बीते कुछ सालों में पीएफआई के नेता-कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ 1,400 से अधिक मामले दर्ज हुए: रिपोर्ट

एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि हाल ही में प्रतिबंधित किए गए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके सहयोगी संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ पिछले कुछ वर्षों में 1,400 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं.

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हैदराबाद में पीएफआई का सील हुआ कार्यालय. (फोटो: पीटीआई)

एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि हाल ही में प्रतिबंधित किए गए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके सहयोगी संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ पिछले कुछ वर्षों में 1,400 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं.

हैदराबाद में पीएफआई का सील हुआ कार्यालय. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: जांच एजेंसियों के मुताबिक, देश भर में प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके सहयोगी संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ पिछले कुछ वर्षों में 1400 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं.

इस संबंध में द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई पीएफआई नेता और सदस्य कथित तौर पर पहले स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़े थे, जिसे 2001 में प्रतिबंधित कर दिया गया था.

एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘केरल में पीएफआई का पूर्ववर्ती यानी नेशनल डेवलपमेंट फंड, पूर्व सिमी नेताओं द्वारा स्थापित किया गया था.’

एजेंसियों का आरोप है कि पीएफआई के पास राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर मजबूत संगठनात्मक ढांचा था, जिसमें सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय के रूप में इसके अध्यक्ष की अध्यक्षता में 13 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद थी. इसकी राष्ट्रीय महासभा में प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधि थे. संगठन का एक खुफिया विंग भी था, जिसने प्रतिशोधात्मक हमलों की योजना बनाई और उन्हें अंजाम दिया.

एजेंसियों के मुताबिक, 26 जुलाई को कर्नाटक के बेल्लारी में भारतीय जनता युवा मोर्चा के सदस्य प्रवीण नेट्टारू की हत्या के ज्यादातर आरोपी पीएफआई से जुड़े थे.

अधिकारी ने बताया, ‘वर्षों से पीएफआई के सदस्य इस तरह के हिंसक अपराधों में शामिल रहे हैं. जुलाई 2010 में उन्होंने प्रोफेसर टीजे जोसेफ का हाथ काट दिया था. 2020 के बेंगलुरू दंगों में भी पीएफआई और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी थी. एनआईए ने दो संबंधित मामलों की जांच की और आरोप-पत्र में पीएफआई/एसडीपीआई से जुड़े 47 लोग शामिल थे.’

रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने बताया कि जून 2021 में केरल के पदम वन क्षेत्र से विस्फोटक जब्त किए गए थे. यह स्थान कथित तौर पर पीएफआई का प्रशिक्षण स्थल था.

अधिकारी ने बताया कि फरवरी 2021 में यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने पीएफआई के शारीरिक शिक्षा विभाग के राष्ट्रीय समन्वयक को विस्फोटक और डेटोनेटर के साथ गिरफ्तार किया था. अप्रैल 2013 में केरल पुलिस ने एक शिविर से हथियार और विस्फोटक सामग्री जब्त की थी, यह केस बाद में एनआईए ने अपने हाथ में ले लिया था, जिसमें 2016 में 21 लोगों को आरोपी बनाया गया.

अधिकारी के मुताबिक, ‘पीएफआई कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शनों में भी हिस्सा लिया था. उत्तर प्रदेश में अधिनियम के खिलाफ हिंसक आंदोलन की जांच के संबंध में 51 मामले दर्ज हुए थे. दिल्ली दंगों में पीएफआई की भूमिका की भी ईडी द्वारा जांच की गई थी.साथ ही, कर्नाटक के हिजाब मुद्दे में भी पीएफआई के छात्र संघ की भूमिका देखी गई थी.’

उन्होंने आरोप लगाया कि पीएफआई से जुड़े विशेष तौर पर केरल के कई लोग आईएसआईएस में शामिल हुए थे और सीरिया में आतंकी गतिविधियों में लिप्त हुए. एजेंसियों का आरोप है कि पीएफआई के फंडिंग स्रोत भी संदिग्ध पाए गए.

2020-21 में सर्च के बाद ईडी ने आरोप लगाया था कि संगठन ने व्यापारिक सौदों की आड़ में ‘हवाला’ के माध्यम से खाड़ी देशों के जरिये फंड जुटाया. संगठन ने संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, कतर, कुवैत, बहरीन और सऊदी अरब जैसे देशों में जिला कार्यकारी समितियों का गठन किया था.

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इंडिया फ्रेटरनिटी फोरम और इंडियन सोशल फोरम, प्रवासी मुसलमानों के साथ जुड़ने के लिए पीएफआई के विदेशी मोर्चे थे. उनकी कार्यकारी समितियां भारत में पीएफआई को पैसे भेजती थीं.

बता दें कि झारखंड सरकार ने पीएफआई पर 2019 में प्रतिबंध लगा दिया था. बताया गया है कि 17 राज्यों में पीएफआई की उपस्थिति है. यह संगठन 19 दिसंबर 2006 को अस्तित्व में आया था.

गौरतलब है कि देशव्यापी छापों के बाद पीएफआई व उससे जुड़े संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया गया है.

आतंकवाद रोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित संगठनों में रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफ), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कंफेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल विमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पॉवर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन (केरल) के नाम शामिल हैं.

वहीं, पीएफआई पर प्रतिबंध के बाद आरएसएस पर भी प्रतिबंध की मांग उठने लगी है.

पीएफआई के एक वरिष्ठ नेता ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार की ओर से संगठन को अवैध करार दिए जाने के मद्देनजर अब इसे भंग कर दिया गया है.

पीएफआई के प्रदेश महासचिव अब्दुल सत्तार ने संगठन की केरल इकाई के फेसबुक पेज पर पोस्ट साझा की है कि ‘देश के कानून का पालन करते हुए संगठन गृह मंत्रालय का फैसला स्वीकार करता है.’

यह पोस्ट करने के कुछ ही घंटे बाद सत्तार को करुणागपल्ली से पकड़ लिया गया. सत्तार ने पोस्ट में यह भी कहा कि सभी सदस्य और आम लोगों को बता दिया गया है कि गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद ‘पीएफआई को भंग कर दिया गया है.’

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