सीजेआई उदय उमेश ललित ने अलग-अलग आदेशों के ज़रिये सुप्रीम कोर्ट के तीन रजिस्ट्रार को उनके मूल संगठनों और कैडर में वापस भेज दिया है. पूर्व सीजेआई एनवी रमना द्वारा न्यायालय में स्थायी सेवा में समाहित किए जाने से पहले वे तीनों प्रतिनियुक्ति पर थे.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के तीन रजिस्ट्रार को प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) उदय उमेश ललित ने अलग-अलग आदेशों के जरिये उनके मूल संगठनों और कैडर में वापस भेज दिया है. सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
न्यायालय में स्थायी सेवा में समाहित किए जाने से पहले वे तीनों प्रतिनियुक्ति पर थे.
रजिस्ट्रार राजेश गोयल, पिछले छह-सात वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में प्रतिनियुक्ति पर थे और उन्हें बाद में पूर्व सीजेआई एनवी रमना के कार्यकाल के दौरान स्थायी कर्मचारी के रूप में समाहित कर लिया गया था.
सूत्रों ने बताया कि गोयल को वापस दिल्ली उच्चतर न्यायपालिका में न्यायिक अधिकारी के रूप में रिपोर्ट करने को कहा गया है.
पश्चिम बंगाल के एक न्यायिक अधिकारी अवनीपाल सिंह पिछले चार साल से सामान्य प्रशासन की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. उन्हें भी शीर्ष न्यायालय का स्थायी कर्मचारी बनाया गया था.
सूत्रों ने बताया कि सिंह को न्यायिक अधिकारी के रूप में अपने मूल कैडर में जाने को कहा गया है.
वहीं, एक अन्य रजिस्ट्रार प्रसन्न कुमार सूर्यदेवड़ा को वापस प्रसार भारती में भेज दिया गया है.
सूर्यदेवड़ा को पूर्व सीजेआई एनवी रमना के कार्यकाल के दौरान प्रतिनियुक्ति पर अतिरिक्त रजिस्ट्रार के पद पर नियुक्त किया गया था. बाद में उन्हें न्यायालय में रजिस्ट्रार बनाया गया था. वह मीडिया से जुड़े कामकाज देखा करते थे.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीजेआई रमना द्वारा उनके कार्यकाल के अंतिम सप्ताह में लिए गए फैसलों को पलटा है.
सूर्यदेवड़ा की नियुक्ति के संबंध में इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि उनको 30 सितंबर से ऑल इंडियो रेडियो (एआईआर) में वापस भेज दिया गया है.
सूर्यदेवड़ा पूर्व में कई महत्वपूर्ण मीडिया असाइनमेंट में शामिल रहे हैं.
उन्होंने सार्वजनिक ब्रॉडकास्टर प्रसार भारती में एक न्यूज रीडर के तौर पर अपने करिअर की शुरुआत की थी. 2004 से 2009 तक उन्होंने तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के कार्यालय में विशेष कर्तव्य अधिकारी (ओएसडी) के तौर पर काम किया और 2009 से 2015 तक उन्होंने तत्कालीन राज्यसभा सभापति हामिद अंसारी के लिए काम किया.
2015 में सूर्यदेवड़ा को दिल्ली विधानसभा के सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था.
2016 में दिल्ली के तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग ने सूर्यदेवड़ा को आकाशवाणी में वापस भेज दिया था. हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने इस फैसले का विरोध किया था, जिन्होंने सूर्यदेवड़ा को हटाने से इनकार कर दिया था और दावा किया था कि उपराज्यपाल विधानसभा के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे हैं.
गोयल ने सूर्यदेवड़ा को स्थायी आधार पर दिल्ली के एनसीटी का सचिव बनाने की मांग की थी.
जब जंग के उत्तराधिकारी नए उपराज्यपाल अनिल बैजल ने जंग का फैसला बदलने से इनकार कर दिया तो मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा था. 2017 में एक अधिकारी की प्रतिनियुक्ति का बचाव करने के लिए अदालत ने गोयल को कड़ी फटकार लगाई थी.
इस बीच, सूर्यदेवड़ा के अपने मूल कैडर से फिर से नहीं जुड़ने और इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखने के चलते उनके खिलाफ आकाशवाणी ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी. अदालत ने सूर्यदेवड़ा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही पर रोक लगाने के गोयल के आवेदन को भी खारिज कर दिया था.
जब सूर्यकुमार 2021 में प्रसार भारती के संयुक्त निदेशक बने, तब सीजेआई रमना अपने मीडिया प्रबंधन के लिए लिए उन्हें लेकर आए. उन्हें तीन साल की अवधि के लिए मीडिया सलाहकार की भूमिका में एक अतिरिक्त रजिस्ट्रार के पद पर विशेष कर्तव्य अधिकारी नियुक्त किया गया था.
बाद में, सीजेआई रमना के कार्यकाल के अंतिम सप्ताह में सूर्यदेवड़ा को अदालत में स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल किया गया और रजिस्ट्रार के पद पर पदोन्नत कर दिया.
बहरहाल,एक्सप्रेस को सूत्रों ने बताया कि हालिया आदेश के बाद उन्हें मूल कैडर प्रसार भारती में जाना होगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)