13, हिंद वॉयस के नौ, इंकलाब लाइव और देश इंडिया लाइव के छह-छह, मिस्टर रिएक्शन वाला के चार, गेटसेटफ्लाईफैक्ट और शाम चार बजे के वीडियो से दो-दो, नेशनल अड्डा, ध्रुव राठी और विनय प्रताप सिंह भोपर के चैनलों से एक-एक वीडियो शामिल हैं.
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, प्रतिबंधित सामग्री में धार्मिक समुदायों के बीच घृणा फैलाने की मंशा से प्रसारित फर्जी खबरें और छेड़छाड़ किए गए वीडियो शामिल हैं.
मंत्रालय ने कहा कि उदाहरण के लिए सरकार द्वारा कुछ समुदायों के धार्मिक अधिकार छीनने, धार्मिक समुदायों के खिलाफ हिंसक धमकियों और भारत में गृह युद्ध की घोषणा करने जैसे झूठे दावे शामिल हैं.
मंत्रालय ने कहा कि खुफिया एजेंसियों से मिली सूचनाओं के आधार पर कार्रवाई की गई है. मंत्रालय का कहना है, ‘मंत्रालय द्वारा प्रतिबंधित किये गए कुछ वीडियो का इस्तेमाल अग्निपथ योजना, भारतीय सशस्त्र बलों, भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र, कश्मीर से जुड़े मुद्दों पर गलत सूचनाएं प्रसारित करने के लिए किया जा रहा था.’
बयान के अनुसार, ‘यह सामग्री राष्ट्रीय सुरक्षा और दूसरे देशों के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों के नजरिए से झूठी और संवेदनशील मानी गई.’
इसमें कहा गया है कि इन वीडियो को प्रतिबंधित करने का आदेश सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा निर्देश एवं डिजिटल मीडिया नैतिकता संहिता) नियम 2021 के प्रावधानों के तहत 23 सितंबर को जारी किया गया.
इस कदम पर टिप्पणी करते हुए केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा, ‘इन चैनलों को देश में नफरत फैलाने की साजिश में शामिल पाया गया और सामग्री विदेशों के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों के लिए हानिकारक है. यह एक सतत प्रक्रिया है और भविष्य में भी ऐसी सभी साइटों और चैनलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.’
ठाकुर ने बताया कि इससे पहले सरकार ने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाले 102 यूट्यूब चैनल और फेसबुक एकाउंट को प्रतिबंधित किया था.
मंत्रालय ने कहा कि कुछ वीडियो में जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख के हिस्सों के साथ भारत की सीमाओं को गलत तरीके से दिखाया गया है. उसने कहा कि मानचित्र का ऐसा गलत चित्रण भारत की संप्रभुत्ता तथा क्षेत्रीय अखंडता के लिए हानिकारक पाया गया.
मालूम हो कि भारत विरोधी एजेंडा चलाने वाले और फर्जी खबरें फैलाने का दावा करते हुए डिजिटल चैनलों, पोर्टलों और सोशल मीडिया हैंडल पर कार्रवाई पिछले साल दिसंबर में शुरू हुई थी, जब मंत्रालय ने पहली बार पाकिस्तान से संचालित 20 यूट्यूब चैनल और दो वेबसाइट को अवरुद्ध (ब्लॉक) करने का आदेश दिया था.
बीते अगस्त महीने में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भारत विरोधी फर्जी सामग्री प्रसारित करने की बात कहते हुए 8 यूट्यूब न्यूज चैनलों पर आईटी नियम-2021 के तहत रोक (ब्लॉक) लगा दी थी.
जुलाई में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में बताया था कि फर्जी खबरें फैलाने के चलते सरकार ने 2021-22 के दौरान 94 यूट्यूब चैनल, 19 सोशल मीडिया खातों और 747 यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (यूआरएल) को ब्लॉक कर दिया है.
इससे पहले जनवरी महीने में आईटी नियम, 2021 के तहत मिलीं शक्तियों का उपयोग कर सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने भारत के खिलाफ दुष्प्रचार और समन्वित तरीके से फर्जी खबरें फैलाने वाले 35 यूट्यूब चैनल और दो वेबसाइट को ब्लॉक करने का आदेश दिया था.
अप्रैल महीने की शुरुआत में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यूट्यूब आधारित 22 समाचार चैनलों को बंद करने का निर्देश दिया था, जिनमें से चार पाकिस्तान के थे. इन चैनलों पर आरोप है कि ये फर्जी खबरें प्रसारित कर रहे थे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशी संबंध और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा था.
अप्रैल महीने के ही आखिर में मंत्रालय ने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश संबंधों और सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित भ्रामक सूचनाएं फैलाने के मामले में एक फेसबुक एकाउंट और 16 यूट्यूब चैनलों पर रोक लगा दी थी. बताया गया था कि इन चैनलों में से छह पाकिस्तान से संचालित हो रहे थे.