उत्तराखंड सरकार द्वारा कार्बेट टाइगर रिज़र्व में प्रस्तावित टाइगर सफारी परियोजना के लिए 163 पेड़ काटे जाने की अनुमति थी, लेकिन भारतीय वन सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट बताती है कि काटे गए पेड़ों की संख्या 6,000 से अधिक है.
नई दिल्ली: उत्तराखंड सरकार की बहुप्रतीक्षित टाइगर सफारी परियोजना भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) की एक रिपोर्ट के बाद सवालों के घेरे में आ गई है.
द हिंदू के मुताबिक, एफएसआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआई) में 6,000 से अधिक पेड़ अवैध रूप से काट दिए गए, जबकि पाखरो टाइगर सफारी के लिए 163 पेड़ ही काटे जाने की अनुमति थी.
राज्य के वन विभाग ने एफएसआई के दावों का खंडन किया है और कहा है कि कुछ तकनीकी समस्याएं थीं, रिपोर्ट को स्वीकार करने से पहले उनका समाधान करने की जरूरत है.
उत्तराखंड वन विभाग द्वारा एफएसआई को पाखरो टाइगर सफारी में और उसके आस-पास अवैध कटाई की स्थिति जांचने के लिए कहा गया था. उन्हें काटे गए पेड़ों की संख्या का पता लगाने के लिए कहा गया था.
उत्तराखंड वन विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पाखरो ब्लॉक, कालू शहीद ब्लॉक, नलखट्टा ब्लॉक और कालागढ़ ब्लॉक में लगभग 9 महीनों में रिपोर्ट तैयार करने के बाद एफएसआई ने पाया कि सीटीआर में साफ किया गया क्षेत्र 16.21 हेक्टेयर होने का अनुमान है. साफ किए गए क्षेत्र में पेड़ों की अनुमानित संख्या 6,093 है. जिसमें निचली सीमा 5,765 और ऊपरी सीमा 6,421 आंकी गई है.
द हिंदू से बात करते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल के प्रमुख विनोद सिंघल ने स्वीकार किया कि एफएसआई ने पाया कि 6,421 पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया है.
साथ ही, उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि वन विभाग को एफएसआई की रिपोर्ट से कुछ समस्या है और इसलिए इसे अब तक स्वीकार नहीं किया गया है.
सिंघल ने कहा, ‘इस रिपोर्ट के प्रारंभिक परीक्षण के बाद कई तकनीकी समस्याएं पाई गईं, जिनका इस रिपोर्ट को स्वीकार करने से पहले समाधान करना जरूरी है. कथित तौर पर काटे गए पेड़ों की सूची और इस संख्या तक पहुंचने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सैंपलिंग तकनीक पर कई गंभीर और महत्वपूर्ण सवाल हैं, जिन पर एफएसआई से और जानकारी देने का अनुरोध किया गया है.’
उन्होंने स्वीकारा कि वन विभाग को सफारी क्षेत्र में 163 पेड़ काटने की अनुमति थी और प्रारंभिक जांच में यह पाया गया है कि क्षेत्र में 97 अतिरिक्त पेड़ अवैध रूप से काटे गए.
गौरतलब है कि हजारों पेड़ अवैध तौर पर काटे जाने का मामला दिल्ली के एक पर्यावरण कार्यकर्ता और वकील गौरव बंसल ने उठाया था. बंसल ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को एक शिकायत की, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि संरक्षित क्षेत्र में 10,000 पेड़ काटे गए.
जब एनटीसीए और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) ने उत्तराखंड वन विभाग से काटे गए पेड़ों की वास्तविक स्थिति मांगी, तो उसने एफसीआई से एक सर्वेक्षण करने को कहा.
पाखरो टाइगर सफारी की नींव उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत ने रखी थी, जो 106 हेक्टेयर में फैला हुआ है और इसका निर्माण पूरा होने के बाद यह राज्य का पहला टाइगर सफारी होगा.
मीडिया से बात करते हुए हरक सिंह रावत ने बताया था कि 2019 में टीवी कार्यक्राम ‘मैन वर्सेज वाइल्ड’ की शूटिंग के लिए सीटीआर में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्षेत्र में सफारी विकसित करने की बात की थी, ताकि लोग टाइगर देख सकें.
500 वर्ग किलोमीटर में फैला सीटीआर 230 बाघों का घर है और इसमें दुनिया का सबसे अधिक बाघ घनत्व है, प्रति 100 वर्ग किलोमीटर पर यहां 14 बाघ हैं..