द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) अध्यक्ष एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केरल में एक समारोह को संबोधित करते हुए विपक्षी एकता का आह्वान करते हुए कहा कि कुछ राज्यों में एक साथ होना पर्याप्त नहीं है. हमें सभी राज्यों में एकजुट होना चाहिए और एक अखिल भारतीय ताक़त बनना चाहिए.
तिरुवनंतपुरम: द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) अध्यक्ष एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शनिवार को कहा कि संविधान को वास्तव में संघीय बनाने के लिए इसकी समीक्षा करने की जरूरत है.
भाजपा का मुकाबला करने के लिए देश भर में विपक्षी एकता की वकालत करते हुए स्टालिन ने कहा, ‘व्यक्तिगत आवाज ज्यादा काम नहीं आती. यह एकजुट आवाज होनी चाहिए. अगर हम केवल कुछ राज्यों में एक साथ हैं तो यह पर्याप्त नहीं है. हमें सभी राज्यों में एकजुट होना चाहिए. हमें एक अखिल भारतीय ताकत होना चाहिए.’
संघवाद और केंद्र-राज्य संबंधों पर, भाकपा के केरल राज्य सम्मेलन के सत्र को संबोधित करते हुए, स्टालिन ने दशकों पहले संविधान के अनुच्छेद 356 को लागू करते हुए केंद्र द्वारा क्रमश: केरल और तमिलनाडु में वाम और द्रमुक सरकारों की बर्खास्तगी को याद किया.
स्टालिन ने जोर देकर कहा, ‘संविधान की समीक्षा और पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है. जब तक संविधान को वास्तव में संघीय बनाने के लिए संशोधित नहीं किया जाता है, अर्ध-संघीय वर्तमान स्थिति से, हम रुकेंगे नहीं. हमें अपनी आवाज उठाते रहना चाहिए और अपने लक्ष्य की दिशा में काम करना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार की शक्तियों को फिर से निर्धारित किया जा रहा है और जीएसटी के जरिये राज्यों से वित्तीय अधिकार छीन लिए गए हैं. नीट जैसी प्रवेश परीक्षाओं ने शैक्षिक अधिकारों से वंचित कर दिया और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एक अवरोधक नीति है.’
स्टालिन की पार्टी और सरकार द्वारा एनईपी का विरोध न केवल इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इसे ‘भगवाकरण और हिंदी थोपने की नीति’ के तौर पर तैयार किया गया था, बल्कि इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि यह राज्यों को अपनी नीतियों के अनुरूप शैक्षिक अवसर प्रदान करने से रोकती है.
वहीं, अपने ट्विटर हैंडल पर द्रमुक प्रमुख ने लिखा, ‘भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा शक्तियों के अत्यधिक केंद्रीकरण के बीच, हमारे संविधान की समीक्षा और पुनर्मूल्यांकन की मांग इसे वास्तव में संघीय बनाने के लिए और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है. हमारे महान लक्ष्यों को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब प्रगतिशील ताकतें एकजुट हों और अखिल भारतीय शक्ति बनें. ‘
Amid excessive centralisation of powers by Union BJP Govt, the demand for a review & reappraisal of our constitution in order to make it truly federal becomes more important.
Our lofty goals can be achieved only if the progressive forces stand united & become an All India Force. pic.twitter.com/fWLjQvW39y
— M.K.Stalin (@mkstalin) October 1, 2022
वाम दलों की बैठक में स्टालिन ने कहा कि उनकी पार्टी न केवल उन राज्यों के लिए बात करती है जहां द्रमुक (तमिलनाडु) और माकपा (केरल) सत्ता में हैं, बल्कि हम भाजपा शासित राज्यों की भी बात कर रहे हैं. वे भी खतरे में हैं.
‘एक राष्ट्र – एक चुनाव’ जैसे प्रस्तावों पर भाजपा नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि एकरूपता का मतलब एकता नहीं होता.
उन्होंने कहा कि इस तरह की निरंकुश प्रवृत्ति का जवाब राज्यों की स्वायतत्ता और एक मजबूत संघीय ढांचा है.
उन्होंने कहा, ‘भारत एक अकेली सरकार नहीं है. यह कई राज्यों का संघ है. भारत को संघ कहना गलत नहीं है. यहां तक कि संविधान भी भारत को एक संघ के रूप में पारिभाषित करता है. मेरे द्वारा इस शब्द का प्रयोग शुरू करने के बाद कुछ लोगों ने इसे राष्ट्रविरोध के तौर पर देखा. वे संविधान में एक शब्द को भी नहीं पचा सकते हैं.’
द्रविड़ पार्टी के प्रमुख ने कहा, ‘द्रविड़ और वामपंथी आंदोलन के बीच मित्रता दोनों आंदोलनों की उत्पत्ति के दिनों से ही पनप गई थी.
संघवाद, राज्य स्वायत्तता और धर्मनिरपेक्षता जैसे सिद्धांतों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमारे विचार महान हो सकते हैं, लेकिन उनके सफल होने के लिए, विचारधारा का समर्थन करने वाली सभी ताकतों को एक साथ आना चाहिए.’
स्टालिन ने कहा कि दिल्ली में किसान आंदोलन ने साबित कर दिया कि निरंकुशता हमेशा नहीं जीत सकती है.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘भाजपा, जिसका एकमात्र उद्देश्य लोगों को धर्म, भाषा और संस्कृति के आधार पर बांटना है, हमें अलगाववादी कह रही है. इससे बड़ा मजाक कोई नहीं हो सकता.’
द्रमुक प्रमुख ने आरोप लगाया कि भाजपा का जन्म अपने स्वार्थ के लिए लोगों को बांटने के लिए हुआ है. इस तरह के मकसद को कई बार राष्ट्रीय राजनीति में शिकस्त दी गई है. भाजपा भी भविष्य में हारेगी.
उन्होंने कहा, ‘भाजपा को अपनी चुनावी सफलता को अपनी विचारधारा की सफलता समझने की गलती नहीं करना चाहिए. मैं उन्हें यह विनम्रता से याद करा रहा हूं. भाजपा भारत को सांप्रदायिक, जातिवादी, निरंकुश बनाने के अपने प्रयास में सफल नहीं होगी.’
कार्यक्रम में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, भाकपा के शीर्ष नेता डी. राजा और वाम दलों के नेताओं ने भाग लिया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)