भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के 170 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अन्वेषण का काम किया था. एक महीने तक चले इस अन्वेषण में प्राचीन गुफाएं, मंदिर और बौद्ध ढांचों के अवशेष एवं भित्ति अभिलेख मिले हैं, जिन पर प्राचीन लिपियों में ‘मथुरा और कौशांबी’ जैसे शहरों का उल्लेख है.
नई दिल्ली: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ में नवीनतम खोज के दौरान प्राचीन गुफाएं, मंदिर और बौद्ध ढांचों के अवशेष एवं भित्ति अभिलेख मिले हैं, जिन पर प्राचीन लिपियों में ‘मथुरा और कौशांबी’ जैसे शहरों का उल्लेख है.
अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि एएसआई की टीम ने मशहूर बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य के 170 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अन्वेषण का कार्य किया, जहां पर करीब एक महीने तक खोज के दौरान लोगों के आने-जाने पर रोक थी. यहां वर्ष 1938 के बाद पहली बार एएसआई अन्वेषण कर रहा है.
अधिकारियों ने बताया कि एएसआई के जबलपुर कार्यालय ने बताया कि 20 मई से 27 जून के बीच अन्वेषण कार्य किया गया और इस दौरान कई प्राचीन मूर्तियों का पता चला, जिनमें विष्णु के विभिन्न अवतारों जैसे ‘वराह’ और ‘मत्स्य’ की एक ही पत्थर से बनी मूर्तियां और प्राकृतिक गुफा में बोर्ड पर खेले जाने वाले खेल की आकृति बनी मिली है.
In Bandhavgarh Forest Reserve, remarkable archaeological remains unraveled by @ASIGoI. In an exploration 26 temples, 26 caves, 2 monasteries, 2 votive stupas, 24 inscriptions, 46 sculptures, other scattered remains & 19 water structure are recorded. (1/3) pic.twitter.com/wIZ71B5fkQ
— Archaeological Survey of India (@ASIGoI) September 28, 2022
जबलपुर कार्यालय के पुरातत्व अधीक्षक एसके बाजपेयी ने अन्वेषण करने वाली टीम की अध्यक्षता की जिन्होंने यहां एएसआई मुख्यालय में मीडिया से संवाद के दौरान अन्वेषण की विस्तृत जानकारी और तस्वीरें साझा की.
बाजपेयी ने बताया, ‘वर्ष 1938 में पुरातत्ववेत्ता एनपी चक्रवर्ती के बाद पहली बार एएसआई ने बांधवगढ़ में अन्वेषण किया है. कई ढांचों का दस्तावेजीकरण किया गया है और हमें प्राचीन गुफाओं, मंदिरों, बौद्ध अवशेषों, मठ, मूर्तियों, जलाशयों, ब्रह्मी और नागरी जैसी प्राचीन लिपियों में भित्ति अभिलेख जैसे और ढांचों की जानकारी मिली है.’
उन्होंने बताया कि इस अवधि में कुछ अन्य एजेंसियों ने भी अन्वेषण किया. बाजपेयी ने कहा कि वन विभाग से विशेष तौर पर मध्य प्रदेश के उमरिया जिला स्थित इस इलाके में अन्वेषण की अनुमति ली गई थी.
उन्होंने बताया कि अन्वेषण के दौरान बाघों और हाथियों से सामना हुआ, लेकिन गुफाओं ने हमें आश्रय दिया.
बांधवगढ़ बाघों का आश्रय स्थल है, जो मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 500 किलोमीटर दूर स्थित है.
एएसआई अधिकारी ने कहा, ‘मेरे लिए सबसे रोमांचक खोज हिंदू राजवंशों द्वारा शासित क्षेत्र में बौद्ध ढांचों की खोज है. यह धार्मिक सौहार्द्र का संकेत देता है, लेकिन इन्हें किसने बनाया, अब तक नहीं पता है.’
एएसआई द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक मन्नत के स्तूप और बौद्ध खंभे के टुकड़े मिले हैं, जिन पर स्तूप की आकृति बनी है और ये दूसरी या तीसरी शताब्दी के हैं.
बाजपेयी ने बताया, ‘लेकिन सबसे उल्लेखनीय खोज, हमें मिले अभिलेख हैं जिनमें उत्तर प्रदेश स्थित मथुरा और कौशांबी जैसे प्राचीन शहरों के नामों का उल्लेख है, जिनका दस्तावेजीकरण किया गया है.’
एएसआई के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘बांधवगढ़ से दूर स्थित इन शहरों के नामों का उल्लेख संकेत करता है कि यहां के लोगों का अन्य शहरों के साथ कारोबारी संबंध था और संभव है कि उन्होंने कुछ दान दिया होगा, लेकिन यह अनुमान का मामला है.’
उन्होंने बताया कि मुगलकालीन और जौनपुर (उत्तर प्रदेश) के शर्की सल्तनत के सिक्के भी बांधवगढ़ से मिले हैं.
एएसआई अधिकारियों ने बताया कि कुल 35 मंदिरों की जानकारी मिली है, जिनमें से नौ की पहले से जानकारी थी और 26 अन्य मंदिरों का पता नवीनतम अन्वेषण में चला, जो कालचुरी काल के हैं.
उन्होंने बताया कि 26 नई गुफाओं का पता चला है जो दूसरी ईसापूर्व से लेकर पांचवी ईस्वी तक के हैं और इनकी प्रकृति बौद्ध ढांचे की है, जबकि 50 गुफाओं का पता पहले लगाया गया था.
अधिकारियों ने बताया कि कालचुरी काल (नौवीं से 11वीं सदी) के दो नए शैव मठों और दो नए स्तूपों का भी पता चला.
उन्होंने बताया कि बौद्धधर्म के महायान संप्रदाय से जुड़े अवशेष भी मिले हैं, जिनमें चैत्य आकार के द्वार और पत्थर से बने चबूतरे शामिल हैं. उन्होंने बताया कि 46 नई प्रतिमाओं का भी नवीनतम अन्वेषण में पता चला है और 10 प्रतिमाओं की पहले ही जानकारी थी.
एएसआई ने बताया कि दूसरी से पांचवीं सदी के बीच के 24 ब्रह्मी लिपी में लिखे अभिलेख मिले. बाजपेयी ने बताया कि ब्रह्मी लिपी में लिखे अभिलेख में मथुरा का उल्लेख है, जबकि नागरी और शंखलिपि में भी अभिलेख मिले हैं.
एएसआई ने बताया कि मथुरा और कौशांबी के अलावा पावता (प्रवता), विजभद्र और सप्तनारिका का भी उल्लेख विभिन्न अभिलेखों में मिला है. उन्होंने बताया कि अभिलेखों में महाराजा श्री भीमसेन, महाराज पोथसिरी और महाराज भट्टदेव सहित महत्वपूर्ण राजाओं के भी उल्लेख हैं.