देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की मृत्यु के नौ महीने से अधिक समय बाद इस पद पर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर्ड) की नियुक्ति की गई है.
नई दिल्ली: लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को बुधवार को नए प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) के रूप में नियुक्त किया गया.
जनरल बिपिन रावत की मृत्यु के बाद से यह पद रिक्त था. पद रिक्त होने के नौ महीने से अधिक समय बाद इस पर नियुक्ति की गई है.
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर लेफ्टिनेंट जनरल चौहान की नियुक्ति की घोषणा की है.
Government appoints Lt General Anil Chauhan (Retired) as Chief of Defence Staff (CDS) who shall also function as Secretary to Government of India, Department of Military Affairs with effect from date of his assumption of charge and until further ordershttps://t.co/91FyOMvjA4
— PIB India (@PIB_India) September 28, 2022
चीन विशेषज्ञ चौहान (61) अपने पदभार ग्रहण करने की तारीख से और अगले आदेश तक सैन्य मामलों के विभाग में सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे.
वह 2019 में बालाकोट हवाई हमलों के दौरान सेना के सैन्य अभियान (डीजीएमओ) के महानिदेशक थे, जब भारतीय लड़ाकू विमानों ने पुलवामा आतंकवादी हमले के जवाब में पाकिस्तान के अंदर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर को तबाह कर दिया था.
लेफ्टिनेंट जनरल चौहान (सेवानिवृत्त) भारत के दूसरे सीडीएस के रूप में कार्यभार संभालने के बाद चार सितारा रैंक के जनरल का पद ग्रहण करेंगे.
पिछले साल पूर्वी सेना कमांडर के रूप में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में सैन्य सलाहकार के रूप में कार्यरत रहे हैं.
बयान में कहा गया है, ‘सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को अगले सीडीएस के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया है, जो भारत सरकार, सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में भी कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से और अगले आदेश तक कार्य करेंगे.’
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को अगले सीडीएस के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया है, जो भारत सरकार, सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में भी कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से और अगले आदेश तक कार्य करेंगे.’
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को हुआ और उन्हें 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन प्रदान किया गया था.
बताया गया है कि लगभग 40 वर्षों से अधिक के अपने करिअर में लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने कई कमान, स्टॉफ और महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है तथा उन्हें जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों का व्यापक अनुभव हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल चौहान पिछले साल मई में सेवानिवृत्त हुए थे. उस समय वह पूर्वी सेना कमांडर के रूप में कार्यरत थे.
पूर्वी सेना कमांडर के रूप में, उन्होंने अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ भारत की समग्र युद्ध तैयारी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं. मेजर जनरल के रैंक में उन्होंने उत्तरी कमान में महत्वपूर्ण बारामुला सेक्टर में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी.
बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में, उन्होंने पूर्वोत्तर में एक कोर की कमान संभाली और सितंबर 2019 से पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बने तथा मई 2021 में सेवानिवृत्ति तक यह पदभार संभाला.
इन कमान नियुक्तियों के अलावा वह महानिदेशक, सैन्य अभियान के प्रभार समेत महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे. इससे पहले उन्होंने अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन के रूप में भी काम किया.
सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रणनीतिक मामलों में योगदान देना जारी रखा. सेना में विशिष्ट और उल्लेखनीय सेवा के लिए लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है.
ज्ञात हो कि पिछले साल 8 दिसंबर को हुए विमान हादसे में जनरल रावत और उनकी पत्नी समेत 13 लोगों की मौत हो गई थी.
जनरल रावत ने एक जनवरी 2020 को देश के समग्र सैन्य कौशल को बढ़ाने के लिए देश के पहले सीडीएस के रूप में कार्यभार संभाला था.
उनके निधन के बाद सरकार द्वारा जारी अधिसूचनाओं में कहा गया था कि 62 वर्ष से कम आयु के कोई भी सेवारत या सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल, एयर मार्शल और वाइस एडमिरल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के पद के लिए पात्र होंगे.
सरकार ने कहा था कि संशोधित नियमों के अनुसार, सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना के प्रमुखों के साथ इस शीर्ष पद के लिए अन्य अधिकारियों के नामों पर विचार किया जा सकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)